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राज्य सरकार के प्रयासों से प्रदेश में आएगी नील क्रांति

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देश के समुद्री क्षेत्र से लेकर हिमालय से निकली वाली नदियों में मत्स्य पालन की अपार संभावनाएं हैं। जैव विविधता के दृष्टिगत मत्स्य क्षेत्र में रोज़गार व स्वरोज़गार की अपार संभावनाएं हैं। यह क्षेत्र लोगों की आर्थिकी को सुदृढ़ करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।

हिमाचल प्रदेश को ग्लेशियरों से निकलने वाली नदियों का आशीर्वाद प्राप्त है। यह नदियां पहाड़ी और अर्ध-मैदानी क्षेत्रों को समृद्ध करती हैं। प्रदेश में बहने वाली बारहमासी नदियों ब्यास, सतलुज और रावी में कई धाराएं और कई सहायक नदियां समाहित होती हैं। यह नदियां शिजोथोरैक्स, गोल्डन महसीर और विदेशी ट्राउट जैसी ठंडे पानी की मछलियों की कई प्रजातियों की आश्रय स्थली हैं।

प्रदेश में महत्वाकांक्षी इंडो-नॉरविजियन ट्राउट पालन परियोजना के सफल कार्यान्वयन ने विकसित तकनीकों के उपयोग से प्रदेश के लोगों की जल संसाधनों के उपयोग में रुचि पैदा की हैै। गोबिंद सागर और पौंग बांध, चमेरा और रणजीत सागर बांध में महत्वपूर्ण मछली प्रजातियां के पालन और उत्पादन से स्थानीय लोगों को अपनी आर्थिकी सुदृढ़ करने के अवसर प्राप्त हो रहे हैं।

हिमाचल प्रदेश में मछली पालन की अपार संभावनाओं के दृष्टिगत प्रदेश सरकार राज्य में मत्स्य पालन और इससे संबंधित व्यवसायों को प्रोत्साहन प्रदान कर रही है और इस दिशा में कई योजनाएं कार्यान्वित की जा रही हैं।

राज्य सरकार बैकयार्ड फिश फार्मिंग, केज कल्चर, री-सर्कुलेटरी एक्वाकल्चर सिस्टम और अन्य तकनीक आधारित मत्स्य पालन को बढ़ावा देकर मछुआरों की आय बढ़ाने के लिए एक विस्तृत कार्य योजना तैयार कर रही है।

वर्तमान वित्त वर्ष में निजी क्षेत्र में 20 हेक्टेयर नये मत्स्य तालाबों का निर्माण किया जायेगा। मत्स्य पालन के माध्यम से राज्य सरकार ने किसानों की आय बढ़ाने के लिए मत्स्य तालाबों के निर्माण पर 80 प्रतिशत अनुदान देने का निर्णय लिया है। मत्स्य क्षेत्र की क्षमता बढ़ाने के लिए 120 नई ट्राउट इकाइयों का निर्माण किया जाएगा।

 

राज्य में मत्स्य पालन से जुड़े किसानों एवं अन्य व्यक्तियों के प्रशिक्षण की सुविधा हेतु जिला ऊना के गगरेट में 5 करोड़ रुपये की लागत से कार्प फार्म स्थापित किया जायेगा। इस केंद्र में हर साल 600 मछुआरों को प्रशिक्षित किया जाएगा। राज्य के मैदानी क्षेत्रों में रहने वाले नदी की मछलियांे पर आश्रित मछुआरों को 1000 फैंकवा जाल उपदान पर प्रदान किए जाएंगे।

राज्य में प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना के अन्तर्गत केन्द्र सरकार ने 11.26 करोड़ रुपये जारी किए हैं। इस राशि का उपयोग प्रदेश में मत्स्य पालन से संबंधित गतिविधियों को बढ़ावा प्रदान करने के लिए किया जाएगा। प्रदेश सरकार राज्य में मत्स्य पालन के माध्यम से इससे जुड़े लोगों के सामाजिक और आर्थिक विकास को प्रोत्साहन प्रदान कर रही हैं।

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