Himachal Tonite

Go Beyond News

Jaypee University of Information Technology

सरकार की निजी स्कूलों से मिलीभगत – संजय चौहान

भारत की कम्युनिस्ट पार्टी(मार्क्सवादी) प्रदेश में निजी स्कूलों के द्वारा मनमानी फीस वसूली को लेकर सरकार के ढुलमुल रवैये व निजी स्कूलों से मिलीभगत की कढ़ी निंदा करती है तथा मांग करती है कि सरकार इस मुद्दे पर तुरन्त संजीदगी से हस्तक्षेप कर निजी स्कूलों को आदेश जारी करे कि स्कूल केवल ट्यूशन फीस ही अभिभावकों से ले और उसके अतिरिक्त कोई भी फण्ड व फीस न तो मान्य है और न ही ली जाए। यदि कोई स्कूल इसकी मांग करता है तो उसके विरुद्ध कढ़ी कार्यवाही की जाए। पार्टी निजी स्कूलों की मनमानी के विरुद्ध अभिभावकों के द्वारा चलाए जा रहे आंदोलन का समर्थन करती है और सभी अभिभावकों से भी आग्रह करती है कि इस आंदोलन में भाग ले और निजी स्कूलों की मनमानी पर रोक लगाने के लिए सरकार पर दबाव बनाए।

कोविड महामारी के कारण आज अधिकांश लोगों का रोजगार व कारोबार प्रभावित हुआ है और जनता आर्थिक संकट से जूझ रही हैं। अभिभावक सरकार से बार बार मांग कर रहें हैं कि सरकार निजी स्कूलों को आदेश जारी करे कि स्कूल केवल ट्यूशन फीस ही ले। परन्तु सरकार निजी स्कूलों के दबाव में आकर स्पष्ट आदेश जारी नहीं कर रही है। चाहे वह मार्च, 2020 में सरकार के कहने पर शिक्षा निदेशालय के द्वारा जारी आदेश हो या उसके बाद के आदेश हो उसमें स्पष्ट रूप से सरकार निजी स्कूलों के साथ मिलीभगत कर सारा निर्णय उन पर ही छोड़ दिया है और अभिभावकों की मांग पर बिल्कुल भी गौर नहीं कर रही है। उच्च न्यायालय के ट्यूशन फीस को लेकर स्पष्ट आदेश के बावजूद 8 दिसम्बर, 2020 की सरकार के कहने पर शिक्षा निदेशक व निजी स्कूलों के प्रिंसिपल के साथ हुई बैठक के बाद जो आदेश सरकार के शिक्षा निदेशालय ने जारी किया है उससे तो स्पष्ट है कि सरकार पूर्णतः निजी स्कूलों के दबाव में काम कर रही है क्योंकि इस आदेश में फीस की वसूली का निर्णय स्कूलों पर ही छोड़ दिया है जबकि अधिकांश स्कूलों में तो पी टी ए का गठन ही नहीं किया गया है तो वह फीस के बारे कैसे निर्णय करेंगे। ऐसी स्थिति में सरकार का रवैया स्पष्ट है कि वह किसी भी प्रकार की राहत प्रदान नहीं करना चाहती है। सरकार की निजी स्कूलों से मिलीभगत व इस ढुलमुल रवैये ने अभिभावकों को सड़क पर लाकर खड़ा कर दिया है और आज प्रदेश में निजी स्कूलों की मनमानी फीस वसूली के विरुद्ध अभिभावकों को स्कूलों के बाहर प्रदर्शन करने के लिए मज़बूर कर दिया हैं।

यदि निजी स्कूलों द्वारा ली गई केवल ट्यूशन फीस के रूप में एकत्र राशि का ही आंकलन किया जाए तो उससे अध्यापकों व स्टाफ के वेतन व भत्ते तथा स्कूल न चलने के बावजूद जो अन्य खर्च है को वहन करने के लिए यह राशि पर्याप्त है। कई स्कूलों ने तो अभी तक ट्यूशन फीस के ही करोड़ों रुपये एकत्र कर चुके हैं। यदि कुछ स्कूल वहन नहीं कर पाते हैं तो वह अपने ‘कार्पस फण्ड’ में जो राशि है उससे इस ख़र्च को कर सकते हैं। और यदि फिर भी कोई स्कूल यह वहन नहीं कर पाते तो सरकार को इन स्कूलों को अनुदान राशि प्रदान करनी चाहिए। ताकि अभिभावकों पर इस संकट काल मे अतिरिक्त आर्थिक बोझ न पड़े।
सीपीएम प्रदेश के सभी अभिभावकों से आग्रह करती है कि निजी स्कूलों की इस मनमानी फीस वसूली व सरकार के इस छात्र अभिभावक रवैये के विरुद्ध सभी अभिभावक संगठित होकर इस निर्णय को बदलने के लिए अपनी आवाज़ बुलंद करे। पार्टी अभिभावकों की इन जायज़ माँगो के इस आंदोलन में पूर्ण रूप से सहयोग करेगी।

हिंदी लेखन प्रतियोगिता

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *