कौशल विकास भत्ता – कई संस्थानों के मिले नकली सर्टिफिकेट

सिरमौर, नवंबर 21 – जिला सिरमौर में कई शिक्षण संस्थानों द्वारा कौशल विकास योजना के तहत नकली सर्टिफिकेट दिखाकर भत्ता लेने के मामले सामने आए हैं। बताया जा रहा है कि आयोग की एक टीम ने बीते दिनों जिला सिरमौर में कौशल विकास के कोर्स करवाने वाले संस्थानों का निरीक्षण किया तो सिरमौर के रोजगार कार्यालयों और कुछ संस्थानों के दस्तावेजों में कई खामियां मिली ।
कुछ संस्थानों ने जारी सर्टिफिकेट की संख्या बताई। जब आयोग ने रोजगार कार्यालय में रिकॉर्ड जांचा तो ऐसे संस्थानों के सर्टिफिकेट भी भत्ता लेने वाले युवाओं के आवेदनों के साथ पाए गए, जिन्होंने इन्हें जारी ही नहीं किया था। जाँच में यह भी पाया गया कि कुछ संस्थानों के निर्धारित संख्या से अधिक सर्टिफिकेट थे। आयोग ने इस पर सकती से करवाई करते हुए उपायुक्त सिरमौर को सारा रिकॉर्ड भेजते हुए मामले की गहनता से जांच करने की सिफारिश की है। आयोग के अध्यक्ष मेजर जनरल सेवानिवृत्त अतुल कौशिक ने बताया कि सिरमौर जिले में जो सामने आया है, उसके बाद अन्य जिलों में भी व्यवस्थाओं को जांचा जाएगा।
उन्होंने बताया कि प्रदेश सरकार योजना के तहत कौशल विकास के तहत एक हजार से 1500 रुपये तक प्रति माह भत्ता दे रही है। यदि व्यक्ति 50 फीसदी से अधिक दिव्यांग है तो उसे सरकार प्रति माह 1500 रुपये दे रही है। भत्ता अधिकतम दो साल की अवधि के लिए दिया जाता है। वोकेशनल एजूकेशन, टेक्निकल ट्रेनिंग सहित कौशल विकास जैसे कोर्स करने वाले हिमाचल मूल के लोगों को यह भत्ता मिलता है।
उन्होंने कहा कि योजना का लाभ लेने के लिए प्रार्थी का नाम रोजगार कार्यालय में एक साल पहले पंजीकृत होना जरूरी है। 16 से 36 वर्ष के आयु वाले इस योजना का लाभ लेने के लिए पात्र हैं। कोई विधवा है तो उसे इस योजना का लाभ 45 साल की उम्र तक मिलता है। स्वरोजगार लाभार्थी, मनरेगा कामगार, सरकारी नौकरी से निष्कासित, 48 घंटे से ज्यादा सजा काटे अपराधी इस योजना का लाभ नहीं ले सकते। योजना का लाभ उठाने के लिए परिवार की आय दो लाख से अधिक नहीं होनी चाहिए।