एसएफआई विश्विद्यालय इकाई ने गलत प्रश्न को लेकर में विश्विद्यालय परीक्षा नियंत्रक को सौंपा ज्ञापन पत्र
1 min readएसएफआई विश्विद्यालय इकाई द्वारा *UG री-अपीयर के रिजल्ट में हो रही देरी एवम PG परीक्षाओं में आ रहे गलत प्रश्न पत्र* के सम्बन्ध में विश्विद्यालय परीक्षा नियंत्रक को ज्ञापन पत्र सौंपा।
हिमाचल प्रदेश विश्विद्यालय के साथ साथ अन्य सभी विश्वविद्यालयों में PG कक्षाओं में दाखिला प्रोसेस शुरू हो गया है। छात्रों ने एंट्रेस पास कर लिया है और अब धीरे धीरे सभी मेरिट लिस्ट लग रही है। लेकिन अभी तक हिमाचल प्रदेश विश्विद्यालय द्वारा स्नातक कक्षाओं के री अपीयर का परीक्षा परिणाम घोषित नहीं किया है। इसका परिणाम यह आ रहा है कि छात्र मानसिक रूप से परेशान हो रहा है कि उसकी एडमिशन हो पाएगी या नहीं? क्योंकि एडमिशन के लिए स्नातक का पूरा परिणाम दिखाना पड़ता है। एस०एफ०आई० का कहना है कि प्रशासन के लिए विश्विद्यालय एक ज्ञान का केंद्र न होकर धीरे धीरे पैसे कमाने का जरिया बनती जा रही है क्योंकि समय पर परिणाम देने की जिम्मेदारी विश्विद्यालय की होती है। जहां विश्विद्यालय को चाहिए था कि समय पर परिणाम निकाल कर छात्रों को राहत दे वहीं यह कांफीडेंशल रिजल्ट के नाम पर पैसे कमाने में जुटे हुए है। अतः एस०एफ०आई० मांग करती है कि UG कोर्स के सभी री अपीयर परिणाम जल्द से जल्द घोषित किये जाएं।
कुछ दिन पहले MA समाजशास्त्र के पेपर में सलेब्स से बिल्कुल भिन्न प्रश्न पत्र आया था जिसके बाद इस पेपर को केंसल कर दिया था तथा इस एग्जाम को री शेड्यूल किया गया। आज विश्विद्यालय में फिर से ऐसा ही एक मामला सामने आया। आज विश्विद्यालय में MA लोक प्रशासन का पेपर था जिसमें पूछा गया प्रश्न पत्र सलेब्स से बिल्कुल ही अलग था। एक तरफ जहाँ विश्विद्यालय छात्र की छोटी सी गलती पर 600 रुपये फीस वसूलता है वहीं दूसरी और अपनी गलती पर री शेड्यूल के नाम से अपनी गलती पर पर्दा डालने का नाम लेता है। एस०एफ०आई० ने मत दिया है कि इस प्रकरण के लिए जो जो अधिकारी जिम्मेदार है उनके खिलाफ भी उचित कार्यवाही भी की जानी चाहिए और साथ ही साथ इस तरह का कोई और मामला सामने न आये इसके लिए प्रशासन को कड़े कदम उठाने चाहिए।
एस एफ आई कैंपस अध्यक्ष विवेक राज ने बताया कि प्रशासन अगर जल्द से जल्द इन छात्र मांगो को पूरा नहीं करता है तो एस एफ आई छात्र समुदाय को एकजुट करते हुए उग्र आंदोलन करेगी जिसकी जिम्मेदारी प्रशासन की होगी।