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सरकार द्वारा देश व प्रदेश में लागू की जा रही लचर व भेदभावपूर्ण वैक्सीनशन नीति

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शिमला, जून 04 –भारत की कम्युनिस्ट पार्टी(मार्क्सवादी) सरकार द्वारा देश व प्रदेश में लागू की जा रही लचर व भेदभावपूर्ण वैक्सीनशन नीति की कड़ी भर्त्सना करती है और सरकार से मांग करती है कि इस कोविड19 महामारी पर समय पर रोकथाम हेतु 18 वर्ष की आयु से ऊपर सभी का समयबद्ध तरीके से नजदीकी स्वास्थ्य केन्द्र पर मुफ़्त वैक्सीनशन कर अपने संवैधानिक दायित्व का निर्वहन करे।

सरकार द्वारा 18 से 44 वर्ष के लिये जो वैक्सीनशन की नीति लागू की है वह पूर्णतः भेदभावपूर्ण व असंवैधानिक है। हाल ही में सरकार द्वारा युवा वर्ग के लिए जो ऑनलाइन बुकिंग के आधार पर थोड़ी बहुत वैक्सीनशन की जा रही थी वह भी सरकार के अनुसार अब वैक्सीन उपलब्ध न होने के कारण बन्द कर दी गई है और अब देश व प्रदेश में महंगी दरों पर निजी अस्पतालों व अन्य संस्थानों को युवा वर्ग को वैक्सीनशन की इजाज़त देकर आरम्भ किया गया है। यह बिल्कुल भेदभावपूर्ण व असंवैधानिक है क्योंकि भारत के संविधान की धारा 21 सभी को जीवन व धारा 14 सभी को बराबरी का अधिकार प्रदान करती है। इसलिए देश मे सभी युवा, वृद्ध, बच्चों, गरीब, अमीर व हर वर्ग के लोगों के जीवन की रक्षा करना सरकार का संवैधानिक दायित्व बनता है। सरकार की वैक्सीनशन को लेकर लागू नीति व कार्यप्रणाली यहां भी संदेह के घेरे में आती है क्योंकि प्रदेश सरकार के अनुसार उनको वैक्सीन नहीं मिल रही है इसलिए 18 से 44 आयु वर्ग की वैक्सीनशन नहीं की जा रही है तो इन निजी अस्पतालों व संस्थानों के पास वैक्सीन कहाँ से आ रही है। सरकार का यह निर्णय स्पष्ट रूप से इन निजी अस्पतालों व संस्थानों को लाभ पहुंचाने का है और इससे कोविड19 से पैदा हुए संकट से जूझ रहे सभी जिनमें विशेष रूप में गरीब व दूरदराज के लोग वैक्सीन से वंचित रह जाएंगे और इनकी जान का खतरा बढ़ जाएगा।

अब सबसे बड़ा प्रशन यह उठता है कि एक ओर केन्द्र सरकार कह रही है कि देश में वैक्सीन की कमी नहीं होने दी जाएगी जबकि दूसरी ओर आज अधिकांश राज्य सरकारें वैक्सीन की कमी बता रही है और कह रही है कि वो जितनी वैक्सीन की मांग कर रही है उन्हें केन्द्र सरकार उतनी वैक्सीन उपलब्ध नहीं करवा रही है और अपने स्तर पर भी कंपनियां उन्हें वैक्सीन उपलब्ध नहीं करवा रही है। जिससे सरकार को आज 18 से 44 आयु वर्ग को वैक्सीन लगाना सम्भव नहीं हो रहा है।

केन्द्र सरकार द्वारा राज्यों को समय और मांग अनुसार वैक्सीन उपलब्ध न करवाना भी हमारे देश के संवैधानिक संघीय ढांचे पर चोट है। इसलिए सरकार की वैक्सीनशन नीति मनमानी व तर्कहीन है, जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने भी सुनवाई के दौरान अपने एक आदेश में केन्द्र सरकार को लताड़ लगाई है, इसमे सरकार तुरन्त बदलाव करे और वैक्सीनशन को मुफ़्त सार्वभौमिक कर सभी को सरकार उपलब्ध करवाए।

आज कोविड19 महामारी से देश व प्रदेश में लाखों लोग प्रभावित है और अनगिनत मौते हुई है। इन मौतों के लिए जिम्मेदार मुख्यतः सरकार की कोविड19 से निपटने के लिए की गई लचर नीति व आधी अधूरी तैयारी रही है। सरकार द्वारा उचित रूप में टेस्टिंग न करना व देश में ऑक्सिजन व अन्य मूलभूत स्वास्थ्य सेवाओं की कमी तथा देश मे समय रहते वैक्सीनशन आरम्भ न करने के कारण अधिकांश मौते हुई है। आज दुनिया में इस कोविड19 महामारी पर काबू पाने हेतु वैक्सीनशन ही एकमात्र चारा है। जब तक 70 प्रतिशत आबादी की वैक्सीनशन नहीं की जाती तब तक इससे होने वाली तबाही पर रोक लगाना संभव नहीं है। यदि सरकार समय रहते अपनी लचर वैक्सीनशन नीति में गुणात्मक बदलाव नहीं करती और इसको सभी को मुफ्त समय रहते उपलब्ध नहीं करवाती तो देश मे कोविड19 की और कई वेव आने से कोई नहीं रोक सकता और देश के कई लाखों लोगों को अपनी जान से हाथ गवाने होंगे और इसके लिए केवलमात्र सरकार ही दोषी होगी और इसको इतिहास कभी मुआफ़ नहीं करेगा।

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