विकास के कार्यों में कट लगा कर पेश किया सरकार ने अपना दिखावटी आपदा राहत पैकेज : बिक्रम ठाकुर
ऊना : प्रदेश सरकार द्वारा आपदा लिए घोषित 4500 करोड़ के विशेष राहत पैकेज सिर्फ आंकड़ों का खेल है इसमें वास्तविकता में प्रदेश सरकार का सहयोग न के बराबर है।भाजपा के पूर्व उद्योग मंत्री बिक्रम ठाकुर ने मीडिया से वार्ता करते आरोप लगाया है।उन्होंने कहा कि सरकार ने आपदा के दौर में केंद्र से मिली मदद को भी विशेष राहत पैकेज में शामिल कर लिया। ब्लाक स्तर पर आपदा प्रभावितों की फेहरिस्त कांग्रेस कार्यकर्ता तैयार कर रहे हैं।
उन्होंने कहा सरकार की तरफ से घोषित पैकेज में अधिकांश राशि में केंद्र सरकार का योगदान है। इसमें मनरेगा के एक हजार करोड़ रुपए सीधे केंद्र सरकार की तरफ से मिलने है मनरेगा केंद्र की योजनाओं है और पैसा भी केंद्र से ही आता है । इसके अलावा प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत स्वीकृत 6500 आवास के 100 करोड़ रुपए भी पैकेज में डाल दिए गए हैं। एसडीआरएफ के तहत मिले 361 करोड़ रुपए, ऑडिट ऑब्जेक्शन के कारण रुके 315 करोड़ रुपए में से 190 करोड़ रुपए और केंद्र से एनडीआरएफ से मिली 225 करोड़ की रकम के साथ साथ कर्मचारियों, आम लोगों व राज्य सरकारों द्वारा आपदा राहत कोष में मिली 225 करोड़ की रकम को भी इस सरकार ने प्रदेश आपदा पैकेज में दिखाया है।
उन्होंने आरोप लगाया कि राज्य सरकार ने उपायुक्त के माध्यम से स्थानीय शहरी निकायों एवं पंचायती विशेष राहत पैकेज में शामिल किया राज संस्थाओं को दी जाने वाली राशि को भी वापिस ले कर इस राहत पैकेज की गिनती को बढ़ाने के लिए वापिस ले लिया गया। उन्होंने कहा कि जगह जगह विकास कार्यों में कट लगा कर पैकेज तैयार किया है। ऐसे में सरकार बताए कि उसने अपने हिस्से से क्या काम किया?
बिक्रम ठाकुर ने सरकार को घेरते हुए कहा कि सुखू जी आप जनता या कर्मचारियों के हितैषी होने का नाटक न करें जिन कर्मचारियों ने आपको आँखों पर बैठा कर प्रदेश का मुख्यमंत्री बना दिया आज आप उन्ही को सड़कों पर लेकर आ गए हैं। कोविड में जिन लोगों ने अपनी जान पर खेल लोगों कि जान बचाई आज सड़को पर है, 2महीने के बच्चे को गोद में लेकर मां धरने पर बैठी है आज तक के राजनितिक कार्यकाल में किसी सरकार के लिए मात्र 10 महीने में ऐसा असंतोष आज तक हमनें नही देखा है।
उन्होंने कहा पिछले कल तो सरकार ने हद ही कर दी जहाँ जिला परिषद के लोग जो अपनी मांग को लेकर धरने पर बैठे हैं उन्हें पिछले कल अपना तुगलकी फरमान जारी करते हुए 167जेई को बाहर का रास्ता दिखा दिया। जहाँ आपदा के समय इन लोगों की जरूरत प्रशासन को नुकसान का आंकलन करने के लिए थी परंतु शायद सरकार उसके लिए गंभीर नही अन्यथा बातचीत से किसी बात का हल न हो यह मुमकिन नही। इसलिए प्रदेश सरकार के पास अभी भी समय है अपने यारों के विकास पर ध्यान देने के बजाय प्रदेश के विकास पर ध्यान दें।