नई शिक्षा नीति से होगा 21वीं सदी के युवाओ का कौशल उन्ययन – गोविंद सिंह ठाकुर
1 min readबिलासपुर, सितम्बर:- नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति भारतीय परम्पराओं, ज्ञान, व संस्कृत मूल्यों पर आधारित है। यह नीति वर्तमान व भावी पीढ़ी को एक सुसंस्कृत मानव बनाने में पूरी तरह सक्षम है जिससे एक समृद्ध समाज की परिकल्पना साकार होगी। यह बात शिक्षा, कला, भाषा एवं संस्कृति मंत्री गोविंद सिंह ठाकुर ने पंचवटी होटल बिलासपुर में समग्र शिक्षा राज्य परियोजना द्वारा डाईट जुखाला के तत्वावधान में राष्ट्रीय शिक्षा नीति संवाद एवं हितधारक विचार-विमर्श पर आयोजित एक दिवसीय कार्यशाला की अध्यक्षता करते हुए कही।
नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति देशभर के शिक्षाविदों, बुद्धिजीवियों के सुझावों का समावेश है जो समाज को एक नई दिशा प्रदान करेगी। उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश नई शिक्षा नीति को कार्यान्वित करने वाला देश का पहला राज्य बनने का प्रयास कर रहा हैं। उन्होंने कहा कि शिक्षा में निवेश सर्वाधिक लाभकारी है तथा राष्ट्रीय शिक्षा नीति का उद्देश्य अच्छे इंसान का निर्माण करना हैै।
उन्होंने कहा कि बच्चों के लिए नई शिक्षा नीति से स्कूलों में खुशी का वातावरण तैयार होगा। यह बच्चों को मानसिक तनाव से बाहर निकालने में सहायक सिद्ध होगी। उन्होंने कहा कि हर जिले में राष्ट्रीय शिक्षा नीति पर कार्यशालाओं का आयोजन किया जा रहा है। यह शिक्षा नीति 21वीं सदी के युवाओ का कौशल उन्ययन सुनिश्चित करेगी जिससे वह रोजगारोन्मुख बन सके। उन्होंने कहा प्रदेश में नीति को जमीन पर उतारने के लिए काम तेजी के साथ किया जा रहा है। गत वर्ष 8 सितम्बर को राज्य टास्क फोर्स का गठन किया जा चुका है। प्रदेश में अध्यापकों, शिक्षार्थियों व अन्य समस्त हितधारकों को राष्ट्रीय शिक्षा नीति के मूल सिद्धांतों के बारे में जितना जल्द जानकारी होगी, उतनी ही तेजी से नीति धरातल पर उतरेगी। नीति बच्चों को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपने आप को प्रस्तुत करने के लिए सक्षम बनाएगी।
नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति गुणवत्तायुक्त होगी जो ज्ञान आधारित समाज का निर्माण करेगी। यह नीति 21वीं सदी की आकांक्षाओं और लक्ष्यों को पूरा करेगी तथा भारत को विश्व गुरू बनाने का मार्ग प्रशस्त करेगी तथा पश्चिमी सोच वाली शिक्षा लुप्त हो जाएगी। उन्होंने कहा शिक्षा नीति बहुत बड़ा बदलाव है जो अखण्ड भारत का निर्माण करेगी। शिक्षक से उम्मीद की गई है कि वह समूचे समाज का शिक्षक बने।
शिक्षा की मूल भावनाओं और उद्देश्यों पर चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि भारत में शिक्षा पर संवाद दुनिया का सबसे बड़ा संवाद है। नई शिक्षा नीति को जल्द से मूल रूप देने के लिए सभी को काम करना है। नीति बन चुकी है अब इसके कार्यान्वयन को लेकर केवल सुझाव ही दिए जा सकते हैं जिसमें शिक्षक की भूमिका अहम है।
इस मौके पर विशिष्ट अतिथि के रुप में खाद्य नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता मामले मंत्री राजिन्द्र गर्ग ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति पर गहन विचार-विमर्श करने के लिए जिला के शिक्षाविद मौजूद है जो इसे लागू करने के लिए अपना सर्वोच्च योगदान देंगे ताकि बच्चों को सांस्कारिक शिक्षा के साथ-साथ बेरोजगारी और अन्य ज्वलंत सामाजिक समस्याओं से निजात पाने में बल मिलेगा।
उन्होंने कहा कि छात्र, छात्राओं को प्रारम्भिक समय से ही व्यावसायिक शिक्षा का ज्ञानवर्धन होना चाहिए जिससे वे शिक्षा पूर्ण करने के बाद अपनी आजिविका कमाने में सक्षम बन सके। उन्होंने कहा कि मां के गर्भकाल से ही शिशु को राष्ट्रीयता के साथ ज्ञान की धारा से जोड़ना ही इस शिक्षा नीति का उद्देश्य है। उन्होंने महाभारत काल का उदाहरण देते हुए कहा कि पुरातन काल में भी गर्भ से ही शिक्षा का ज्ञान दिया जाता था। पुरानी नींव के स्थान पर नई नींव रखी जानी चाहिए। भारत ने बहुत कुछ दुनिया को दिया है जिसमें से हम बहुत कुछ भुल चुके है जिसे नई शिक्षा नीति के द्वारा सहेजने की आवश्यकता है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति को अमलीजामा पहनाने के लिए अनेक शिक्षाविदों का योगदान है। इसी कारण नई शिक्षा नीति का सुदृढ़ ढांचा धरातल पर रखा जाना चाहिए ताकि नई पीढ़ी की सोच समाज का सही दर्शन कर सके। नई शिक्षा नीति में पाश्चातय संस्कृति की चकाचैंद से दूर रहते हुए तथा अपनी जड़ो को मजबूत करते हुए सुदृढ़ तथा आत्मनिर्भर राष्ट्र की परिकल्पना की गई है।
महामंत्री उत्तर क्षेत्र विद्याभारती एवं राष्ट्रीय संयोजक देश राज शर्मा ने प्रमुख स्रोत व्यक्ति के रुप में भाग लेते हुए कहा कि 11 पनों की नई शिक्षा नीति का उद्देश्य बच्चों के व्यवहार में परिवर्तन लाना तथा उन्हें अच्छा इंसान बनाना और इस नीति को अंतिम व्यक्ति तक पहुँचाना व बच्चों के लिए सीखने और सीखाने की कला को विकसित करना है।
हि.प्र. स्कूल शिक्षा बोर्ड के अध्यक्ष डॉ. एस.के. सोनी ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति में बदलाव के बारे में जानकारी होना आवश्यक है।
इस कार्यशाला में 10 समूहों द्वारा नई शिक्षा नीति पर चर्चा कर कार्यशाला को सार्थक बनाते हुए अपने-अपने सुझाव रखे। इस कार्यशाला 100 प्रतिभागियों ने भाग लिया।