रेखा के कहानी संग्रह गुमशुदा का लोकार्पण

शिमला, मई 28 – गेयटी थियेटर शिमला में आज रेखा विशिष्ट के कहानी संग्रह गुमशुदा का लोकार्पण भाषा संस्कृति विभाग के सचिव राकेश कंवर ने किया। पुस्तक लोकार्पण और परिचर्चा पर आधारित इस कार्यक्रम में निदेशक भाषा एवं संस्कृति विभाग डॉ पंकज ललित वरिष्ठ साहित्यकार श्रीनिवास जोशी, डॉ मीनाक्षी फेत पॉल ,डॉ विद्यानिधि छाबड़ा अनेक नवोदित साहित्यकार, शिक्षक और विद्यार्थी उपस्थित रहे। पुस्तक परिचर्चा में मुख्य वक्ता डॉ मीनाक्षी पॉल ने अपने वक्तव्य में गुमशुदा संग्रह की कहानियों का बारीकि से विश्लेषण करते हुए कहा कि ये कहानियां समकालीन जीवन मे सामाजिक अंतर्विरोधों और स्त्री जीवन की विसंगतियों पर तीखा प्रहार करती हैं। डॉ विद्यानिधि के अनुसार ये कहानियां मनुष्य के जीवन में किसी न किसी अवस्था मे कुछ न कुछ गुमशुदगी का सांकेतिक विवरण है। दिल्ली विश्वविद्यालय से आये डॉ प्रेम सिंह ने इन कहानियों को आज के सामाजिक यथार्थ का कलात्मक दस्तावेज बताया। आलोचक राजकुमार राकेश इन कहानियों में अंतर्द्वंद्व परिलक्षित होता है ,तो आत्माराम रंजन कहानी में तादात्म्य और कथात्मक प्रवाह की बात करते हैं, इसमें जटिल यथार्थ प्रकट हुआ है।वहीं डॉ देवकन्या ठाकुर को इन कहानियों में स्त्रियों की चिंताएं दृष्टिगोचर होती है। श्रीनिवास जोशी ने कहा कि रेखा पहले कवयित्री है और बाद में कथाकार । इनकी कहानियों में भी काव्यत्मकता दिखती है। जिससे कहानियों में परिपक्वता आई है। विशिष्ट अतिथि डॉ पंकज ललित ने कहा कि पुस्तक पर इस तरह की चर्चा से लेखकों और पाठकों में तादात्म्य स्थापित होता है। मुख्य अतिथि भाषा एवम संस्कृति सचिव राकेश कंवर ने कहा कि विभाग ने साहित्यिक संस्थाओं के लिए गेयटी निशुल्क उपलब्ध करवाया है ,जिससे शिमला में साहित्य का माहौल बना है। रेखा की कहानियों का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि ये कहानियां गुमशुदा की नही बल्कि अपने आप को खोजने की कहानियां हैं। समारोह का संचालन डॉ सत्यनारायण स्नेही ने किया।इस आयोजन में वरिष्ठ साहित्यकार रमेश चंद शर्मा, एस आर हरनोट, सुदर्शन विशिष्ट, डॉ कर्म सिंह, डॉ हेम राज कौशिक, डॉ देवेन्द्र गुप्ता, अजय, डॉ उषा बन्दे, डॉ प्रवीण मलिक, डॉ सी बी मेहता, डॉ नम्रता टिंकू, डॉ शशिकांत, डॉ देवेन्द्र महेंद्रू और महाविद्यालय एवम विश्वविद्यालय के शिक्षक और विद्यार्थी मौजूद रहे।