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पेयजल की दरों में की गई वृद्धि वापिस ना लेने पर पार्टी करेगी आन्दोलन – संजय

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भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) प्रदेश सरकार और एसजेपीएनएल(SJPNL) कंपनी द्वारा शिमला शहर में पेयजल की दरों में की गई वृद्धि का विरोध करती है तथा सरकार से मांग करती है कि इस जनविरोधी व भेदभावपूर्ण निर्णय को तुरन्त वापिस ले। एक ओर सरकार ने पूरे प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों में पेयजल के बिल मुआफ कर रखें हैं, वहीं दूसरी ओर विश्व बैंक व अन्य अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय संस्थाओं के दबाव में शिमला शहर व अन्य शहरी क्षेत्रों में इस प्रकार के भेदभावपूर्ण व मनमाने निर्णय कर शहरवासियों पर सरकार पेयजल की दरों में वार्षिक 10 प्रतिशत की वृद्धि कर उन पर आर्थिक बोझ डालने का कार्य कर रही है। सरकार व कंपनी द्वारा यह निर्णय ऐसे समय में किया गया है जब पहले से ही लागू की जा रही नीतियों के चलते आम जनता महंगाई से त्रस्त है। ऐसी दशा में सरकार जनता को महंगाई से राहत प्रदान करने के बजाए पेयजल जैसी मूलभूत सेवा की दरो में वृद्धि कर विशेष रूप से शहरी गरीब जनता पर आर्थिक बोझ डाल रही है।
सीपीएम के नेतृत्व में वर्ष 2017 में पेयजल की व्यवस्था के लिए नगर निगम शिमला के अधीन सार्वजनिक क्षेत्र के ग्रेटर शिमला वाटर सप्लाई व सीवरेज सर्किल (GSWSSC) का गठन किया था। परन्तु वर्ष 2018 में बीजेपी की पूर्व सरकार व नगर निगम ने इसे भंग कर शिमला शहर की पेयजल व्यवस्था के निजीकरण के लिए एसजेपीएनएल(SJPNL) कंपनी का गठन किया। कंपनी के गठन के पश्चात शिमला शहर में पेयजल की व्यवस्था पूर्ण रूप से चरमरा गई है और जनता बेहद परेशान हुई है। वर्ष 2018 में सरकार व नगर निगम शिमला के कुप्रबंधन के चलते शिमला शहर में जो पेयजल संकट पैदा हुआ था उससे विश्वभर में शहर की बड़े पैमाने पर बदनामी हुई थी। सीपीएम ने उस समय भी शिमला शहर की पेयजल व्यवस्था के निजीकरण के विरुद्ध आन्दोलन किया था और इस कंपनी को भंग कर शिमला शहर की पेयजल व्यवस्था को नगर निगम शिमला के अधीन करने की मांग की गई थी।
सीपीएम सरकार से मांग करती है कि शिमला शहर में एसजेपीएनएल(SJPNL) कंपनी द्वारा की गई पेयजल की दरों में की गई वृद्धि को तुरन्त वापिस ले तथा ग्रामीण क्षेत्रों की भांति ही शिमला शहर व अन्य शहरी क्षेत्रों में भी ग्रामीण क्षेत्रों की भांति ही पेयजल के बिल मुआफ़ किए जाए। शिमला शहर के पेयजल की व्यवस्था के निजीकरण की नीति पर रोक लगाई जाए तथा इसके लिए गठित कंपनी को तुरन्त भंग कर पेयजल की व्यवस्था नगर निगम शिमला के अधीन किया जाए। यदि सरकार इस जनविरोधी व भेदभावपूर्ण निर्णय को नही बदलती तो पार्टी इसको लेकर जनता को संगठित कर आन्दोलन करेगी।

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