Himachal Tonite

Go Beyond News

पढ़ाई जुनून ने दृष्टिबाधित शालिनी को दिलाया लैपटॉप 

1 min read

उमंग की छात्रवृत्ति ने दृष्टिबाधित छात्राओं के सपनों में भरे रंग

शिमला। आंखों में ऊंचे सपने और दिल में पढ़ाई का जुनून हो तो नज़र का अंधेरा बाधा नहीं बन सकता। उमंग फाउंडेशन की मेरिट छात्रवृत्ति विजेता, पूर्णतः दृष्टिबाधित शालिनी उन मेधावी विद्यार्थियों में शामिल है जिन्हें सरकार ने 12 वीं में उच्च अंक प्राप्त करने के इनाम में लैपटॉप दिए।

शिमला के प्रतिष्ठित आरकेएमवी कॉलेज से अब बीए कर रही चंबा के दूरदराज क्षेत्र की यह छात्रा एचएएस अधिकारी बनना चाहती है। उमंग फाउंडेशन ने भी उसे कुछ वर्ष पूर्व लैपटॉप दिया था जिससे उसे पढ़ाई में काफी मदद मिली। उमंग फाउंडेशन प्रदेश के दूरदराज क्षेत्रों की निर्धन वर्ग की दृष्टिबाधित छात्राओं को मेरिट छात्रवृत्ति, लैपटॉप, मोबाइल फोन एवं डेज़ी प्लेयर आदि पढ़ाई के उपकरण देकर उनके सपनों में रंग भर रहा है।

उमंग फाउंडेशन के अध्यक्ष प्रो. अजय श्रीवास्तव ने बताया कि शालिनी ने शिमला के पोर्टमोर स्कूल से 12वीं की परीक्षा 84.4% अंक लेकर पास की थी।  स्कूल के प्रिंसिपल नरेंद्र सूद ने उसे सरकार की योजना के अंतर्गत लैपटॉप प्रदान किया। इससे पहले भी उमंग की मेरिट स्कॉलरशिप प्राप्त करने वाली मेधावी दृष्टिबाधित छात्राओं -मुस्कान और कुसुम को भी सरकार ने लैपटॉप दिए थे। मुस्कान हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय में पीएचडी स्कॉलर है और नेट भी पास कर चुकी है। कुसुम लुधियाना में नौकरी कर रही है।

चंबा के बेहलीलोला गांव के मोहिंदर सिंह और पुष्पा देवी की पुत्री शालिनी और उसका एक भाई ध्रुव पूर्णतः दृष्टिबधित हैं। ध्रुव शिमला के ढली स्थित दृष्टिबाधित बच्चों के विद्यालय में पड़ता है। अत्यंत सामान्य ग्रामीण किसान परिवार के यह बच्चे शुरू से ही पढ़ाई में अत्यंत प्रतिभावान हैं।

शालिनी ने दसवीं की परीक्षा 73% अंकों के साथ पास की थी। वह उमंग फाउंडेशन की मेरिट स्कॉलरशिप पर आरकेएमवी कॉलेज से बीए कर रही है। जब वह पोर्टमोर स्कूल में थी तब फाउंडेशन ने उसे लैपटॉप दिया था जिससे उसकी पढ़ाई आसान हो गई । वह टॉकिंग सॉफ्टवेयर के माध्यम से लैपटॉप पर सभी काम कर लेती है। पढ़ाई के लिए वह ऑडियोबुक्स और ई रिसोर्सेज का इस्तेमाल करती है। पढ़ाई के अलावा वह फेसबुक जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर भी सक्रिय रहती है।

ऑनलाइन पुस्तकालयों से भी उसे मदद मिलती है। परीक्षा में लिखने के लिए वह राइटर लेती है। इस काम में कॉलेज की सहायक प्रोफेसर और हॉस्टल वार्डन डॉ ज्योति पांडे उसकी मदद करती हैं। कक्षा में शिक्षक का लेक्चर रिकॉर्ड कर वह हॉस्टल में ब्रेल लिपि से अपने नोट्स बनाती है।

शालिनी कहती है कि वह हिमाचल प्रदेश प्रशासनिक सेवा में जाना चाहती है। वह ग्रेजुएशन करने के बाद प्रतियोगी परीक्षाओं की कोचिंग भी लेना चाहती है। प्रो. अजय श्रीवास्तव ने कहा, “हम प्रदेश के विभिन्न महाविद्यालयों में दृष्टिबाधित बेटियों की पढ़ाई में मदद कर रहे हैं। समाज अक्सर दृष्टिबाधित बेटियों की उपेक्षा कर देता है। हमारा मानना है कि दृष्टिबाधित बेटियां भी हमारी अपनी हैं। उन्हें भी पढ़ने और आगे बढ़ने का पूरा हक है। हम उनके अधिकारों के संरक्षण के लिए भरपूर प्रयास करते हैं।”

आरकेएमवी में शालिनी के अलावा कौशल्या और मोनिका आदि मेधावी दृष्टिबाधित छात्राएं उमंग फाउंडेशन की मेरिट स्कॉलरशिप के जरिए पढ़ाई कर रही हैं। इससे पूर्व मुस्कान, इन्दु, कुसुम, संगीता, भावना, मोनिका, कमलेश, यशोदा, अंजना, निशा, वीना और चन्द्रमणि आदि दृष्टिबाधित छात्राएँ उमंग की मेरिट स्कॉलरशिप से उच्च शिक्षा प्राप्त कर चुकी हैं। इनमें से कुछ को लैपटॉप और अन्य को डेज़ी प्लेयर नामक उपकरण भी दिया गया था जो उनकी पढ़ाई में सहायक रहा। इनमें से कई अब सरकारी नौकरी में हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *