कंपनी SJPNL को समाप्त कर पेयजल की व्यवस्था नगर निगम के अधीन करने की मांग
1 min readशिमला नागरिक सभा के द्वारा शिमला शहर में लम्बे समय से चल रही पीने के पानी की समस्या व पेयजल की व्यवस्था के निजीकरण के विरोध को लेकर उपायुक्त कार्यालय के बाहर प्रदर्शन किया गया और मांग की गई कि शिमला शहर की पेयजल व्यवस्था के निजीकरण के लिए बनाई कंपनी SJPNL को समाप्त कर पेयजल की व्यवस्था नगर निगम के अधीन की जाए। इसके साथ ही सभी क्षेत्रों में उचित गुणवत्ता वाला पीने के पानी की हररोज नियमित आपूर्ति की जाये। यदि सरकार इन मांगों पर अमल नही करेगी तो शिमला नागरिक सभा सरकार की इन नीतियों के विरुद्ध जनता को लामबंद कर संघर्ष तेज करेगी। इस प्रदर्शन में संजय चौहान, विजेन्द्र मेहरा, अनिल ठाकुर, किशोरी डटवालिया, विवेक कश्यप, कपिल, रमन थारटा, महिन्द्र राणा, कलावती, पूर्ण, अमित, जिया नन्द, दर्शन, सलमान, कपिल, नीतीश, रमा रावत, जगमोहन, विवेक राज, सुनीता, रजनी, राकेश, हेमराज चौधरी आदि ने भाग लिया।
गत 5 वर्षों से शिमला शहर की पेयजल आपूर्ति की व्यवस्था में कोई भी सुधार नहीं हुआ है। 35 से 48 MLS पानी की आपूर्ति के बावजूद आज भी शहर में पानी की राशनिंग जारी है और तीसरे दिन पानी दिया जा रहा है। कई क्षेत्रों में तो 4 से 5 दिनों के बाद पानी मिल रहा है। इसके साथ ही पानी की सप्लाई का कोई भी समय नही है और इससे विशेष रूप से कामकाजी व कार्यालय जाने वाले लोगों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। इसके कारण बड़ी संख्या में लोग पानी नही भर पाते हैं। शहर में पानी की आपूर्ति न तो सर्दी के मौसम में नियमित है ना ही गर्मी के मौसम में और न ही बरसात के मौसम में आपूर्ति नियमित है। आजकल तो शहर में जो आपूर्ति की भी जा रही है वह मटमैला पानी है और इससे जलजनित रोगों की संभावना बढ़ गई है।
गत 5 वर्षों में न तो सरकार व न ही नगर निगम शिमला ने शहर में पेयजल की व्यवस्था सुचारू करने के लिए कोई भी ठोस कदम नहीं उठाये हैं। वर्ष 2018 में सरकार के दबाव में आकर नगर निगम ने पेयजल की व्यवस्था के निजीकरण करने के लिए कंपनी का गठन किया और तबसे लेकर शहर में पीने के पानी की व्यवस्था पूरी तरह से चरमरा गई है। सरकार व नगर निगम की लचर नीतियों के कारण वर्ष 2018 में तो पेयजल संकट के कारण विश्व भर में शिमला शहर की बड़ी बदनामी हुई थी। सरकार ने आज तक उससे कोई भी सीख नही ली है और आज भी पेयजल की किल्लत जस की तस बनी हुई है।
पूर्व नगर निगम द्वारा जो पेयजल व सीवरेज की व्यवस्था के जीर्णोद्धार हेतू वर्ष 2016 में 125 मिलियन डॉलर की जो विश्व बैंक से परियोजना स्वीकृत करवाई गई थी जिससे शहर में 65 MLS अतिरिक्त पानी की व्यवस्था होनी थी और शहर में पेयजल व सीवरेज की व्यवस्था को सही किया जाना था, सरकार व नगर निगम उस पर कोई भी कार्य आरम्भ नही कर पाई है। सरकार एक ओर सेवाओं का निजीकरण कर रही है दूसरी ओर मूलभूत आवश्यकताओं की दरों में भारी वृद्धि कर जनता पर और अधिक बोझ डाल रही है। सरकार की नीति है कि हर वर्ष पानी की दरों में 10 प्रतिशत की वृद्धि की जाएगी और 30 प्रतिशत सीवरेज सेस के रूप में लिया जाएगा। सभा मांग करती है कि इस वृद्धि व सीवरेज सेस को समाप्त किया जाए।
सभा शहर की जनता से अपील करती है सरकार की जनता को पानी जैसी मूलभूत आवश्यकताओं को उपलब्ध न करवाने वाली व आर्थिक बोझ डालने वाली नीतियों के विरुद्ध सब मिलकर संघर्ष करें ताकि जनता के बुनियादी अधिकारों की रक्षा की जा सके।