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मंडी में और बढ़ेगी टेस्टिंग की रफ्तार

नेरचौक में भी कोराना मरीजों के लिए बनाया जा रहा 80 बैड का फैब्रीकेटिड अस्पताल

बीबीएमबी कॉलोनी अस्पताल बना डैडिकैटिड कोविड स्वास्थ्य एवं देखभाल केंद्र, 40 बैड की सुविधा

मंडी, 4 दिसंबर : मंडी जिला के सुंदरनगर में बीबीएमबी कॉलोनी में स्थित अस्पताल को डैडिकैटिड कोविड स्वास्थ्य एवं देखभाल केंद्र बनाया गया है। 40 बैड की सुविधा वाला यह स्वास्थ्य एवं देखभाल केंद्र सोमवार से चालू हो जाएगा । यहां कोरोना संक्रमण के लक्षणों वाले रोगियों को डॉक्टरी देखरेख में रखा जा सकेगा । हर बैड पर ऑक्सीजन की सुविधा रहेगी। स्वास्थ्य विभाग ने इसके लिए पूरी व्यवस्था कर ली है। वहां पर प्रतिनियुक्त स्टाफ को उपयुक्त प्रशिक्षण दिया जा रहा है।

उपायुक्त ऋग्वेद ठाकुर ने यह जानकारी कोरोना की स्थिति और नियंत्रण पर विचार विमर्श के लिए बुलाई बैठक के बाद दी। बैठक में प्रशासनिक अधिकारियों के साथ स्वास्थ्य विभाग के आला अधिकारी मौजूद रहे।

ऋग्वेद ठाकुर ने कहा कि बीबीएमबी के अलावा नेरचौक अस्पताल के साथ ही भंगरोटू मैदान में भी कोरोना मरीजों के लिए फैब्रीकेटिड अस्पताल बनाया जा रहा है। ये जनवरी तक बनकर तैयार हो जाएगा । 80 बैड के इस अस्पताल में भी हर बैड पर ऑक्सीजन की सुविधा रहेगी। इससे नेरचौक अस्पताल पर मरीजों का दबाव कम होगा।
उपायुक्त ने कहा कि प्रदेश सरकार के निर्देशानुसार मंडी जिला में कोरोना मामलों की टेस्टिंग में और तेजी लाई जाएगी। अब से जिला में कोरोना जांच के लिए रोजाना कम से कम एक हजार सैंपल लिए जाएंगे। सैंपल की संख्या बढ़ाने के लिए सभी विकासखंडों को लक्ष्य दिए गए हैं।

जोनल अस्पताल मंडी और नेरचौक मेडिकल कॉलेज के साथ साथ जिला के सभी सिविल अस्पतालों में ‘रैपिड एंटीजेन टैस्ट’ की सुविधा उपलब्ध है। इसके अलावा स्वास्थ्य विभाग ने और भी केंद्र स्थापित किए हैं। जिला में कुल 43 केंद्रों पर ‘रैपिड एंटीजेन टैस्ट’ किए जा रहे हैं।

उन्होंने लोगों से आगे आकर कोरोना जांच करवाने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि यह समझने की जरूरत है कि कोरोना जांच से रोग का जल्द पता लगने से समय रहते ईलाज संभव है, जिससे बहुमूल्य जीवन बचाए जा सकते हैं। किसी में कोरोना के लक्षण हों तो वे छिपाएं नहीं और न ही घर पर मनमर्जी से दवाई खाएं। तुरंत अस्पताल में रैपिड टैस्ट करवा लें। इसकी रिपोर्ट 15 से 20 मिनट में आ जाती है। रोग का जल्दी पता लगने से समय पर उचित ईलाज दे पाना संभव होगा जिससे बहुमूल्य जीवन बचेंगे।

उपायुक्त ने कहा कि कोरोना लक्षण आने पर भी डॉक्टर की मदद लेने में देरी से स्थितियां बिगड़ रही हैं । अस्पताल में मरीजों के देरी से पहुचने के कारण गंभीर मामलों में उन्हें बचा पाना मुश्किल हो जाता है। जरूरी है कि डॉक्टरी मदद लेने में देरी न करें।

नेरचौक मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में लाए गए सैंकड़ों बीमारों-बुजुर्गों ने समय पर ईलाज से कोरोना की जंग जीती है। उन्होंने कहा कि यह पाया गया है कि जिसने भी कोरोना संक्रमण के लक्षण आते ही तुरंत जांच करवाई और रोग का जल्द पता लगने से समय पर नेरचौक अस्पताल में जाकर ईलाज करवाया है वे सभी मरीज ठीक होकर अपने घर गए हैं।

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