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एपीजी शिमला विश्ववविद्यालय में शिमला शेफ प्रतियोगिता आयोजित,

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गृहिणी रसोइयों व मातृशक्ति का पारंपरिक भोजन पकवान कला में अब भी दबदबा,
आरती अग्रवाल रही अव्वल गृहिणी शौकीय शेफ
भोजन की गुणवत्ता, स्वच्छता तीन मानकों पर हुआ चयन

शिमला, मई 12
राजधानी शिमला के स्थानीय एपीजी शिमला विश्ववविद्यालय में शुक्रवार को स्कूल ऑफ हॉस्पिटैलिटी एवं टूरिज्म मैनेजमेंट विभाग की ओर से शिमला शेफ व रसोइया कला प्रतियोगिता का विश्ववविद्यालय परिसर में आयोजन किया गया। इस रसोइया कला प्रतियोगिता में हिमाचल प्रदेश के जिलों से आए 159 रसोइयों ने हिस्सा लिया। इस रसोइया प्रतियोगिता को तीन श्रेणियों गृहणी व शौकीय रसोइया, भविष्य के युवा रसोइया और प्रोफेशनल रसोइया में बांटा गया जिसमें हिमाचल प्रदेश के सभी जिलों प्रतिभागी महिलाओं, शिमला के पोर्टमोर, आर.के.एम., कन्या राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय, बहरा विश्ववविद्यालय, ऑकलैंड हाउस स्कूल लकड़ बाज़ार शिमला, तारा हॉल स्कूल शिमला की छात्राएं और सेंट एडवर्ड्स स्कूल शिमला के छात्रों ने शेफ प्रतियोगिता में बढ़कर भाग लिया और उनके द्वारा तैयार हिमाचल प्रदेश के पारंपरिक भोजन और मोटे अनाज से पकाए गए अनेकों व्यजनों व भोजन की गुणवत्ता को परखने वाले इनामी-गिरामी विशेषज्ञ शेफ के सामने प्रस्तुत किया और इस शेफ प्रतियोगिता में पधारे मेहमानों, विश्ववविद्यालय के छात्र-छात्राओं, शिक्षकों ने पारंपरिक व्यंजनों का स्वाद चखा। इस शिमला शेफ़ प्रतियोगिता में अंतरराष्ट्रीय चेफ व हिम आँचल शेफ एसोसिएशन के प्रेसिडेंट नंद लाल ने बतौर मुख्य अतिथि और उनके साथ अन्य प्रोफेशनल शेफ अमित डोगरा, वैभव, कमलदीप, विशाल, सुनील ग्रिप्टा, सुभाष जोशी, राजीव भारद्वाज, सुरेंदर, राजेश और सुनील कुमार ने शेफ प्रतियोगिता में बतौर विशेषज्ञ शिरकत की।
एपीजी शिमला विश्ववविद्यालय के चांसलर इंजीनियर सुमन विक्रांत, प्रो-चांसलर प्रो. डॉ. रमेश चौहान, वाईस-चांसलर आर. एस. चौहान ने शेफ़ प्रतियोगिता का शुभारंभ किया और सभी अतिथियों का हिमाचली टोपी और शॉल भेंटकर स्वागत किया और सभी प्रतियोगियों का शेफ प्रतियोगिता में भाग लेने के लिए आभार जताया। अतिथियों व विषय विशेषज्ञों ने मातृ-शक्ति व गृहणियों, स्कूली और कॉलेज छात्र-छात्राओं और प्रोफेशनल रसोइयों द्वारा बनाए गए व्यंजनों को चखकर उनकी प्रशंसा की।
चांसलर इंजीनियर विक्रांत सुमन और प्रो-चांसलर प्रो. डॉ. रमेश चौहान ने ने कहा कि पारंपरिक मोटे अनाजों व पारंपरिक व्यजनों को खान-पान के रूप में अपनाने की जरूरत है क्योंकि वर्तमान में खान-पान और जीवन शैली स्वास्थ्य की दृष्टि से सेहत के लिए अच्छा नहीं है और फिर से पारंपरिक भोजन और मोटे अनाज की खेती करने के लिए आम लोगों और युवा पीढ़ी को प्रोत्साहित करने की जरूरत है ताकि मनुष्य-जीवन स्वस्थ रहे और निरोग के साथ लंबा जीवन जिएं। चांसलर सुमन विक्रांत ने सभी प्रतिभागियों खासकर नन्हें व आने वाले समय के रसोइयों की प्रसंसा करते हुए कहा कि युवा पीढ़ी को प्रेरणा मिलती रहे तो वे बेहतर हुनर के साथ हर क्षेत्र में मुकाम हासिल करने में सक्षम हैं। मुख्य विशेषज्ञ रसोइयों ने भी मोटे अनाज से तैयार पारंपरिक व्यंजनों को अपने खान-पान में अपनाने के लिए प्रतियोगिता में पहुँचे लोगों, बच्चों व विद्यार्थियों को प्रोत्साहित किया और मोटे अनाजों के महत्व बारे भी बताया। स्कूल ऑफ हॉस्पिटैलिटी एवं टूरिज़म मैनेजमेंट के विभागाध्यक्ष प्रो. चेतन मेहता ने सभी प्रतिभागियों, अतिथियों, सभी जिलों से पधारे गृहिणी, स्कूल और कॉलेज के युवा शेफ़ का प्रतियोगिता को सफल बनाने के लिए धन्यवाद किया। चेतन मेहता ने कहा कि माताओं से बड़ा कोई शेफ नहीं, कोई रसोइया नहीं। मेहता ने कहा कि अगर स्वस्थ और दीर्घायु जीना है तो मोटे अनाज की खेती और फिर से पारंपरिक व्यजनों को खान-पान में शामिल करना होगा और होटल इंडस्ट्री को भी लाभ होगा। मेहता ने अपने विभाग की फैकल्टी टीम , हॉस्पिटैलिटी के विद्यार्थियों, विश्ववविद्यालय प्रशासन का इस प्रतियोगिता के सफल आयोजन के लिए आभार व्यक्त किया।
शेफ़ प्रतियोगिता की गृहिणी वर्ग में शौकीय चेफ में आरती अग्रवाल प्रथम, सुमन चौहान द्वितीय, सुमति शर्मा ने तृतीय स्थान पारंपरिक पकवान कला में क्रमश पाँच हज़ार, तीन हज़ार और दो हज़ार रुपये पुरस्कार के रूप में एपीजी शिमला विश्ववविद्यालय के चांसलर सुमन विक्रांत ने प्रमाणपत्र के प्रदान किये और सभी प्रतिभागियों को मोटे अनाज और पारंपरिक व्यंजनों को प्रोत्साहित करने के लिए प्रमाणपत्र और स्मृतिचिन्ह प्रदान कर सम्मानित किया। प्रतियोगिता में सभी मुख्य शेफ़ ने अपनी राय देते हुए कहा कि सबसे पहले और सबसे महत्वपूर्ण, हम इस वर्ष को “बाजरा वर्ष” घोषित करने के सरकार के निर्णय की सराहना करते हैं। बाजरा, उनके पोषण मूल्य और पर्यावरणीय स्थिरता के साथ, जलवायु परिवर्तन और खाद्य सुरक्षा से उत्पन्न चुनौतियों का समाधान करते हुए हमारे नागरिकों के स्वास्थ्य और कल्याण में सुधार करने का एक अविश्वसनीय अवसर प्रस्तुत करता है।

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