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अभिभावक बच्चों को नशे से होने वाले दुष्प्रभावों के बारे में अवश्य बताएं

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बिलासपुर 27 जनवरी:-   मुख्य चिकित्सा अधिकारी डाॅ. प्रवीण कुमार चैाधरी ने बताया कि तम्बाकू एक प्रकार के निकोटियाना प्रजाति के पेड़ के पतों को सुखा कर नशा करने की वस्तु बनाई जाती है। उन्होंने बताया कि तम्बाकू में 4000 से अधिक हानिकारक रासायन होते हैं जो स्वास्थ्य पर हानिकारक प्रभाव डालते हैं।
उन्होंने बताया कि वर्तमान में दुनिया भर में 70 लाख से अधिक मौतों का कारण तंबाकू का सेवन है। उन्होंने बताया कि हिमाचल प्रदेश में तंबाकू सेवन की दर 24 प्रतिशत घटी है तंबाकू सेवन में हिमाचल प्रदेश का आठवां स्थान है।
उन्होंने बताया कि ज्यादा धूम्रपान करने वाले व्यक्ति को कोविड-19 संक्रमण के दौर में सामान्य व्यक्ति की अपेक्षा 50 प्रतिशत तक ज्यादा जोखिम का सामना करना पड़ता है। अत्याधिक धूम्रपान करने से व्यक्ति को कैंसर, हृदय संबंधी बीमारियां, मधुमेह, दमा इत्यादि रोगों का खतरा रहता है। दुनिया में 40 प्रतिशत पुरुष तथा 10 प्रतिशत महिलाएं किसी न किसी रूप में धूम्रपान का सेवन करते हैं। वहीं भारत में 57 प्रतिशत पुरुष, 11 प्रतिशत महिलाएं, व 14  प्रतिशत 13 से 15 वर्ष तक के बच्चे  धूम्रपान का प्रयोग करते हैं।
उन्होंने अभिभावको से कहा कि वे अपने बच्चों पर चैक रखें और उन्हें नशे से होने वाले दुष्प्रभावों के बारे में जानकारी दें। उन्होंने बताया कि सिगरेट एवं  तंबाकू उत्पाद निषेध कानून 2003 के अंतर्गत जन संस्थानों में धूम्रपान पर तंबाकू प्रोत्साहन विज्ञापन पर 18 वर्ष से कम लोगों को तंबाकू उत्पादन खरीदने तथा बेचने पर प्रतिबंध लगाया गया है। शिक्षा संस्थानों के 100 मीटर के दायरे में किसी भी प्रकार का धूम्रपान व सिगरेट बेचने पर पूर्ण प्रतिबंध है।

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