नेरचौक अस्पताल में 80 फीसदी मरीज हुए ठीक
1 min readमंडी, 27 नवम्बर : समय पर ईलाज से मरीज कोरोना से जंग जीत रहे हैं। नेरचौक अस्पताल लाए गए 80 फीसदी मरीजों ने समय पर ईलाज से कोरोना की जंग जीती है ।
श्री लाल बहादुर शास्त्री मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल नेरचौक के वरिष्ठ चिकित्सा अधीक्षक डॉ. जीवानंद चौहान ने यह जानकारी देते हुए बताया कि नेरचौक अस्पताल में मंडी के साथ साथ अन्य जिलों से लाए गए 638 कोरोना संक्रमित मरीज ठीक हुए हैं।
उन्होंने कहा कि इसमें खास बात ये है कि लोगांे ने समय पर कोरोना जांच करवाई और रोग का जल्द पता लगने से उनका ईलाज हो सका। उन्होंने बताया कि अस्पताल में लाए गए सैंकड़ों बीमारों-बुजुर्गों ने समय पर ईलाज, देखभाल व अपने मनोबल के दम पर कोरोना का जंग जीती है।
उन्होंने बताया कि अस्पताल में अब तक 901 कोरोना मरीज लाए गए है। इनमें से 638 ठीक होकर अपने घर जा चुके हैं। 21 मामले रैफर किए गए हैं। वर्तमान में अस्पताल में 109 एक्टिव केस हैं और केवल एक मरीज वेंटिलेटर पर है।
अस्पताल आने में देरी से बिगड़ रही स्थितियां
डॉ. जीवानंद चौहान ने कहा कि नेरचौक अस्पताल मंडी के साथ साथ कुल्लू, बिलासपुर, हमीरपुर, कांगड़ा और लाहुल-स्पिति के अलावा चंबा के पांगी क्षेत्र के मरीजों को सेवाएं दे रहा है। अस्पताल में कोरोना के सीरियस मरीज पहुंचते हैं। कोरोना लक्षण आने पर भी लोगों द्वारा डॉक्टर की मदद लेने में देरी करने से स्थितियां बिगड़ रही हैं।
अस्पताल में मरीजों के देरी से पहंुचने के कारण गंभीर मामलों में उन्हें बचा पाना मुश्किल हो जाता है। जरूरी है कि डॉक्टरी मदद लेने में देरी न करें। समय पर सही उपचार मिलने से बहुमूल्य जीवन बचाना संभव है।
लक्षण दिखने पर छुपाएं नहीं, जांच कराएं
वहीं, ऋग्वेद ठाकुर ने लोगों से आग्रह किया है कि कोरोना का कोई भी लक्षण दिखने पर उसे छुपाएं नहीं, बल्कि जांच कराएं और खुद को और परिवार को सुरक्षित बनाएं। घर पर अपनी मर्जी से दवाएं न खाएं, बल्कि तुरंत टैस्ट करवाएं, ताकि समय पर ईलाज से किसी भी प्रकार के खतरे को टाला जा सके।
उन्होंने कहा कि यह पाया गया है कि जिसने भी कोरोना संक्रमण के लक्षण आते ही तुरंत जांच करवाई और रोग का जल्द पता लगने से समय पर नेरचौक अस्पताल में जाकर ईलाज करवाया है वे सभी मरीज ठीक होकर अपने घर गए हैं। इसलिए हमें यह समझने की जरूरत है कि कोरोना जांच से रोग का जल्द पता लगने से समय रहते ईलाज संभव है, जिससे बहुमूल्य जीवन बचाए जा सकते हैं।