प्राकृतिक खेती के राष्ट्रीय वेबिनार में हमीरपुर के किसानों ने भी लिया भाग
1 min readहमीरपुर 30 जून – प्रदेश सरकार द्वारा चलाई जा रही ‘प्राकृतिक खेती खुशहाल किसान योजना’ कृषि क्षेत्र में प्रदेश के किसान को आत्मनिर्भर बनाने के लिए सबसे बेहतर विकल्प है। इस खेती को अपनाने से किसानों की उत्पादन में लागत कम आती है, जिससे उनकी आय बढ़ जाती है। जहर मुक्त एवं पोषण युक्त खाद्यानों का उत्पादन कर प्रदेश का किसान जहां सुख-समृृद्धि एवं प्रगति की ओर अग्रसर हो सकता है, वहीं यह उपभोक्ताओं को स्वास्थ्यवर्धक, जहरमुक्त उत्पाद उपलब्ध कर विश्व महामारी के दौर में रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में भी सक्षम है। इसी संदर्भ में राज्य परियोजना कार्यान्वयन इकाई, (‘प्राकृतिक खेती खुशहाल किसान योजना’) शिमला द्वारा किसानों की आय दोगुना करने के उदेश्य से 30 जून बुधवार सुबह दस बजे से सायं 5 बजे तक वर्चुअल तरीके से ‘मिशन प्राकृृतिक खेती’ पर वेबिनार का आयोजन किया गया। इस एकदिवसीय राष्ट्रीय वेबिनार में मुख्यमंत्री हिमाचल प्रदेश जयराम ठाकुर बतौर मुख्यातिथि शामिल हुए। वहीं, इस समारोह में कृृषि मंत्री वीरेंद्र कंवर, डा. राजीव कुमार उपाध्यक्ष नीति आयोग, डा. नीलम पटेल नीति आयोग की वरिष्ठ सलाहकार, डा. अजय शर्मा कृषि सचिव विशेष रूप से उपस्थित रहे। सुभाष पालेकर प्राकृृतिक खेती के अविष्कारक पदमश्री सुभाष पालेकर ने प्राकृृतिक खेती के बारे में लघु किसानों को संबोधित किया एवं अनुभव साझा किए। उन्होंने किसानों को रासायनिक व जैविक खेती की तुलना में प्राकृतिक खेती की विशेषताओं और लाभ के बारे में विस्तृृत जानकारी दी।
सुभाष पालेकर ने कहा कि बीमारी का सबसे बड़ा कारण है प्रतिरोधक क्षमता का कम होना और प्राकृतिक खेती से उत्पन्न उत्पाद ही बीमारियों से दूर रख सकते हैं। उन्होंने कहा कि खेती में जीवाणु सबसे महत्वपूर्ण है एवं जीवाणु की उत्पत्ति के लिए देसी गाय का गोबर सबसे उपयुक्त है, क्योंकि उसके गोबर में जीवाणु प्रचुर मात्रा में होते हैं। पालेकर जी ने कहा कि भूमि में किसी भी प्रकार की रासायनिक या जैविक खाद उर्वरा क्षमता को नहीं बढ़ाती, अपितु उसे नष्ट करती है। सुभाष पालेकर प्राकृतिक खेती विधि से निर्मित उत्पाद मनुष्य को रोग प्रतिरोधक क्षमता प्रदान करते हैं, जिससे उन्हें बीमारियों से लडऩे में मदद मिलती है। उन्होंने कहा कि भूमि को सिंचाई की भी अधिक आवश्यकता नहीं होती है, यदि प्राकृतिक खेती विधि को अपना कर खेती की जाए। अतिरिक्त मुख्य सचिव जेसी शर्मा ने भी प्राकृतिक खेती पर अपना संबोधन दिया। इस वेबिनार को सफल बनाने में ‘प्राकृतिक खेती खुशहाल किसान योजना’ के निदेशक राकेश कंवर और कार्यकारी निदेशक प्रो. राजेश्वर सिंह चंदेल का विशेष योगदान रहा। इस एकदिवसीय वेबिनार में जिला हमीरपुर के 6 विकास खंडों की 248 ग्राम पंचायतों में से लगभग 5 हजार कृषक यूटयूब चैनल के माध्यम से इस वेबिनार का हिस्सा बने और सुभाष पालेकर प्राकृतिक खेती के बारे में विस्तृत जानकारी हासिल की।