अगर मजदूरों को बहाल न किया गया तो सीटू पूरे प्रदेश के मजदूरों को लामबंद करके इन मजदूरों की बहाली की लड़ाई को तेज करेगा
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108 व 102 एम्बुलेंस सेवा से नौकरी से निकाले गए मजदूरों ने अपनी बहाली व अन्य मांगों को लेकर नेशनल हेल्थ मिशन एमडी कार्यालय कसुम्पटी शिमला के बाहर जोरदार प्रदर्शन किया। खबर लिखे जाने तक कार्यालय के बाहर आठ घण्टे से धरना जारी है और कार्यालय में एनएचएम,मैड स्वान फाउंडेशन कम्पनी व यूनियन पदाधिकारियों के मध्य वार्ता चल रही है। धरने में ठियोग के विधायक राकेश सिंघा,सीटू प्रदेशाध्यक्ष विजेंद्र मेहरा,महासचिव प्रेम गौतम,जगत राम,रविन्द्र कुमार,सुदेश कुमारी,अजय दुलटा,कुलदीप डोगरा,संजय चौहान,कुलदीप तनवर,सत्यवान पुंडीर,जगमोहन ठाकुर,फालमा चौहान,राजेन्द्र ठाकुर,नरेंद्र कुमार,रमन थारटा, अनिल ठाकुर,आशीष पंवर,बालक राम,विनोद बिरसांटा, किशोरी ढट वालिया,दलीप सिंह,सुरेंद्र बिट्टू,बलबीर पराशर,यूनियन संयोजक मनोहर लाल,सह संयोजक प्रवीण कुमार,विजय शर्मा,दीपक कुमार,राजेश चंदेल,मुनीश कुमार,रजनीश कुमार,भूपेंद्र सिंह,धीरज धीमान,अजय कुमार,संजय कुमार,धर्मवीर,संजीव खजूरिया,रंजीव कुठियाला व विवेक कश्यप आदि मौजूद रहे।
राकेश सिंघा,विजेंद्र मेहरा व प्रेम गौतम ने कहा है कि अगर मजदूरों को बहाल न किया गया तो सीटू पूरे प्रदेश के मजदूरों को लामबंद करके इन मजदूरों की बहाली की लड़ाई को तेज करेगा। इस आंदोलन के तहत जिला व ब्लॉक मुख्यालयों पर मजदूरों की लामबंदी होगी। इस क्रम में जेल भरो,गिरफ्तारी,चक्का जाम,धरने,प्रदर्शन व रैलियां आदि शामिल है। उन्होंने प्रदेश सरकार,एनएचएम व मैड स्वान फाउंडेशन कम्पनी प्रबंधन को चेताया है कि वे मजदूरों की सेवाओं को यथावत जारी रखे अन्यथा उनके खिलाफ प्रदेशव्यापी मोर्चाबंदी होगी। उन्होंने एनएचएम प्रबंधन पर मैड स्वान फाउंडेशन कम्पनी से मिलीभगत का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि एनएचएम कम्पनी प्रबंधन के नाक तले पुरानी कम्पनी जीवीके कर्मचारियों के कानूनी लाभों को दिए बगैर कार्य छोड़ गई है परन्तु वह खामोश है। इस तरह कर्मचारियों की सब ओर से लूट की गई है।
108 एवम 102 कॉन्ट्रैक्ट वर्करज़ यूनियन संयोजक मनोहर लाल व सह संयोजक प्रवीण कुमार ने आरोप लगाया है कि कई वर्षों से कार्यरत दो सौ से ज़्यादा पायलट,ईएमटी व कैप्टन सहित एम्बुलेंस कर्मियों को बेवजह गैर कानूनी तरीके से नौकरी से निकाल दिया गया है। उन्होंने कहा कि यह कम्पनी भी पूर्व कम्पनी जीवीके के नक्शेकदमों पर आगे बढ़ रही है। कॉन्ट्रैक्ट बदलने पर सैंकड़ों मजदूरों की छंटनी कर दी गयी है व उनकी जगह भाई-भतीजावाद व सिफारिश के आधार पर नई नियुक्तियां कर दी गयी हैं। प्रदेश सरकार व स्वास्थ्य विभाग इस सब पर खामोश है। उन्होंने मांग की है कि नौकरी से निकाले गए कर्मचारियों को तुरन्त बहाल किया जाए। माननीय उच्च न्यायालय व माननीय न्यायालय शिमला दोनों के निर्णय अनुसार मजदूरों को वेतन दिया जाए। मजदूरों का स्थानांतरण दूसरे जिलों में न किया जाए। इन कर्मचारियों को तुरन्त नियुक्ति पत्र जारी किए जाएं। सभी प्रकार के श्रम कानून लागू किये जाएं।