ख़रीद-फरीख्त की राजनीति शुरू कर भाजपा ने प्रदेश की संस्कृति को कलंकित कियाः सीएम
1 min readमैंने निभाया राजधर्म, भाजपा ने आपदा प्रभावितों को दिखाई पीठः सीएम
कसौली विधानसभा क्षेत्र में गरजे मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू
कसौली विधानसभा क्षेत्र के पट्टा बरौरी में एक चुनावी सभा को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू ने भाजपा पर जमकर निशाना साधा और कहा कि भाजपा ने हिमाचल प्रदेश में ख़रीद-फरोख्त की राजनीति शुरू कर राज्य की संस्कृति को कलंकित किया है। उन्होंने कहा कि पार्टी से ग़द्दारी कर छह कांग्रेस विधायक राजनीतिक मंडी में बिके और अब ख़रीद फरोख्त की राजनीति पर पूर्ण विराम लगाने की ज़िम्मेदारी प्रदेश के मतदाताओं की है। अगर ख़रीद फरोख्त की राजनीति को अभी सबक़ नहीं सिखाया तो यह आगे भी चलती रहेगी। उन्होंने कहा कि कांग्रेस के पास धन बल नहीं है, बल्कि जनबल ही पार्टी की ताक़त है। यह लोकतंत्र को बचाने का चुनाव है और आने वाले चुनाव में प्रदेश के मतदाता भाजपा को एक राज्यसभा सीट चुराने की सजा देकर लोकसभा की चारों सीटें कांग्रेस पार्टी के नाम करेंगे। उन्होंने कहा कि भाजपा वाले वोट ख़रीदने के लिए पैसा लेकर आएँगे। आप पैसे रख लेना लेकिन वोट कांग्रेस पार्टी के प्रत्याशी को ही देना।
मुख्यमंत्री ने कहा कि दागियों ने जनता के साथ नमक हरामी की है और जन भावनाओं से खिलवाड़ किया है। उन्होंने कहा कि पार्टी से ग़द्दारी करने के बाद बिके हुए विधायक एक महीने तक प्रदेश से बाहर भागते रहे और उनके परिवार के सदस्य भी उनके लिए चिंतित थे। जिस दिन बजट पास होना था, उस दिन चंडीगढ़ से सीआरपीएफ़ की सुरक्षा में आए और भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष राजीव बिंदल ने विधानसभा का गेट तोड़ दिया। दागियों ने विधानसभा में आकर अपनी हाज़िरी लगाई और बजट पर वोट किए बिना फिर भाग गए। बिके विधायकों ने नए कोट-पैंट सिला लिए क्योंकि उन्हें लगा कि वह मंत्री बनने वाले हैं, लेकिन उनकी विधानसभा सदस्यता ही रद्द हो गई। फिर दागी विधायक सुप्रीम कोर्ट पहुँचे तो कोर्ट ने भी उन्हें माफ़ी देने से मना कर दिया। उन्होंने कहा कि एक दिन अचानक दागियों ने दिल्ली जाकर भाजपा का पटका पहन लिया। ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि ऐसा पहली बार है जब निर्दलीय विधायक हाथ में इस्तीफ़ा लेकर घूम रहे हैं, प्रदर्शन कर रहे हैं और कोर्ट जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि वह राजनीतिक साज़िशों से घबराने वाले नहीं है क्योंकि आम परिवार से निकला एक बेटा लड़ाई लड़ना चाहता है। मुख्यमंत्री ने कहा कि उनकी लड़ाई नशा माफिया, खनन माफिया और भू-माफिया है और वह प्रदेशवासियों के हितों की हर हाल में रक्षा करेंगे।
उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री रहते हुए जयराम ठाकुर पांच साल सोए रहे और चोरों के लिए दरवाज़े खोल दिए। जिन्हें वर्तमान सरकार ने बंद करके 2200 करोड़ रुपए का अतिरिक्त राजस्व कमाया है और राज्य की अर्थव्यवस्था में बीस प्रतिशत का सुधार आया है। अब जनता का पैसा जनता के बीच बाँटा जा रहा है। महिलाओं को 1500 रुपए पेंशन, गोपालकों को 1200 रुपए महीना, 1.15 लाख विधवा महिलाओं को घर बनाने के लिए तीन लाख रुपए, 70 वर्ष से अधिक आयु के बुजुर्गों का फ्री इलाज, मनरेगा की दिहाड़ी में ऐतिहासिक 60 रुपए बढ़ौतरी, दूध का न्यूनतम समर्थन मूल्य, कर्मचारियों को 4 प्रतिशत डीए, पुलिसकर्मियों की डाइट मनी में पांच गुणा की वृद्धि, राज्य सरकार ने यह सब कुछ इसी अतिरिक्त राजस्व से किया है। उन्होंने कहा कि सभी कर्मचारियों का एरियर क्लीयर किया जा रहा है और वर्तमान राज्य सरकार ने अब तक 7000 विधवाओं को उनके एरियर का पूरा भुगतान कर दिया गया है। राज्य सरकार ने पहली ही कैबिनेट बैठक में पुरानी पेंशन को बहाल किया और हिमाचल भाजपा के नेता दिल्ली जाकर एनपीएस के 9000 करोड़ रुपए केंद्र से वापस दिलाने में रोड़े अटका रहे हैं। उन्होंने कहा कि सवा साल के कार्यकाल में जितनी योजनाएं वर्तमान राज्य सरकार लाई है, उतनी पिछले 75 वर्षों में कभी नहीं आई।
ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा आपदा के समय भाजपा नेताओं ने राज्य के आपदा प्रभावित परिवारों को पीठ दिखाई, जबकि मैंने राजधर्म निभाया। उन्होंने कहा कि भाजपा नेताओं से दिल्ली चलकर आपदा प्रभावितों को आर्थिक मदद दिलाने का आग्रह किया लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया। राज्य सरकार ने अपने संसाधनों से आपदा प्रभावितों को फिर से बसाने के लिए 4500 करोड़ रुपए का पैकेज दिया। उन्होंने कहा कि शिमला से सांसद सुरेश कश्यप ने आपदा प्रभावितों को आर्थिक मदद दिलाने के लिए एक भी डीओ लेटर नहीं लिखा। उन्होंने कहा कि जो सांसद आपदा में आपके साथ नहीं था, उसे सबक़ सीखाना का समय आ गया है। मुख्यमंत्री ने कहा कि लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के प्रत्याशी विनोद सुल्तानपुरी को विजयी बनाएँ, मैं स्वयं कसौली विधानसभा क्षेत्र के विकास को देखूँगा।
उन्होंने कहा कि वर्तमान राज्य सरकार ने अनाथ बच्चों के लिए क़ानून बनाकर उनकी पढ़ाई और देखभाल का खर्च उठाया। राजस्व क़ानूनों में बदलाव कर तीन माह में एक लाख से ज्यादा इंतकाल और सात हजार से ज्यादा तकसीम के लंबित मामलों का निपटारा किया।