जीवन में आत्मीय सुख-शांति के लिए शक्ति-साधना जरूरी: स्वामी अनंतबोध
1 min readलिथुआनिया (यूरोप) से पधारे स्वामी अनंतबोध चैतन्य ने शक्ति-साधना और श्री यंत्रविद्या के गूढ़ सोपानों पर एपीजी शिमला विश्वविद्यालय के छात्रों और शिक्षकों को दिया मार्गदर्शन
शिमला, जुलाई 26
लिथुआनिया (यूरोप) से अनंतबोध योग लिथुआनिया के संस्थापक एपीजी शिमला विश्वविद्यालय में पधारे विश्व विख्यात संत स्वामी अनंतबोध चैतन्य महाराज ने मंगलवार को विश्वविद्यालय के छात्रों और शिक्षकों को शक्ति-साधना के गूढ़ सोपानों पर दिया व्याख्यान। इस अवसर पर आईपीएस जय प्रकाश सिंह पुलिस महानिरीक्षक सशत्र एवं प्रशिक्षण शिमला ने बतौर मुख्य अतिथि शिरकत की। इस कार्यक्रम के दौरान विश्वविद्यालय के शिक्षकों, विभागाध्यक्षों और छात्रों ने श्रीविद्या से परिचित हुए। एपीजी शिमला विश्वविद्यालय के कुलाधिपति प्रो. डॉ. आर.के. चौधरी और कुलपति प्रो. डॉ. रमेश चौहान ने मुख्य अतिथि, संतों और विशिष्ट अतिथियों का हिमाचली टोपी व शॉल भेंट कर स्वागत किया। इस अवसर पर प्रो. आर.के. चौधरी द्वारा लिखित पुस्तक भारतीय गाय सभी विशिष्ट अतिथियों को भेंट की गई। पुस्तक में प्रो. आर.के. चौधरी ने भारतीय गाय की महिमा पर प्रकाश डाला है और गाय की रक्षा के लिए सुझाब दिए हैं। स्वामी अनंतबोध चैतन्य ने भारत की सनातन वैदिक संस्कृति के अनुरूप परमहंस मठ, कोलकाता में शक्ति-साधना एवं देवी काली की कृपा पर अपने विचार व्यक्त किए। स्वामी अनंतबोध चैतन्य ने कहा कि जीवन में आत्मीय सुख-शांति के लिए शक्ति-साधना जरूरी है। आद्यशक्ति की कृपा साधना से मिल सकती है। चैतन्य ने कहा कि मनुष्य-जीवन का सबसे बड़ा लक्ष्य है ईश्वर-प्राप्ति। स्वामी चैतन्य ने बताया कि यदि आत्मज्ञान प्राप्त करने की इच्छा रखते हो तो पहले अहंकार को दूर करो और यह सत्संग, तप, स्वाध्याय, आध्यत्म से दूर कर आत्म-ज्ञान प्राप्त करो। अनंतबोध चैतन्य ने बताया कि प्रत्येक मनुष्य को सन्मार्ग पर चलें, अगर वह सच्चे दिल से ईश्वर को जानना चाहता है तो निश्चित रूप से वह आत्मीय-सुख, शांति अनुभव करेगा। स्वामी अनंतबोध चैतन्य महाराज ने कहा मानव-जीवन में आत्मीय सुख-शांति के लिए देवी भगवती की शक्ति आराधना, साधना जरूरी है। उन्होंने ज्ञान-शक्ति, इच्छा यानी संकल्प शक्ति, क्रिया-शक्ति पर विचार व्यक्त करते हुए कहा कि साधना शक्ति-संचय का साधन है। जिस प्रकार भोजन से शरीर पुष्ट होता है, उसी तरह अध्यात्म-साधना से आत्मीय सुख अनुभव होता है। स्वामी अनंतबोध ने कहा कि जीवन में सफलता तथा वर्तमान अर्थ-युग में लक्ष्मी की प्राप्ति के लिए इच्छा-शक्ति, दृहड़-संकल्प अपरिहार्य है। उन्होंने कहा कि शक्ति की आराधना करते हुए मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम ने रावण व असुरों का संहार किया, अर्जुन एवं पांडवों ने कुरुक्षेत्र में कौरवों को पराजित किया। उन्होंने शक्ति-साधना का उदाहरण देते हुए कहा कि भारत के वर्तमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इच्छा-शक्ति को क्रिया-शक्ति में क्रियान्वित किया है और शक्ति-साधना कर सफलता हासिल की है। स्वामी अनंतबोध ने कहा कि जिस प्रकार मोबाइल फ़ोन को चार्ज करने से मोबाइल फ़ोन का उपयोग होता है, उसी प्रकार जीवन में शक्ति-साधना, आराधना करनी चाहिए। स्वामी अनंतबोध ने श्रीयंत्र विद्या के बारे भी चर्चा की इसमें सभी देवी-देवताओं का वास होता है। उन्होंने कहा कि श्री-विद्या गोपनीय विद्या है, यह विज्ञान है और तंत्र का कार्य मनुष्य की चेतना का विस्तार करना है। उन्होंने कहा कि भारत प्राचीन काल यानी वैदिक काल से विज्ञान से लेकर कई गूढ़ विद्या का स्रोत था लेकिन आधुनिक शिक्षा-पद्धति में इसे भुला दिया गया। उन्होंने कहा कि भारत इन गूढ़ विज्ञान व ज्ञान के कारण विश्वगुरु कहलाता था। उन्होंने कहा कि गणित का जनक भी भारत ही है जब भारत के ऋषियों ने शून्य का सिद्धांत दिया। वहीं इसी कार्यक्रम में स्वामी वागीश ने श्रीयंत्र विद्या पर गहन व्यख्यान दिया कहा कि विज्ञान को समझना है तो प्राचीन भारत और वेदों को पढ़ें। स्वामी डॉ. वागी स्वरूप ब्रह्मचारी ने कहा कि आध्यात्मिक शक्ति आत्मस्वरूप का तत्व है। कार्यक्रम के संचालन से पूर्व एनसीसी कडेट्स ने आईपीएस जय प्रकाश सिंह को गॉर्ड ऑफ ऑनर दिया और करिगिल विजय दिवस पर शहिदों को याद करते हुए सभी गणमान्य लोगों ने श्रद्धांजलि अर्पित की। इस कार्यक्रम के दौरान, विश्वविद्यालय के कुलसचिव बलराम झा, विश्वविद्यालय के मुख्य सलाहकार इंजीनियर सुमन विक्रांत, साई इंजीनियरिंग फॉउंडेशन के मुख्य कार्यकारी अधिकारी इंजीनियर राज कुमार वर्मा, हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय के पत्रकारिता विभाग के प्रो. डॉ. शशिकांत शर्मा उपस्थिति दर्ज़ कर श्री विद्या और यंत्रविद्या से लाभान्वित हुए।