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विवेकानंद केंद्र शिमला ने आयोजित किया ऑनलाईन युवा विमर्श

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शिमला : विवेकानंद केंद्र कन्याकुमारी के हिमाचल विभाग द्वारा बीते रविवार, 4 जुलाई शाम को, ऑनलाइन माध्यम से युवा विमर्श का कार्यक्रम आयोजित किया गया। कार्यक्रम के मुख्य वक्ता भानुदास जी धाक्रस ने स्वामी विवेकानंद और श्रीमद्भगवद्गीता विषय पर बोलते हुए कर्मयोग, ज्ञानयोग, भक्तियोग और ध्यान योग के बारे में विस्तार से बताया। उन्होंने बताया कि उक्त सभी माध्यम श्रेष्ठ हैं और सबका का समान महत्व है। व्यक्ति अपनी प्रकृति के अनुसार ही किसी एक मार्ग पर चलकर अपने ध्येय को प्राप्त कर सकता है। उन्होंने बताया कि एक दुर्बल व्यक्ति अपनी बुद्धि की नहीं अपितु अपने हृदय की सुनता है।
मुख्य वक्ता ने बताया कि स्वामी विवेकानंद जी को श्रीमद्भगवद्गीता के निम्नलिखित दो श्लोक अति प्रिय थे – क्लैब्यं मा स्म गमरू पार्थ नैतत्त्वय्युपद्यते। क्षुद्रं हृदयदौर्बल्यं त्यक्त्वोत्तिष्ठ परन्तप।। और कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन। मा कर्मफलहेतुर्भूर्मा ते सङ्गोऽस्त्वकर्मणि।। उन्होंने युवाओं से श्रीमद्भगवद्गीता को पढ़ने और उस पर आचरण करने का आह्वान किया।
हिमाचल विभाग प्रमुख प्रदीप ने प्रदेश वासियों से आग्रह किया कि वे अधिक से अधिक संख्या में केंद्र द्वारा आयोजित कार्यक्रमों में बढ़-चढ़ कर हिस्सा लें। उन्होंने प्रदेश के युवाओं को आह्वान किया कि वे अधिक से अधिक संख्या में विवेकानंद केंद्र से जुड़कर, स्वामी विवेकानंद के विचारों को प्रदेश के जनमानस तक पहुँचाने में सहभागी बनें, ताकि भारत माता, एक बार पुनः विश्व गुरू के सिंहासन पर आरूढ़ हो।

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