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मिड-डे मील वर्कऱज़ को पिछले चार महीनों का वेतन भुगतान तुरंत जाए किया

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हिमाचल प्रदेश मिड-डे मील वर्करज यूनियन सम्बन्धित सीटू राज्य कमेटी ने अपनी मांगों को लेकर पंचायत भवन शिमला से लेकर प्रारंभिक शिक्षा निदेशक कार्यालय तक एक जोरदार रैली का आयोजन किया। इस दौरान मध्याह्न भोजन कर्मियों ने निदेशक कार्यालय के बाहर दो घण्टे तक जमकर प्रदर्शन किया। यूनियन का प्रतिनिधिमंडल संयुक्त शिक्षा निदेशक से मिला व उन्हें ग्यारह सूत्रीय मांग-पत्र सौंपा। यूनियन ने चेताया है कि यदि मांगों को शीघ्र नहीं माना गया तो मिड-डे-मील वर्करज यूनियन उग्र आंदोलन करेगी। रैली में सीटू प्रदेशाध्यक्ष विजेंद्र मेहरा, सीटू जिला महासचिव अजय दुल्टा, यूनियन राज्य महासचिव हिमी देवी, बालक राम, राम प्रकाश, दलीप सिंह, निर्मला देवी, कौशल्या देवी, मीरा,रमा, ध्यान चंद कालटा, मलकू, दयानंद, सीता राम, अनिल, भूमि देवी, शांति,सत्या आदि मौजूद रहे।

धरने को सम्बोधित करते हुए यूनियन प्रदेश महासचिव हिमी देवी ने कहा कि वर्कऱज़ को पिछले चार महीनों से वेतन का भुगतान नहीं किया गया है। उसका भुगतान तुरंत किया जाए व प्रतिमाह निश्चित समय पर वेतन दिया जाए। मार्च 2020 से कोविड के चलते स्कूलों में ताजा पका हुआ खाना नहीं दिया रहा है। अब सरकार ने सभी स्कूलों को खोल दिया है इसलिए अब प्रदेश में तुरन्त बच्चों को ताजा पका हुआ भोजन दिया जाए। हि०प्र० के स्कूलों में मल्टी-टास्क वर्करज़ की भर्तियों की जा रही हैं। उन्होंने मांग की है कि मल्टी टास्क वर्करज़ भर्ती में मिड-डे मील वर्करज को प्राथमिकता दी जाए। उन्होंने कहा कि 30 नवम्बर 2014 को उच्च न्यायालय द्वारा फैसला दिया गया था कि मिड-डे मील वर्करज को दस के बजाय बारह महीने का वेतन दिया जाए। प्रदेश की भौगोलिक परिस्थिति को देखते हुए वर्करज के लिए पच्चीस बच्चों की संख्या को हटाया जाए व प्रत्येक स्कूल में अनिवार्य रूप से दो वर्करज को नियुक्त किया जाए। वर्करज़ को नौ हजार रुपये मासिक वेतन दिया जाए। उन्हें तुरंत ई-श्रम पोर्टल में पंजीकृत किया जाए व ई-श्रम कार्ड की मुफ्त सुविधा दी जाए।

उन्होंने मांग की है कि मिड-डे-मील वर्करज को हरियाणा की तर्ज पर एक वर्ष में दो वर्दियां दी जाएं। मिड-डे-मील वर्करज़ की चुनाव में डयूटी न लगाई जाए व यदि लगाई जाए तो ‘उन्हें सरकारी दर के हिसाब से तीन सौ रुपये दिहाड़ी दी जाए। उन्होंने कहा कि मिड-डे-मील योजना का निजीकरण न किया जाए। मिड-डे-मील वर्कऱज़ को आकस्मिक, अर्जित व मैडिकल अवकाश दिया जाए।

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