Himachal Tonite

Go Beyond News

Jaypee University of Information Technology

हिमाचल कला संस्कृति भाषा अकादमी शिमला द्वारा संतोष शैल्जा को श्रद्धांजलि

शिमला, जनवरी  06 – हिमाचल कला संस्कृति भाषा अकादमी शिमला द्वारा साहित्य कला संवाद की 225वीं कड़ी के माध्यम से प्रदेश की प्रख्यात लेखिका कथाकार कवियत्री उपन्यासकार बाल साहित्य की सुप्रसिद्ध रचयिता स्वर्गीय संतोष शैल्जा को श्रद्धासुमन एवं श्रद्धांजलि अर्पित की गई।

पूर्व मुख्यमंत्री एवं केन्द्रीय मंत्री शांता कुमार ने चण्डीगढ़ के फोर्टिज अस्पताल से संवाद कायम करते हुए विरह और दृढ़ता के मिश्रित भाव से जीवन संगिनी के साथ बिताए समय को सांझा किया। उन्होंने कहा कि जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में, राजनीतिक जिम्मेदारी, प्रदेश व पार्टी के प्रति जिम्मेदारी को सफलतापूर्वक निभाने में शैल्जा के सहयोग के बिना सफल नहीं हो सकता था।

आपातकाल के समय में जेल जाना और शासन के आगे न झुकना केवल संतोष की दृढ़ता से ही संभव हो सका। उन्होंने संतोष को याद करते हुए पंक्ति दोहराई
‘‘तुम्हारे होंठ भी थे बंद और मैं भी चुप था,
फिर वो क्या था जो इतनी देर बोलता रहा,
वो प्यार का एहसास था, वो प्यार का एहसास था।’’

उन्होंने ओशो के शब्द दोहराते हुए कहा कि ‘‘मौन के भी शब्द होते हैं और सन्नाटे का भी संगीत होता है।’’ उन्होंने कहा कि मृत्यु उपरांत संतोष का माथा स्निग्ध और चेहरा जीवन की पूर्णतया के आश्वासन का एहसास दिला रहा था।
उन्होंने लोगों से निवेदन किया कि वे अपना प्यार उन्हें देते रहे। उन्होंने कहा कि मैंने हिम्मत से जीने का निर्णय किया है। हिम्मत प्रभु देंगे, प्यार आप देना और उन्होंने महामारी की इस काल में सभी के स्वास्थ्य एवं सुरक्षा की कामना की, सभी को अपने-अपने घर पर नियमों का पालन करने का सलाह दी।

उन्होंने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी, प्रदेश सरकार मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर, भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा, केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री द्वारा उनका कुशल क्षेम जानने पर सभी का आभार व्यक्त किया। उन्होंने पूरे विश्व को इस त्रास्दी से मुक्ति की प्रभु से कामना की।
वरिष्ठ लेखक सतीश धर का इस आयोजन के माध्यम से बात कह पाने के लिए आभार व्यक्त किया और उन्हांेने विशेष रूप से अपनी बहादुर पोती गरिमा की हिम्मत के प्रति कोटि-कोटि आभार व्यक्त किया, जिसने वीडियो बनाकर उन्हें इस कार्यक्रम से जोड़े रखा।

इस अवसर पर पालमपुर से कार्यक्रम में जुड़ी चंद्र कांता ने संतोष शैल्जा की मां शीर्षक से रची कविता का पाठ किया। उन्होंने संतोष शैल्जा के साहित्य और जीवन यात्रा के संबंध में वीडियो के माध्यम से उनके जीवन यात्रा के बारे में बताया। उन्होंने बताया कि संतोष शैल्जा के साहित्य में जीवन के विविध रंग, सौंदर्य व प्राकृतिक धरातल प्ररेणा स्त्रोत रहे हैं। प्रेम पर अटूट श्रद्धा उनके साहित्य की प्राण शक्ति थी। उनकी रचनाओं में सुन्दर के साथ सत्य व शिव का संगम था। पंजाब और हिमाचल का लोक जीवन उनकी साहित्य भूमि से झांकता था।

राकेश कोरला ने श्रद्धासुमन अर्पित करते हुए उन्हें कुशल गृहणी शिक्षिका के साथ-साथ एक बेहतर इंसान बताया। उन्होंने कहा कि जीवन में उन्हें बेहतर इंसान बनने की प्रेरणा शैल्जा जी से मिली। उन्होंने संतोष शैल्जा के साथ बिताए हुए पलों को याद करते हुए उनके कहानी संग्रह पहाड़ बैगाने नहीं होते का स्मरण करते हुए अपनी भावना प्रकट करते हुए कहा
‘‘पहाड़ खामोश, उदास है,
आपने ही तो कहा था कि पहाड़ बैगाने नहीं होंगे,
पहाड़ आज भी झांक रहे हैं आपके कमरे के दरीचों से,
ढूंढ रहे हैं आपको, मायूस है गम्गीन है,
पहाड़ तो बैगाने नहीं हुए, आप ही उन्हे बैगाना कर गई और हमें भी’’

आशुतोष गुलेरी ने श्रद्धाजंलि अर्पित करते हुए संतोष शैल्जा की मानवता के प्रति दया भाव के सस्मरण सांझा किए।
शिवांगी सिन्हा ने शैल्जा जी के साहित्य पर शोध कार्य किया। गोरखपुर से उन्हें श्रद्धाजंलि अर्पित करते हुए उनके साहित्य में निहित स्त्री विमर्श के संबंध में बात कही।

दिल्ली से जुड़े सतीश धर ने शैल्जा की कविताओं की समीक्षा करते हुए उनकी कविताओं को महिला सशक्तिकरण के साथ-साथ समसामयिक विषयों को उकेरते हुए दृढ़ता पद्रान करती हुई बताया।

हिमाचल कला संस्कृति भाषा अकादमी के सचिव डाॅ. कर्म सिंह ने सम्पूर्ण संवाद का संचालन किया तथा दुख की इस घड़ी में भी पूर्व मुख्यमंत्री एवं केन्द्रीय मंत्री शांता कुमार का संवाद सांझा करने के लिए आभार व्यक्त किए। उन्होंने सभी भाग लेने वाले वक्ताओं का भी आभार व्यक्त किया।

हिंदी लेखन प्रतियोगिता

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *