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मानव हो या व्यापार विस्थापित और उत्पीड़न कांग्रेस के दो हथियार

सोलन: भाजपा प्रदेश प्रवक्ता विवेक शर्मा ने कहा, विस्थापित और उत्पीड़न कांग्रेस संस्कृति के अभिन्न सिद्धांत है चाहे 1947 रहा हो 1984 हो या 1990 वह चाहे व अब 2023 का हिमाचल औद्योगिक इकाइयों को विसस्थापित करने के दृष्टिकोण से हिमाचल की कांग्रेस सरकार ने विद्युत शुल्क 11% से बढ़कर 19% तक पढ़ा दिया था। जिसे अब न्यायालय के हस्तक्षेप के बाद,16.5% अधिकतम सीमा तय करने के आदेश मिले हैं जो भौगोलिक परिस्थितियों के हिसाब से अभी भी बहुत ज्यादा है। न्यायालय ने भी सिंगल विंडो इन्वेस्टमेंट प्रमोशन एक्ट 2018 की अवहेलना को मना है। जो कांग्रेस की सोच को प्रमाणित करता है कि वह इन्वेस्टमेंट को लेकर के कितनी संजीदगी से सोचती हैं। यह कांग्रेस की प्रवृत्ति है विस्थापित करो जो बच जाए उस का उत्पीड़न करो
जिसका ज्वलंत उदाहरण है विद्युत ड्यूटी से उत्पन्न विस्थापन और बड़ी संख्या में हिमाचल से छोटे व मध्यम उद्योगों का अन्य प्रदेशों की ओर पलायन दूसरी और वाटर सैस को लेकर के हिमाचल के बिजली उत्पादक ,”हाइड्रो प्रोजेक्ट” वाले सुप्रीम कोर्ट में प्रदेश सरकार के विरोध में मुकदमा लड़ रहे हैं और उनकी पैरवी कांग्रेस सरकार के विरोध में इनके राज्यसभा प्रत्याशी कर रहे हैं। 2022 में कांग्रेस मेनिफेस्टो , हम हिमाचल वह हिमाचलीयत जैसे झूठे दस्तावेजों में यह सरकार पृष्ठ नंबर 20 पर लिखती है बद्दी चंडीगढ़ फास्ट रेल ट्रैक कॉरिडोर यथाशीघ्र पूरा करवाएंगे, और आज प्रश्न हम से पूछते हैं। पन्ना नंबर 23 पर वादा करते हैं उद्योगों को रियाती दरों पर बिजली उपलब्ध करवाएंगे विशेष टैरिफ बनाएंगे, अब उन्हीं व्यापारियों को न्यायालय के बाहर खड़ा करते हैं। पृष्ठ नंबर 23 पर ही लिखा है।
व्यापारियों के लिए व्यापार कल्याण बोर्ड का गठन करेंगे छोटे व्यापारियों व उद्योगपतियों को 5 लाख का बीमा करवाएंगे। सत्यता यह है आपदा में जो राशि आपदा राहत के नाम पर इकट्ठी की उसे सेविंग अकाउंट में डलवाने का श्रेय भी इसी सुख की सरकार के पास है। जिसका हिसाब आज तक सार्वजनिक नहीं हुआ। केंद्र से जो 18 सौ, करोड़ रूपया राहत राशि के नाम पर आया उसका वितरण कहां हुआ इसका हिसाब किसी पोर्टल पर नहीं है। वहीं कांग्रेस के सुपर चीफ मिनिस्टर द्वारा उद्योगों का उत्पीड़न व कारगुजारियों के किसे व अफसाना से प्रदेश के उद्योग मंत्री को कबाड़ के ऊपर नीति बनाने का पत्र मुख्यमंत्री को लिखना पड़ा जो बाद में सार्वजनिक भी हुआ। औद्योगिक क्षेत्र में खनन से लेकर के किसके यहां किसकी जेबीसी लगेगी की प्रतिस्पर्धा को विकास बताने वाली व्यवस्था परिवर्तन सरकार 25 हजार करोड़ का लोन लेकर किसका विकास कर रही है यह स्वयं शोध का विषय है। आपदा की चादर में खुद को लपेट के हवाई यात्राओं का आनंद लूट के मित्रों की सरकार स्वयं ही आपदा में चली गईं ।
व्यवस्था परिवर्तन यह सुनिश्चित नहीं कर पा रहा कि वह सत्ता में है या विपक्ष में।

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