शिमला शहर में विकराल रूप लेती पेयजल समस्या पर गम्भीर चिंता
1 min readशिमला नागरिक सभा प्रदेश की राजधानी शिमला शहर में विकराल रूप लेती पेयजल समस्या पर गम्भीर चिंता व्यक्त करती है और इसके लिए प्रदेश सरकार व नगर निगम शिमला द्वारा लागू की जा जनविरोधी नीतियों व इनकी लचर कार्यप्रणाली को दोषी मानती है। क्योंकि आज भी विभिन्न परियोजनाओं से पानी की आपूर्ति पर्याप्त है कि प्रतिदिन पूरे शहर में पानी की नियमित आपूर्ति की जा सके। सभा मांग करती है कि शहर के प्रत्येक वार्ड में पेयजल की आपूर्ति नियमित रूप से प्रतिदिन उचित मात्रा में की जाए अन्यथा नागरिक सभा जनता को लामबंद कर सरकार व नगर निगम शिमला की इस विफलता को लेकर बड़ा आंदोलन करेगी।
बीजेपी के नगर निगम शिमला व सरकार में सत्तासीन होते ही इन्होंने पानी, बिजली जैसी मूलभूत आवश्यकताओं के निजीकरण की नीति लागू करने का कार्य आरम्भ कर दिया तथा वर्ष 2018 में शिमला शहर में पेयजल के प्रबंधन के लिए शिमला जल प्रबंधन निगम लिमिटेड(SJPNL) कंपनी का गठन कर नगर निगम से पेयजल आपूर्ति का दायित्व लेकर इस कंपनी को सौंप कर शहर के पेयजल व्यवस्था के निजीकरण की शुरुआत की गई। उसके पश्चात आजतक भी सरकार, नगर निगम शिमला व कंपनी पेयजल की आपूर्ति सुचारू रूप से नही कर पा रही है। इसके परिणामस्वरूप 2018 में शिमला में जो पेयजल का संकट पैदा किया गया उससे पहाड़ों की रानी शिमला शहर में 10 दिनों तक पानी की आपूर्ति नही हुई तथा इससे अंतरराष्ट्रीय स्तर तक शिमला शहर की बदनामी हुई।
बीजेपी के शासन में गत 5 वर्षों में आजतक शिमला शहर में कभी भी पेयजल आपूर्ति सामान्य नही हो पाई है। आज शहर के लिए बनी विभिन्न परियोजनाओं से 38 से 48 MLS तक प्रतिदिन पानी की आपूर्ति के बावजूद भी सरकार, नगर निगम शिमला व कंपनी नियमित आपूर्ति नहीं कर पा रही है और आज भी शहर में 4 से 6 दिन के बाद पानी की आपूर्ति की जा रही है। आज यदि प्रतिदिन एक व्यक्ति को 100 लीटर पानी उपलब्ध करवाया जाए तब भी 3.5 लाख लोगों को मात्र 35 MLS पानी की ही आवश्यकता है।
वर्ष 2016-17 में पूर्व नगर निगम शिमला के प्रयासों से शिमला शहर को जहां पहले प्रतिदिन 17 से 28 MLS तक ही पानी मिलता था आज वो 38 से 48 MLS तक पहुंच गया है। इसके लिए वर्ष 2016 में अम्रुत परियोजना से करीब 80 करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया था जिससे गुम्मा, गिरी व अश्विनी खड्ड पेयजल योजनाओं की मुख्य पाईप लाइनों व पम्पों को बदलने तथा वार्ड स्तर पर अतिरिक्त स्टोरेज टैंको के निर्माण का कार्य प्राथमिकता से किया गया।
इसके साथ मार्च, 2017 में विश्व बैंक से 125 मिलियन डॉलर(करीब 950 करोड़ रुपये) की एक महत्वाकांक्षी परियोजना शिमला शहर में पेयजल की आपूर्ति को बढ़ाने व पेयजल व सीवरेज की व्यवस्था के जीर्णोद्धार के लिये स्वीकृत करवाई गई। जिससे सतलुज से प्रतिदिन 65 MLS अतिरिक्त पानी की आपूर्ति की जानी है और आगामी 50 वर्षों तक पेयजल का संकट न हो। परन्तु बीजेपी की सरकार व नगर निगम शिमला इस पर गत 5 वर्षों में जमीनी स्तर पर कोई भी कार्यवाही नही कर पाई है और यह परियोजना स्वीकृति के बावजूद आज भी कागज़ो से बाहर नहीं निकल पाई है। यह सरकार व नगर निगम की जनविरोधी नीतियों व विफल कार्यप्रणाली को उजागर करती है।
शिमला नागरिक सभा शहर की जनता से आग्रह करती है कि सरकार व नगर निगम द्वारा लागू की जा रही जनविरोधी नवउदारवादी नीतियों को पलटने के लिए मिलकर संघर्ष करें ताकि शहरवासियों को पेयजल व अन्य मूलभूत आवश्यकताओं के संकट से निजात मिल पाए।