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ऋषभ वर्मा ने प्रदेश में सबसे ज़्यादा अंक हासिल कर पास की NET-JRF परीक्षा

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ढाई साल की उम्र में ही सीखना शुरू किया संगीत, प्रदेश में सबसे ज़्यादा अंक हासिल कर पास की NET-JRF परीक्षा

शिमला: कहते हैं कि अगर मन में कुछ करने की इच्छा हो, तो भगवान खुद भी हर कदम पर साथ देते हैं. मंगलवार देर शाम यूजीसी ने नेट के परिणाम घोषित किए. हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय के छात्र ऋषभ वर्मा ने सबसे ज्यादा अंक हासिल कर जे.आर.एफ. क्वालीफाई किया है. ऋषभ हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय से अभी संगीत में पोस्ट ग्रेजुएशन कर रहे हैं. पूरे प्रदेश में उन्होंने नेट की परीक्षा में सबसे ज्यादा अंक हासिल किए हैं. जिसके बाद पूरे परिवार में खुशी का माहौल है.

संगीत के क्षेत्र में कई अवार्ड कर चुके हैं अपने नाम

संगीत के क्षेत्र में ऋषभ अपने नाम कई पुरस्कार कर चुके हैं. प्रदेश में तबला वादन में वे गोल्ड मेडलिस्ट होने के साथ-साथ आकाशवाणी शिमला से ग्रेडेड आर्टिस्ट भी हैं. प्रदेश सत्र से लेकर राष्ट्रीय स्तर तक ऋषभ अपनी कला का जादू बिखेर चुके हैं. अब NET-JRF की परीक्षा पास करने के बाद उन्होंने अपनी सफलता का श्रेय अपने माता-पिता और गुरुजनों को दिया है.

ढाई साल की उम्र से सीख रहे हैं संगीत

घर में संगीत का वातावरण होने के कारण ऋषभ वर्मा ने अपनी प्रारंभिक संगीत की शिक्षा अपने ही पिता राजेश वर्मा से ग्रहण करनी शुरू की. बचपन से ही घर में संगीतकारों का आना-जाना लगा रहता था. इससे ऋषभ के मन में भी संगीत को लेकर रुचि गहराने लगी. जिसके बाद उन्होंने इसी क्षेत्र में अपना जीवन समर्पित करने की ठानी.

संजौली कॉलेज से पूरी की स्नातक की पढ़ाई

ऋषभ वर्मा ने अपनी स्कूली शिक्षा शिमला के सेंट एडवर्ड्स स्कूल से पूरी की है. 12वीं क्लास में कॉमर्स टॉपर रहने के बाद उन्होंने स्नातक में संगीत विषय में पढ़ाई करने की इच्छा जताई. उन्होंने अपनी स्नातक की पढ़ाई शिमला के सेंटर ऑफ एक्सीलेंस गवर्नमेंट कॉलेज संजौली से पूरी की. मौजूदा वक्त में ऋषभ वर्मा हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय से पोस्ट ग्रेजुएशन कर रहे हैं.

शास्त्रीय संगीत को हिमाचल में दिलाना चाहते हैं नई पहचान

ऋषभ मानते हैं कि शास्त्रीय संगीत हमें हमारी संस्कृति और परंपराओं से जोड़े रखता है. हिमाचल प्रदेश के लोगों में अभी भी संगीत शिक्षा को लेकर बहुत-सी विडंबना बनी हुई है. इस वजह से लोग इसे अपने जीवन का लक्ष्य चुनने से डरते है. वे प्रोफेसर बनकर संगीत के क्षेत्र में योगदान देकर प्रदेश के युवाओं तक इसे पहुंचाना चाहते हैं. जिससे होनहार युवा म्यूजिक को अपने जीवन का लक्ष्य बनाए और भविष्य में भी परंपराओं और संस्कृति को जीवित रख सकें.

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