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भारतीय संस्कृति का संवर्धन और संचार के नवाचार से युवाओं को जोड़ना भारतीय चित्र साधना का उद्देश्य – प्रो. बृज किशोर कुठियाला

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शिमला, 13 नवंबर – भारतीय संस्कृति के संवर्धन में सिनेमा और मीडिया की भूमिका विषय पर हिमाचल प्रदेश भाषा कला एवं संस्कृति अकादमी के लाइव कार्यक्रम साहित्य कला संवाद के 619वें प्रसारण में प्रोफेसर बृज किशोर कुठियाला से कार्यक्रम सम्पादक हितेन्द्र शर्मा और संवादकर्ता भारती कुठियाला ने विस्तृत चर्चा की।

प्रो. बृज किशोर कुठियाला कहा कि संचार क्रांति के युग में फिल्म और मीडिया अभिव्यक्ति के सशक्त माध्यम हैं। भारतीय सिनेमा के आरम्भिक काल में भारतीयता की झलक स्पष्ट दिखाई देती थी।

साठ के दशक में भारतीय संस्कृति जीवन मूल्यों को जन जन तक ले जाने में सिनेमा का अद्वितीय योगदान रहा है। आज़ादी के बाद भी नया दौर , दो बीघा ज़मीन , मदर इण्डिया जैसी फिल्मों का निर्माण हुआ, लेकिन बीच में कुछ दशक सिनेमा के मनोरंजन का साधन बन कर रह गया।

उन्होंने कहा कि भारतीय चित्र साधना का उद्देश्य भारतीय संस्कृति का संवर्धन और संचार के नवाचार से युवाओं को जोड़ना है। फिल्म विधा से जुड़े कलाकारों, स्क्रीन प्ले राइटर्स, कैमरामैन सभी की रचनाधर्मिता को पंख देकर आगे ले जाना है।

भारतीय चित्र साधना द्वारा वर्ष 2016 में प्रथम फिल्मोंत्सव का आयोजन इन्दौर में किया गया। द्वितीय फिल्मोंत्सव 2018 में दिल्ली में हुआ और भारतीय चित्र साधना के सौजन्य से तृतीय फिल्मोंत्सव फरवरी 2020 में अहमदाबाद में करवाया गया।

चौथा फिल्मोंत्सव 18,19, 20 फरवरी 2022 को भोपाल में सम्पन्न होगा। फिल्मोंत्सव में लघु फिल्म, एनिमेशन और कैम्पस फिल्में भेजने की तिथि 1 सितम्बर 2021 से 30-11-2021 है। इस फिल्मोंत्सव में दस विषयों पर फिल्में भेजी जा सकती है। इस आयोजन में लगभग दस लाख रुपये की राशि के पुरुस्कार प्रदान किये जाएंगे।

संचार के नवाचार के युग में भारतीय चित्र साधना के अध्यक्ष प्रोफेसर बृज किशोर कुठियाला का योगदान अद्वितीय है। वर्तमान में हरियाणा राज्य उच्च शिक्षा परिषद् और बौद्धिक विमर्श के लिए समर्पित पंचनद शोध संस्थान के अध्यक्ष हैं।

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