मंडियों में किसानों का हो रहा शोषण
1 min readविभिन्न किसान संगठनों के संयुक्त किसान मंच ने आज बैठक कोटखाई में आयोजित की गई। इस बैठक में कोटखाई क्षेत्र के किसानों व बागवानों के 7 संगठनों जिसमें किसान संघर्ष समिति, पी जी ए, यंग ग्रोवर्स एसोसिएशन, हिमाचल किसान सभा, घ्याल पर्यावरण समिति, भारतीय किसान यूनियन, एप्पल ग्रोवर एसोसिएशन के प्रतिनिधियों ने भाग लिया। जिसमे संयुक्त किसान मंच के संजय चौहान, आशुतोष चौहान, सुशील चौहान, इनके साथ प्रताप चौहान, राजेश चौहान, अरुण, संजय धनी, सनी सेकटा के साथ ही इनके संगठन के प्रतिनिधियों ने भाग लिया। इसके अतिरिक्त जिला परिषद सदस्य विशाल शांगटा, क्यारी पंचायत की प्रधान श्रीमती दुर्मा चौहान के अतिरिक्त पूर्व प्रधान पवन चौहान, जगदीश शर्मा भी उपस्थित रहे। इसमे संयुक्त किसान मंच की 27 सदस्यीय क्षेत्रीय कमेटी का गठन किया गया। जिसमें संयोजक सुशील चौहान व सह संयोजक प्रताप ठाकुर को चुना गया। इनके अतिरिक्त आषुतोष, संजय धनी, राजेश चौहान, रोशन लाल राजटा, अरुण, दुर्मा चौहान, संजीव ठाकुर, विशाल शांगटा, पवन चौहान, सुनील चौहान, पदम सिंह, राजिंदर चौहान, मिथुन चौहान, अमित, सरोज चौहान, दलीप जस्टा, कमलजीत, सुनील, राजिंदर मेहता, सीमा, सनी सेकटा, कुलदीप शर्मा, सुरिंदर शर्मा, बैठक में निर्णय लिया गया कि 13 सितम्बर, 2021 को किसान संयुक्त मंच कोटखाई में प्रदर्शन किया जाएगा।
इस बैठक में चर्चा करते हुए कहा कि आज कृषि खास रूप में सेब की खेती गंभीर संकट आ गया है। आज सरकार द्वारा बागवानी में दी जा रही सब्सिडी बन्द कर दी गई है। जिससे सेब की खेती की लागत बहुत अधिक बढ़ गई है। मौसम की मार से भी कृषि व सेब की खेती पर असर पड़ रहा है। एक ओर लागत निरन्तर बढ़ रही है वहीं उत्पादन व उत्पादकता घट रही है। इसके साथ सरकार व APMC की लचर कार्यप्रणाली से किसानों का मण्डियों में शोषण किया जा रहा है। आज मण्डियों में गैर कानूनी रूप से कारोबार किया जा रहा है। APMC कानून, 2005 के अनुसार जिस दिन मण्डी में किसान का उत्पाद बिकेगा उसी दिन उसका भुगतान किया जाएगा। परन्तु न तो अदानी और न ही मण्डियों में भुगतान कानून के अनुसार हो रहा है। लेबर, छूट, गड, बैंक ड्राफ्ट/बैंक चार्ज आदि गैर कानूनी कटौती की जा रही है। एक ओर सरकार बागवानों से बात नहीं कर रही है दूसरी ओर सरकार के मंत्री मण्डियों में आढ़तियों और लदानीयों से मिल रहे हैं। हाल ही में सरकार के मंत्रियों के द्वारा लगातार फल मण्डियों के दौरे करने के बावजूद भी गैर कानूनी कारोबार जारी है। इससे सरकार की अदानी जैसी कंपनियों व आढ़तियों व लदानी के साथ गठजोड़ स्पष्ट होता है।
3 सिंतबर, 2021 को बागवानी मन्त्री ने ठियोग में किसानों को आश्वासन दिया था कि सरकार APMC कानून, 2005 को मण्डियों में सख्ती से लागू करेगी, कंपनियों को उनके CA स्टोर में कम से कम 20 प्रतिशत किसानों को उनका सेब रखने के आदेश जारी किये जायेंगे और संयुक्त किसान मंच से सरकार तुरंत बात कर इनकी मांगो पर अमल के लिए सकारात्मक कदम उठाएगी। परन्तु बागवानी मंत्री द्वारा मानी मांगो पर आज तक कोई भी अमल नहीं किया गया है। इससे बागवानी मंत्री व सरकार की मंशा पर सवालिया निशान उठता है। किसानों ने बैठक में चर्चा कर कहा कि बागवानी मंत्री अपना उत्तरदायित्व नही निभा पा रहे हैं ऐसे मन्त्री को पद पर रहने का कोई अधिकार नहीं है।
