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नगर निगम द्वारा पेश किया गया अंतिम बजट भाजपा के ट्रिपल इंजन के पांच वर्ष के कार्यकाल की विफलता को करता उजागर

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भारत की कम्युनिस्ट पार्टी(मार्क्सवादी) की जिला कमेटी का मानना है कि भाजपा शासित नगर निगम द्वारा पेश किया गया अंतिम बजट वर्ष 2022-23 का जो पेश किया गया है वह भाजपा के ट्रिपल इंजन के पांच वर्ष के कार्यकाल की विफलता को उजागर करता है। इस बजट में स्पष्ट है कि न तो पांच वर्ष के कार्यकाल भाजपा कोई नई परियोजना शिमला शहर के लिए ला पाई है और न ही पूर्व नगर निगम द्वारा स्वीकृत व चलाई जा1 रही परियोजनाओं को पूर्ण कर पाई है। पांच वर्ष के कार्यकाल में भाजपा ने अपने संसाधनों के निजीकरण व जनता पर टैक्स बढ़ाने के अलावा कोई भी कार्य नहीं किया है। इन पांच वर्षों में कूड़ा उठाने की फीस में 100 प्रतिशत से अधिक, पेयजल की दरों में 70 से 200 प्रतिशत से अधिक, इसके अतिरिक्त अन्य आवश्यक सेवाओं, प्रॉपर्टी टैक्स व दुकानों के किराए में वृद्धि की गई है। जनता पर भरी भरकम टैक्स का बोझ डालने के बावजूद नगर निगम अपनी आय बढ़ाने में पूर्णतः विफल रही है। आज यदि इस बजट में देखें तो गत वर्ष की तुलना में आय में स्पष्ट कमी आई है। इस बजट में गत वर्ष की तुलना में 7158.13 लाख रुपए की कमी स्पष्ट रूप से दर्शाता है कि वर्तमान भाजपा की नगर निगम शहर के विकास में पूर्णतः विफल रही है। बजट में स्पष्ट रूप से शहर के विधायक व शहरी विकास मंत्री की कार्यशैली पर भी प्रश्नचिन्ह लगा है। न तो कोई नई परियोजना शहर के लिए ला पाए और न ही अपनी विधायक निधि को शहर के विकास के लिए उचित रूप से इस्तेमाल किया है। नगर निगम को मात्र 16.50 लाख रुपए ही विधायक निधि से नगर निगम को विकास कार्यों हेतू दिये गए हैं।
बजट में केवल सीपीएम के नेतृत्व में पूर्व नगर निगम शिमला के द्वारा 2012 से 2017 तक अपने कार्यकाल में लम्बे संघर्ष के बाद करोड़ों रुपए की जो परियोजनाएं स्वीकृत करवाई थी केवल इन्हीं का व्याख्यान किया गया है। इनमे मुख्यतः 2906 करोड़ रुपए की स्मार्ट सिटी, 125 मिलियन डॉलर(950 करोड़ रुपए) की विश्व बैंक की पेयजल व सीवरेज व्यवस्था के जीर्णोद्धार, 243 करोड़ रुपए की अम्रुत, 200 करोड़ रुपए की टूटीकंडी से मालरोड की रोपेव, 66 करोड़ रुपए की शिमला शहर की सौंदर्यीकरण, 33 करोड़ रुपए की शहरी गरीब के लिए आवास, 29करोड़ रुपए की लागत से टूटू व 10करोड़ रुपए की लागत से पंथाघाटी व मेहली के लिए सीवरेज प्लांट, 4.5 करोड़ रुपए तहबाजारी के लिये लिफ्ट के पास आजीविका भवन, 4 लेबर होस्टल का निर्माण, दाड़नी के बगीचा में सब्ज़ी मण्डी का निर्माण, 5 करोड़ रुपए से कार्ट रोड को चौड़ा करने, आई जी एम सी में पार्किंग व लिफ्ट तथा इसके अतिरिक्त शहर के विभिन्न क्षेत्रों में करोड़ो रूपये की पार्किंग व पार्कों के निर्माण की परियोजनाएं स्वीकृत करवाई गई व इसका निर्माण आरम्भ किया गया था। बजट दस्तावेज में केवल इन्हीं परियोजनाओं को दर्शाया गया है इससे स्पष्ट है कि गत पांच वर्ष के कार्यकाल में नगर निगम कोई भी कार्य विकास नहीं कर पाई है।
बजट में किये गए स्मार्ट सिटी व अन्य परियोजनाओं के व्याख्यान से स्पष्ट है कि आपने 5 वर्ष के कार्यकाल में नगर निगम इन परियोजनाओं को गति नहीं दे पाई है। स्मार्ट सिटी परियोजना का अभी तक केवल सात प्रतिशत (213 करोड़ रुपए) ही खर्च कर पाई है और स्मार्ट सिटी की मूल परियोजना में फेर बदल कर केवल चेहते ठेकेदारों को फायदा देने के लिए सड़कों में डंगे लगाने का ही कार्य किया जा रहा है। इसमें मुख्य योजनाओं जिसमे स्मार्ट ट्रैफिक मैनेजमेंट व ट्रासंपोर्ट, पुरानी सब्जी मंडी, अनाज मण्डी व लक्कड़ मण्डी को स्थान्तरित कर इनके स्थान पर आधुनिक बहुउद्देश्यीय परिसरों का निर्माण, रिपन अस्पताल का पुनर्निर्माण आदि जनसरोकार की महत्वपूर्ण परियोजनाओं को बिल्कुल नजरअंदाज किया गया है। विश्व बैंक की सहायता से पेयजल व सीवरेज के जीर्णोद्धार की परियोजना भी जमीनी स्तर पर नहीं दिखाई दे रही है व पर्यटन की दृष्टि से महत्वपूर्ण टूटीकंडी से माल रोड तक रोपवे परियोजना स्वीकृति के बावजूद भी नगर निगम आरम्भ ही नहीं कर पाई है जबकि इसके साथ ही स्वीकृत की गई धर्मशाला में रोपवे ने कार्य करना आरम्भ भी कर दिया है। नगर निगम की इस लचर कार्यशैली से इनका शहर के विकास के प्रति नकारात्मक रवय्या उजागर हुआ है।
सीपीएम आगामी नगर निगम चुनावों में भाजपा के पांच वर्ष के विफल कार्यकाल व इनकी आम जनविरोधी नीतियों व विकास के प्रति नकरात्मक रवय्ये को जनता के समक्ष उजागर करेगी और जनहित की वैकल्पिक नीतियों के साथ जनता के समक्ष आगामी नगर निगम चुनाव में एक सशक्त विकल्प पेश करेगी।

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