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अल्पसंख्यक समुदायों के मेधावी विद्यार्थियों को दी गई 1.52 लाख रुपए की छात्रवृति

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एडीसी ने प्रधानमंत्री के नए 15 सूत्रीय कार्यक्रम की समीक्षा
बैठक की अध्यक्षता की
ऊना, 30 जूनः अतिरिक्त उपायुक्त ऊना डॉ. अमित कुमार शर्मा ने आज प्रधानमंत्री के नए 15 सूत्रीय कार्यक्रम की समीक्षा बैठक की अध्यक्षता करते हुए कहा कि वर्ष 2021-22 में प्री-मैट्रिक अल्पसंख्यक छात्रवृति योजना के तहत 152 विद्यार्थियों को 1.52 लाख रुपए की छात्रवृति प्रदान की गई है। उन्होंने कहा कि मैट्रिक के बाद मिलनी वाली छात्रवृति योजना के तहत 30 अल्पसंख्यक विद्यार्थियों ने छात्रवृति के लिए आवेदन किया है, जिनमें 11 छात्र ग्यारहवीं कक्षा तथा 11 छात्र बारहवीं कक्षा के हैं।
अतिरिक्त उपायुक्त ने कहा कि प्रधानमंत्री के नए 15 सूत्रीय कार्यक्रम को प्रभावी ढंग से लागू किया जाना चाहिए, क्योंकि इसका उद्देश्य तहत अल्पसंख्यकों को शिक्षा एवं रोजगार से जोड़ने पर विशेष जोर देना है। उन्होंने कहा कि कार्यक्रम के अधिसूचित अल्पसंख्यक वर्ग में मुस्लिम, इसाई, सिख, बौद्ध और पारसी को शामिल हैं। डॉ. अमित ने कहा कि स्वरोजगार के लिए भी सरकार अल्पसंख्यक समुदाय को सहायता प्रदान करती है।
एससी-एसटी एक्ट के तहत कुल 62 मामले
इसके बाद एडीसी ने जिला सतर्कता एवं प्रबोधन समिति ऊना (एससी-एसटी अत्याचार निवारण) बैठक की अध्यक्षता की और कहा कि 30 जून 2022 तक जिला में अत्याचार निवारण अधिनियम के तहत कुल 62 मामले दर्ज हुए हैं। जिनमें से 8 केस में पुलिस जांच कर रही है, 46 मामले न्यायालय में लंबित हैं, एक में दोषी को सजा हुई है तथा 7 मामले खारिज हुए हैं।
डॉ. अमित कुमार शर्मा ने कहा कि एससी-एसटी अत्याचार निवारण अधिनियम के तहत जहां सजा का प्रावधान है, वहीं कानूनी संरक्षण दिलवाने के साथ-साथ पुनर्वास राहत राशि के रूप में आर्थिक मदद भी दी जाती है। उन्होंने कहा कि इस एक्ट का उद्देश्य जातिगत भेदभाव को रोकना है।
5046 दिव्यांगजनों की दी जा रही पेंशन
इसके उपरांत एडीसी डॉ. अमित कुमार शर्मा ने दिव्यांग जन अधिकार अधिनियम के तहत जिला स्तरीय दिव्यांग समिति की बैठक की अध्यक्षता भी की। उन्होंने कहा कि जिला ऊना में 5046 दिव्यांग जनों को सामाजिक सुरक्षा पेंशन का लाभ दिया जा रहा है। वहीं एडीसी ने कहा कि राष्ट्रीय न्यास अधिनियम के तहत मानसिक रूप से दिव्यांग जनों को विधिक संरक्षण प्रदान करने का प्रावधान है। इस अधिनियम के तहत निःशक्त व्यक्तियों के 18 वर्ष की आयु प्राप्त करने के बाद संरक्षक नियुक्त किए जाने के लिए माता-पिता, रिश्तेदारों या पंजीकृत संगठनों को कानूनी संरक्षक बनाने का प्रावधान है। उन्होंने कहा कि जिला ऊना में 92 को कानूनी संरक्षक के प्रमाण पत्र जारी किए गए हैं।

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