आज सरकार अदानी व अन्य कंपनियों के दबाव में काम कर रही है। गत वर्ष जो अदानी का रेट 88 रुपये प्रति किलो था वह इस वर्ष घटा कर 72 रुपये प्रति किलो कर दिया है जबकि इस वर्ष खाद, फफूंदीनाशक, कीटनाशक व अन्य लागत वस्तओं की कीमतों में भारी वृद्धि के बावजूद इस वर्ष अदानी ने करीब 17 प्रतिशत की कटौती की गई है। आज ये कंपनियां रेट अपनी मर्जी से तय करती है। इस पर सरकार का कोई नियंत्रण नहीं है। जिससे किसानों का शोषण बड़े पैमाने पर हो रहा है।
इस बैठक में किसानों व बागवानों की समस्याओं के कारण पैदा हुए इस कृषि संकट के चलते संयुक्त किसान मंच द्वारा तय निम्न मांगो पर सहमति बनाई गई।
1. प्रदेश में अदानी व अन्य कंपनियों तथा मण्डियों में किसानों के शोषण पर रोक लगाए व हिमाचल प्रदेश में भी कश्मीर की तर्ज पर मण्डी मध्यस्थता योजना(MIS) पूर्ण रूप से लागू की जाए तथा सेब के लिए मण्डी मध्यस्थता योजना(MIS) के तहत A, B व C ग्रेड के सेब के लिए क्रमशः 60 रुपये, 44 रुपये व 24 रुपये प्रति किलो समर्थन मूल्य पर खरीद की जाये।
2. प्रदेश की विपणन मण्डियों में ए पी एम सी कानून को सख्ती से लागू किया जाए। मंडियों में खुली बोली लगाई जाए व किसान से गैर कानूनी रूप से की जा रही मनमानी वसूली जिसमें मनमाने लेबर चार्ज, छूट, बैंक डी डी व अन्य चार्जिज को तुरन्त समाप्त किया जाए। जिन किसानों भी से यह वसूली की गई है उन्हें इसे वापिस किया जाए।
3.किसानों के आढ़तियों व खरीददारो के पास बकाया पैसों का भुगतान तुरन्त करवाया जाए तथा मंडियों में ए पी एम सी कानून के प्रावधानों के तहत किसानो को जिस दिन उनका उत्पाद बिके उसी दिन उनका भुगतान सुनिश्चित किया जाए। जिन खरीददार व आढ़तियों ने बकाया भुगतान नहीं किया है उनके विरुद्ध कड़ी कानूनी कार्यवाही की जाए।
4. अदानी व अन्य कंपनियों के CA स्टोर में इसके निर्माण के समय शर्तों के अनुसार बागवानो को 25 प्रतिशत सेब रखने के प्रावधान को तुरंत सख्ती से लागू किया जाए।
5.सेब व अन्य फलों, फूलों व सब्जियों की पैकेजिंग में इस्तेमाल किये जा रहे कार्टन व ट्रे की कीमतों में की गई भारी वृद्धि वापिस की जाए।
6. प्रदेश में भारी ओलावृष्टि व वर्षा, असामयिक बर्फबारी, सूखा व अन्य प्राकृतिक आपदाओं से किसानों व बागवानों को हुए नुकसान का सरकार मुआवजा प्रदान राहत प्रदान करे।
7. बढ़ती महंगाई पर रोक लगाई जाए तथा मालभाड़े में की गई वृद्धि वापिस ली जाए।
8. प्रदेश की सभी मंडियों में सेब व अन्य फसले वजन के हिसाब से बेची जाए।
9. HPMC व Himfed द्वारा गत वर्षों में लिए गए सेब का भुगतान तुरन्त किया जाए।
10. खाद, बीज, कीटनाशक, फफूंदीनाशक व अन्य लागत वस्तुओं पर दी जा रही सब्सिडी को पुनः बहाल किया जाए और सरकार कृषि व बागवानी विभागों के माध्यम से किसानों को उचित गुणवत्ता वाली लागत वस्तुएं सस्ती दरों पर उपलब्ध करवाए।
11. कृषि व बागवानी के लिये प्रयोग में आने वाले उपकरणों स्प्रेयर, टिलर, एन्टी हेल नेट आदि की बकाया सब्सिडी तुरन्त प्रदान की जाये।
बैठक में तय किया गया सरकार इन मांगों पर तुरंत स्वीकार कर किसानों को राहत प्रदान करे।