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महिलाओं को बताईं ‘रीजनल एंड सीजनल’ खाद्यान्नों की खूबियां

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सुजानपुर 02 अप्रैल। बाल विकास परियोजना अधिकारी कार्यालय सुजानपुर ने आम लोगों विशेषकर महिलाओं को पोषण के प्रति जागरुक करने के लिए रविवार को राष्ट्रीय पोषण पखवाड़े के तहत वृत्त स्तरीय संगोष्ठियां आयोजित कीं। ‘क्षेत्रीय एवं मौसमी पोषण व्यवहार’ यानि रीजनल एंड सीजनल डाइटरी प्रैक्टिसेज विषय पर स्वयं सहायता समूहों और महिला मंडलों के लिए आयोजित इन संगोष्ठियों में महिलाओं को सही पोषण, संतुलित एवं पौष्टिक आहार तथा स्थानीय स्तर पर उपलब्ध पौष्टिक अनाज और फल-सब्जियों के बारे में विस्तृत जानकारी प्रदान की गई।
बाल विकास परियोजना अधिकारी कुलदीप सिंह चौहान ने बताया कि इन संगोष्ठियों में बड़ी संख्या में महिलाओं ने भाग लिया। उन्होंने कहा कि भारत जैसे विशाल और विविधता वाले देश में कुपोषण उन्मूलन के लिए क्षेत्र विशेष और मौसम विशेष के अनुसार अलग-अलग हस्तक्षेपों की आवश्यकता है। उन्होंने बताया कि अधिकतर मामलों में कुपोषण का कारण लोगों में सही पोषण ज्ञान का अभाव है। इसके अलावा कई फल-सब्जियों को लेकर आम लोगों में कई भ्रांतियां भी व्याप्त हैं। उदाहरण के तौर पर आज भी ग्रामीण क्षेत्रों में यह भ्रांति है कि पपीता खाने से गर्भपात की आशंका रहती है, जबकि सत्य यह है कि पपीता फौलेट, फाइबर, कॉपर, मैग्नीशियम, पोटेशियम और विटामिन विशेषकर विटामिन-सी का श्रेष्ठ भंडार है। इसी तरह जागरुकता के अभाव में अधिकांश लोगों ने भारत के पारंपरिक मोटे अनाजों को अपने दैनिक आहार से बाहर ही कर दिया है, जबकि ये अनाज बहुत ही पौष्टिक एवं गुणकारी होते हैं। इनकी खेती भी बहुत ही आसान एवं सस्ती होती है जोकि किसानों के लिए भी वरदान साबित हो सकती है।
कुलदीप सिंह चौहान ने बताया कि सुजानपुर खंड में महिलाओं को मोटे अनाज की महत्ता से अवगत करवाया जा रहा है, ताकि अधिक से अधिक लोग इन्हें अपने दैनिक आहार में शामिल कर सकें।

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