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स्पीच थेरेपी : – अन्य लोगों से बातचीत में नहीं होगी परेशानी

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 • जिला विकलांगता पुनर्वास केंद्र में दी जा रही है निःशुल्क सेवाएं एक शोध के अनुसार भारत में साल से नौ प्रतिशत लोगों को सुनने बोलने और समझने में परेशानी होती है । इसमें से 14 प्रतिशत केवल स्पीच डिसऑर्डर यानी बोलने से जुड़ी हुई है । स्पीच थेरेपिस्ट की माने तो कम उम्र में ही इसके उपचार की ओर ध्यान देना समस्या को बढ़ने से रोक देता है । स्पीच थेरेपी में विभिन्न तकनीकों का प्रयोग समस्याओं के प्रकार के अनुसार किया जाता है । जिला कुल्लू में सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग द्वारा प्रायोजित तथा जिला रेडक्रॉस सोसायटी कुल्लू द्वारा संचालित , जिला विकलागता पुनर्वास केंद्र क्षेत्रीय अस्पताल परिसर में स्थापित किया गया है । केंद्र में श्रीमती मनीषा गर्ग सीनियर स्पीच थेरेपिस्ट श्री ललित सिंह जूनियर स्पीच थैरेपिस्ट के पद पर कार्यरत है । बच्चों और वयस्को का उपचार करने जिसमें सपष्ट उच्चारण में समस्या तुतलाना हकलाना , अधरंग या नाडी तब की अन्य कोई समस्या कान , नाक और की समस्या के कारण स्पष्ट बातचीत न कर पाने का इलाज स्पीच थेरेपी द्वारा किया जा रहा है । मरीज को प्रतिदिन 15 से 20 मिनट का सत्र लेना पड़ता है । डॉ ० मनीषा गर्ग बताती है कि व्यस्क व बच्चों के लिए उपयुक्त थैरेपी का निधारण उनकी आवश्यकता के अनुसार किया जाता है । इसके बाद स्पीच थैरेपिस्ट बच्चे की कमजोरियों को दूर करने के लिए मनोरंजक तरीकों का उपयोग करते हैं , ताकि बच्चा उसमें पुरे मन में भाग ले सके या उसे घरेपी का लाभ मिल सके । इसमें बच्चों व वयस्कों के जीभ और फेफड़ों को मजबूत बनाने वाले व्यायाम जैसे कि सीटी बजाना शब्दों को दोहराना , निगलने सम्बन्धी विकार का प्रशिक्षण व टंग विस्टर का प्रयोग शामिल है । इन लोगों को मिला लाभ : स्पीच थेरेपिस्ट मनीषा गर्ग ने बताया कि उनके यूनिट दवारा गत वर्ष लगभग 195 लोगों को स्पीच थरेपी दी गई । जिनमें कुछ उल्लेखनीय मामलों की जानकारी देते हुए उन्होंने बताया कि , एक मरीज जिसे बेन स्ट्रोक के कारण अधरंग हो गया था । जाब से पता चला कि मरीज के शरीर के दाई तरफ का हिस्सा कमजोर पाया गया . जिस कारण से मरीज का बोलने में समस्या आने लगी । इलाज के दौरान बोलने की समस्या की जाँच व उपचार के लिए व्यक्ति को जिला विकलांगता पुनर्वास केंद्र कल्लू में स्पीच थैरेपिस्ट के पास रैफर किया स्पीच थरपिस्ट दवारा जाँच में बोलने की गुणवता में अस्पष्टता पाई । गुणवता मापने के पैमाने में मरीज ने 6 में से 4 . अक प्राप्त किये । स्ट्रोक के कारण मरीज को बातचीत में समस्या आ रही थी तथा टूट फुरे शब्दों में बातचीत कर रहा था । मरीज की जीभ और होठ क्रियाशील नहीं थे जिस से मरीज क्या बोलना चाहता है , यह समझना मुश्किल हो रहा था । इन सभी समस्याओं को देखते हुए स्पीच थेरेपिस्ट ने मरीज को जीभ और होठ के व्यायाम करवाए तथा व्यायाम के साथ – साथ मरीज को सपष्ट उच्चारण की थेरेपी भी करवाई गई । जिसके पश्चात मरीज के जीभ और होठों की गतियों में सुधार पाया गया । 2 महीनों में ही मरीज की बोलने की समस्या में 60 % सुधार हुआ अब वह घर में निरंतर बताई गई थैरेपी कर रहा है ।
 इसी प्रकार होअर्सनेस से प्रभावित मरीज जांच के लिए यूनिट में आया । पुराने रिकॉर्ड की जांच में पाया गया कि मरीज के गले में बोलने वाली तारों के ऊपर दोनों तरफ दाने बने थे । जिस कारण वह सही से बोल नहीं पा रहा था । थैरेपी की शुरुआत में मरीज को voice रेस्ट पर रखा गया और यह भी सिखाया गया कि किस तरह वह किस तरह अपनी रोज की अपनी बोलने की क्षमता को मजबूत कर सकता है । 2 महीने के निरंतर व्यायाम के की वाणी में 100 % सुधार पाया गया । जीवनशैली में पश्चात् मरीज जिला विकलांगता पुनर्वास केंद्र में स्पीच थेरेपी के अतिरिक्त केंद्र के माध्यम से दिव्यांगजनों को चिन्हित कर के उनकी विकलागता का आकलन करवा कर UDID पहचान पत्र जारी करवाना मनोवैज्ञानिक द्वारा भावनात्मक , मानसिक तनाव जैसी समस्याओं को काउन्सलिंग के माध्यम से निदान किया जाता है । इस के अतिरिक्त फिजियोथेरेपिस्ट द्वारा शारीरिक समस्याओं के निदान हेतू निःशुल्क सेवा दी जा रही है । जिन लोगों को सुनने में परेशानी आ रही है . उनकी सुनने की क्षमता का आकलन करके सुनने की मशीन भी उपलब्ध करवाई जाती है । ऐसे गरीब व्यक्ति जिन्हें व्हील चेयर , बैसाखियों , छडीयों , कृत्रिम अंग की आवश्यकताओं को पूर्ण करने के लिए वार्षिक आय सीमा के आधार पर निःशुल्क , आधी कीमत या पूरी कीमत पर उपलब्ध करवाये जा रहे हैं

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