“आजीविका के लिए जैव विविधता” पर एक दिवसीय ऑनलाइन कार्यशाला का आयोजन
1 min read
भा.कृ.अनु.प – भा.कृ.अनु.सं , क्षेत्रीय केंद्र , अमरतारा काटेज, शिमला 171004 ने भारतीय स्वतंत्रता के 75 वर्ष के उपलक्ष्य में जैव विविधता सप्ताह समारोह के तहत “आजीविका के लिए जैव विविधता” पर एक दिवसीय ऑनलाइन कार्यशाला का आयोजन डॉ कल्लोल कुमार प्रमाणिक, अध्यक्ष ने वैज्ञानिको लेकर दिनाक 28 मई, 2021 को किया। मुख्य अतिथि डॉ ए.के.सिंह, निदेशक, भा.कृ.अनु.प- भा.कृ.अनु.सं ने थे । कार्यक्रम का शुभारंभ प्रधान वैज्ञानिक, डॉ धर्मपाल वालिया के स्वागत भाषण से हुआ। डॉ कल्लोल कुमार प्रमाणिक, प्रधान वैज्ञानिक एवं अध्यक्ष ने कार्यक्रम की उद्गम के बारे में जानकारी दी।
उन्होंने प्रतिभागियों को कार्यक्रम के तहत आयोजित किए जाने वाले व्याख्यानों की संक्षिप्त जानकारी दी। पहले व्याख्यान में डॉ. एस एस सामंत, निदेशक, हिमालय वन अनुसंधान संस्थान, शिमला ने वन जैव विविधता संरक्षण के महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने आजीविका बढ़ाने के लिए वन उत्पादों के उपयोग की जानकारी दी। उन्होंने जैव विविधता पर जलवायु परिवर्तन और विकास गतिविधियों के प्रभाव पर भी जोर दिया ।
डॉ मनोज कुमार, निदेशक, भाकृअनुप-केंद्रीय आलू अनुसंधान संस्थान, शिमला ने भारत में आलू की विविधता पर व्याख्यान दिया। डॉ कल्लोल कुमार प्रमाणिक ने शीतोष्ण फल फसलों में सुधार के लिए जैव विविधता पर जानकारी दी और उससे लाभ उठाने कि मंग की । डॉ मोहर सिंह, प्रभारी, भाकृअनुप-राष्ट्रीय पादप आनुवंशिक संसाधन ब्यूरो, फागली, शिमला ने फलीदार फसलों के संदर्भ में जैव विविधता के संरक्षण और उपयोग पर प्रकाश डाला। प्रोफेसर अरविंद कुमार भट्ट, डीन, प्लानिंग एंड टीचर्स मैटर्स, एचपीयू, शिमला ने माइक्रोबियल विविधता और पर्यावरण के बारे में रोचक तथ्य बताए। डॉ मुरारी लाल ठाकुर, परियोजना समन्वयक, हिमकोस्टे, हिमाचल प्रदेश, शिमला ने हिमाचल प्रदेश में जैव विविधता के सतत उपयोग के माध्यम से आजीविका के अवसरों पर महत्वपूर्ण जानकारी दी। डॉ ए के शुक्ला ने धन्यवाद ज्ञापन किया।
इस ऑनलाइन कार्यशाला के सफल आयोजन में संस्थान के अध्यक्ष, डॉ कल्लोल कुमार प्रमाणिक के साथ वैज्ञानिको डॉ धर्म पाल, डॉ ए के शुक्ला, डॉ मधु पटियाल और डॉ संतोष वाटपाडे ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।