बच्चों को लैपटाप देने वाला नार्थन इंडिया का पहला कोचिंग इंस्टीच्यूट बना यूटोपिया
1 min readपहले चरण में 6 बच्चों को मिले लैपटाप, अगले चरण में फिर बाटेंगे लैपटाप, सौ बच्चों को देंगे टैब्स
शिमला। कोचिंग की दुनिया में अपने नए नए प्रयोग के लिए जाने जाना वाले यूटोपिया लर्निंग सेटर ने बुधवार को शिमला में अपने छह बच्चों को लैपटाप बाटें। ऐसा करने वाला यूटोपिया नार्थन इंडिया का पहला कोचिंग इंस्टीच्यूट बन गया है। इस दौरान पत्रकार वार्ता को संबोधित करते हुए यूटोपिया र्लनिंग इंस्टीच्यूट के एमडी कपिल जैन ने बताया कि अभी पहले चरण में अलग अलग फील्ड में कोचिंग ले रहे छह बच्चों को लैपटाप दिए गए हैं। इसके बाद अदगले चरण में कुछ और बच्चों को भी लैपटाप दिए जाने हैं। उन्होंने बताया कि ये लैपटाप बच्चों को एक स्कालपशिप के तौर पर दिए जा रहे हैं। के लिए बाकायदा सभी बच्चों का एक टेस्ट लिया जाता है और काबिल बच्चों को लैपटाप प्रदान किए गए।
कपिल जैन ने कहा कि आजकल पढ़ाई हो या कोई अन्य क्षेत्र सभी में आनलाइन कक्षाएं या लर्निंग चल रही है। मोबाइल में जूम कर करके आंखों पर दबान न पढ़े इसके लिए आने वाले दिनों में सौ बच्चों टाब्स प्रदान करने की भी योजना है।
इससे पहले संस्थान के लैपटाप वितरण कार्यक्रम में आदर्श विद्यालय पोर्टमोर के प्राधनाचार्य नरे कुमार सूद बतौर मुख्यातिथि शामिल हुए। उन्होंने कहा कि वर्तमान समय में कोरोना के कारण स्कूल बंद होने से कोचिंग संस्थानों की महत्ता और बढ़ गई है। उन्होंने कहा कि वर्तमान समय को देखते हुए संस्थान के लैपटाप देने से निश्चित तौर पर बच्चे लाभान्वित होंगे।
कोटा से तीन गुना कम शुल्क में करवाते हैं यहां कोचिंग
एमडी कपिल जैन ने कहा कि उनका स्थान वर्ष 1997 से कोचिंग जुड़ा है। वक्त के साथ साथ कोचिंग के तौर-तरीकों में भी बदलाव किए गए। उनका प्रयास है कि जो अभिभावक अपने बच्चों को कोचिंग के लिए कोटा भेजते हैं, उन्हें यहीं बेहतरीन कोचिंग सुविधाएं प्रदान की जाए। उन्होंने कहा कि यहां अपने राज्य में तीन गुना कम शुल्क अदाकर आपको बेहतरीन कोचिंग की सुविधाएं प्राप्त होती हैं।
कपिल जैन ने कहा कि जब 1997 में संस्थान शुरू हुआ था तो इसके पास केवल तीन छात्र थे। संस्थान के अब तक 74 छात्र ऐसे निकले हैं देश से लेकर विदेश तक में अपने बेहतरीन काम के बल पर देश दुनिया में न केवल अपना बल्कि हिमाचल का नाम भी कर रहे हैं।