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शिंकुला दर्रे के पार करग्याक में फंसे हैं 60 से अधिक लोग

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समंदरतल से 16, 580 फीट की ऊंचाई पर स्थित शिंकुला दर्रे के पार करग्याक में 60 से अधिक लोग फंसे हैं। शिंकुला दर्रा 19 अप्रैल को बर्फबारी के चलते यातायात के लिए बंद पड़ गया था। 28 अप्रैल को शिंकुला मार्ग से दारचा से जांस्कर की तरफ 119 वाहनों को छोड़ा गया था। इसी दिन किमी-35 में विशालकाय हिमखंड सड़क पर गिरने से यह मार्ग फिर से अवरुद्ध हो गया।

इनमें वाहन चालक भी शामिल हैं। इन्हें 15 दिन से अधिक समय से शिंकुला दर्रा खुलने का इंतजार है। ये सभी लाहौल, मनाली और कुल्लू के रहने वाले हैं, जो शिंकुला दर्रा के रास्ते लेह की तरफ मजदूर और सप्लाई लेकर निकले थे। अब उन्हें अपने गंतव्यों की ओर वापस आना है।

अगर सड़क बंद नहीं होती तो जांस्कर छोर से करग्याक में फंसे सभी वाहनों को दारचा की तरफ छोड़ा जाना था। शिंकुला दर्रा मार्ग में स्थानीय वाहनों के लिए वनवे ट्रैफिक है।

एक दिन जांस्कर से मनाली की ओर तथा अगले दिन मनाली से जांस्कर की ओर वाहनों को जाने दिया जाता है। शुक्रवार को शिंकुला मार्ग पर गिरे हिमखंड ने सीमा सड़क संगठन को परेशानी में डाला है। करग्याक में फंसे 60 से अधिक लोग बेसब्री से शिंकुला दर्रा खुलने का इंतजार कर रहे हैं। जगला गांव के वाहन चालक हिशे दोरजे ने करग्याक से दूरभाष पर थोरंग के मनोज आनंद को बताया कि वह 15 दिन से अधिक समय से वहां फंसे हुए हैं।

करग्याक में लगभग 60 से अधिक लोगों के लिए ठहराव की व्यवस्था भी नहीं है। अधिकतर लोग वाहनों में ही दिन, रात निकाल रहे हैं। कई लोगों के जेब में पैसे भी खत्म हो गए हैं। उन्होंने प्रशासन और सीमा सड़क संगठन की योजक परियोजना से गुहार लगाई है कि शिंकुला दर्रा को बहाल कर उन्हें करग्याक से बाहर निकाला जाए। सीमा सड़क संगठन योजक परियोजना के ओआईसी सिद्धांत देशमुख ने बताया कि मार्ग बहाल करने का कार्य युद्धस्तर पर चल रहा है।

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