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किन कारणों से पंचायती राज संस्थाओं का चुनाव लड़ने के लिए अयोग्य हो सकते हैं उम्मीदवार

मंडी, 24 दिसंबर: जिला निर्वाचन अधिकारी एवं उपायुक्त ऋग्वेद ठाकुर ने बताया कि पंचायती राज संस्थाओं के सामान्य निर्वाचन 2020-21 में नामांकन दर्ज करने के लिए कुछ मानक निर्धारित किए गए हैं । इसके तहत व्यक्ति चुनाव लड़ने के योग्य या अयोग्य साबित हो सकता है । हिमाचल प्रदेश पंचायती राज अधिनियम की धारा 122 में दिए प्रावधानों के अनुसार कोई व्यक्ति पंचायत का पदाधिकारी चुने जाने या होने के लिए अयोग्य होगा यदि —
1. उसकी उम्रसीमा 21 वर्ष नहीं हो।
2. उसे राज्य विधान मण्डल के निर्वाचन के प्रयोजन के लिए अयोग्य घोषित किया गया हो ।
3. कोई व्यक्ति किसी नैतिक अपराध में दोषी साबित हो गया हो और सजा की 6 वर्ष की कालावधि का अवसान न हुआ हो।
4. वह इस अधिनियम की धारा 180 के अधीन किसी भ्रष्ट आचरण का दोषी पाया गया हो।
उसने या उसके परिवार के किन्हीं सदस्यों ने राज्य सरकार, नगरपालिका, पंचायत या सहकारी सोसाइटी की या उस द्वारा या उसकी ओर से पट्टे पर ली गई या अधिगृहित किसी भूमि का अतिक्रमण किया हो या उसे या उसके परिवार के किसी सदस्य को अतिक्रमण छोड़े 6 वर्ष की अवधि न बीती हो।
(‘परिवार का सदस्य’ से अभिप्राय दादा, दादी, पिता, माता, पति-पत्नी, पुत्र (पुत्रों), अविवाहित पुत्री (पुत्रियां) से है।
5. इस अधिनियम के अध्याय 10-क के अधीन निर्वाचन अपराध का दोषसिद्ध ठहराया गया हो।
6. उसे दण्ड प्रक्र्रिया संहिता, 1973 (1974 का 2) की धारा 110 के अधीन सद्व्यवहार के लिए जमानत देने का आदेश दिया गया हो।
7. उसे लोक सेवा से हटाया गया हो या लोक सेवा में नियुक्ति के लिए अयोग्य घोषित किया गया हो (सिवाय अस्वस्थता आधार के)
8. वह पंचायत या किसी स्थानीय प्राधिकरण या सहकारी सोसायटी अथवा राज्य सरकार या केन्द्रीय सरकार अथवा केन्द्रीय या राज्य सरकार के नियन्त्रणाधीन किसी पब्लिक सैक्टर उपक्रम के नियोजन या सेवा में हो।
(‘सेवा’ या ‘नियोजन’ के अन्तर्गत पूर्णकालिक, अंशकालिक, दैनिक या संविदा आधार पर नियुक्त किए गए या नियोजित व्यक्ति सम्मिलित होंगे, परन्तु आकस्मिक या समयानुकूल (मौसमी) कार्यों के लिए रखा गया कोई भी व्यक्ति इसके अंर्तगत नहीं होगा।)
9. वह हिमाचल प्रदेश आभ्यासिक अपराधी अधिनियम, 1969 (1970 का 8) के अधीन आभ्यासिक अपराधी के रूप में रजिस्ट्रीकृत हो।
10. उसका प्रत्यक्षतः या अप्रत्यक्षतः पंचायत के आदेश द्वारा किए गए किसी संकर्म या पंचायत के साथ अथवा अधीन या उस द्वारा अथवा उसकी ओर से किसी संविदा या नियोजन में कोई अंश या हित हो।
11. उसने पंचायत द्वारा अधिरोपित किसी कर की बकाया संदत्त नहीं की है या उस द्वारा देय सभा, समिति अथवा जिला परिषद निधि की किसी प्रकार की बकाया संदत्त नहीं की है या उसने कोई ऐसी राशि रख ली है जो सभा, समिति या जिला परिषद निधि का भाग है।
12. वह पंचायत की अभिधृति या पट्टाधृति के अधीन अभिधारी या पट्टाधारी है या पंचायत के अधीन धारित पट्टाधृति या अभिधृति की लगान की बकाया में है।
13. उसे सिविल अधिकार संरक्षण अधिनियम, 1955 (1955 का 22) के अधीन दण्डनीय किसी अपराध के लिए दोषसिद्ध ठहराया गया है, जब तक उसकी ऐसी दोषसिद्धि से 6 वर्ष की अवधि का अवसान न हो गया हो।
14. वह राज्य विधान मण्डल द्वारा बनाई गई किसी अन्य विधि द्वारा या उसके अधीन इस प्रकार अयोग्य हो।
15. उसने इस अधिनियम या तद्धीन बनाए गए नियमों के अधीन यथा अपेक्षित कोई मिथ्या घोषणा की हो।

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