“पर्यावरण एवं मानवता” पर एक दिवसीय वैबिनार का आयोजन
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विश्व पर्यावरण दिवस दिनांक 5 जून, 2021 में शोध फार्म ढांड़ा पर पौधारोपण समारोह का आयोजन पनचायत प्रधान श्री सुरेश मान , बी.डी.सी. सदस्य, वार्ड सदस्य तथा इस केंद्र के अध्यक्ष, डॉ कल्लोल कुमार प्रामाणिक एबं वैज्ञानिकों डॉ ए के शुक्ला और डॉ संतोष वाटपाडे की उपस्थिति में शुरु पर्यावरण सप्ताह के अनुक्रम में भा.कृ.अनु.प – भा.कृ.अनु.सं , क्षेत्रीय केंद्र , अमरतारा काटेज, शिमला 171004 ने भारतीय स्वतंत्रता के 75 वर्ष के उपलक्ष्य में पर्यावरण सप्ताह समारोह के तहत “पर्यावरण एवं मानवता” पर एक दिवसीय वैबिनार का आयोजन डॉ कल्लोल कुमार प्रमाणिक, अध्यक्ष ने वैज्ञानिकों को लेकर दिनाक 8 जून, 2021 को किया ।
मुख्य अतिथि डॉ ए.के.सिंह, निदेशक, भा.कृ.अनु.प- भा.कृ.अनु.सं थे । कार्यक्रम का शुभारंभ डॉ कल्लोल कुमार प्रमाणिक, अध्यक्ष एवं प्रधान वैज्ञानिक के स्वागत भाषण से हुआ। उन्होंने ने कार्यक्रम की उद्गम के बारे में जानकारी दी एवं प्रतिभागियों को कार्यक्रम के तहत आयोजित किए जाने वाले व्याख्यानों की संक्षिप्त जानकारी दी। डॉ. ए.के. सिंह, निदेशक, भा.कृ.अ.सं. की अनुपस्थिति के कारण डॉ. एस एस सामंत, निदेशक, हिमालय वन अनुसंधान संस्थान, शिमला ने मुख्य अतिथि की भूमिका अदा की तथा पर्यावरण एवं मानवता के विकास पर प्रकाश डाला। पर्यावरण संरक्षण को मोजुदा समय में अति-आवश्यक बताया।
उन्होंने तकनीकी सत्र शुरु होने से पहले वक्ताओं के बारे में संक्षिप्त जानकारी दी । पहले वक्ता डॉ. आनंद सागर, डीन, जीव विज्ञान फैकल्टी, हि.प्र. विश्वविद्यालय, शिमला ने पर्यावरण एवं इसके संरक्षण के विषय पर प्रतिभागियोंको सम्बोधित किया। जानकारी दी ! दूसरे वक्ता डॉ. भूपेंद्र सिंह, प्रमुख पर्यावरण विज्ञान संभाग, भा.कृ.अ.सं., नई दिल्ली ने पर्यावरण प्रदूषण एवं कृषि में उसके प्रभाव के बारे में विस्तृत बताया ! इसके बाद वक्ता श्री रवि शर्मा, समन्वयक,, हिमकोस्टे, शिमला ने पर्यावरण संरक्षण में इको-क्लब के महत्व के बारे में अद्भुत व्याख्यान दिया। अंत में वक्ता डॉ. देवाप्रिय दत्त, प्रमुख, एस.ई.ई.डी. एवं एस.एस.टी.पी., डी.एस.टी., नई दिल्ली ने जलवायु परिवर्तन एवं कोमुनिटि रेसिलियंस के बारे में प्रकाश डाला एबं श्रोताओं को प्रबुद्ध किया ! डॉ ए के शुक्ला ने धन्यवाद ज्ञापन किया।
इस वैबिनार के सफल आयोजन में संस्थान के अध्यक्ष, डॉ कल्लोल कुमार प्रमाणिक के साथ वैज्ञानिको डॉ धर्म पाल, डॉ ए के शुक्ला, डॉ मधु पटियाल और डॉ संतोष वाटपाडे ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इस वैबिनार में लगभग 100 प्रतिभागी शामिल हुये !