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बहुओं से ज्यादा बेटे बुजुर्ग माता-पिता को सताते हैं

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* हिमाचल में 20 % बुजुर्ग दुर्व्यवहार के शिकार

* उमंग के वेबिनार में आए चौंकाने वाले तथ्य

शिमला। बुजुर्गों के मानवाधिकारों पर उमंग फाउंडेशन के वेबीनार में पेश किए गए आंकड़े चौंकाने वाले हैं। राष्ट्रीय स्तर पर और हिमाचल प्रदेश में भी बहुओं से ज्यादा बेटे बुजुर्ग माता-पिता के साथ दुर्व्यवहार करते हैं। देशभर में एक चौथाई और प्रदेश में 20% बुजुर्ग दुर्व्यवहार का शिकार हैं।

आजादी के अमृत महोत्सव और हिमाचल की स्वर्ण जयंती के उपलक्ष में उमंग फाउंडेशन के साप्ताहिक वेबीनारों की श्रंखला में “बुजुर्गों के मानवाधिकार और उनके संरक्षण में युवाओं की भूमिका” पर कार्यक्रम हुआ। इसमें बुजुर्गों के लिए कार्यरत अंतरराष्ट्रीय संस्था हेल्प एज इंडिया के हिमाचल प्रदेश और लद्दाख के राज्य प्रमुख डॉ. राजेश कुमार विशेषज्ञ वक्ता थे।

कार्यक्रम के संयोजक और हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय में समाजशास्त्र में पीएचडी स्कॉलर अभिषेक भागड़ा के अनुसार उमंग फाउंडेशन के अध्यक्ष प्रो. अजय श्रीवास्तव ने बुजुर्गों के मानवाधिकार संरक्षण में संस्था द्वारा किए गए कार्यों की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि उनकी याचिका पर हाईकोर्ट के फैसले से बसंतपुर के सरकारी वृद्ध आश्रम में नर्क से बदतर जीवन जी रहे बुजुर्गों के मानवाधिकार संरक्षित हुए। यही नहीं, सरकार को अत्याधुनिक नया वृद्ध आश्रम बनाना पड़ा।

डॉ राजेश कुमार ने बताया कि राष्ट्रीय स्तर पर 25% और हिमाचल में 20% बुजुर्ग दुर्व्यवहार का शिकार बनते हैं। हैरानी की बात यह है कि बुजुर्ग माता-पिता के साथ बहुओं की अपेक्षा बेटे ज्यादा दुर्व्यवहार करते हैं। राष्ट्रीय स्तर पर यह दर 52% है। हिमाचल में 54% बेटे और 46% बहुएं बुजुर्ग माता-पिता के साथ दुर्व्यवहार करती हैं।

उन्होंने कहा कि वर्ष 2018 में विश्व स्तर पर बुजुर्गों की स्थिति को लेकर संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट में कहा गया था कि भारत बुजुर्गों के रहने लायक देश नहीं है। उन्होंने कहा कि भारत में 10 करोड़ से अधिक बुजुर्ग हैं जिनमें से 5:30 करोड़ से ज्यादा गरीबी रेखा से नीचे हैं। कुल बुजुर्गों में से 10 से 15% बेसहारा विधवाएं  हैं। देश में 25% से अधिक बुजुर्गों को स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध नहीं हैं। लगभग 52% बुजुर्ग ऐसे हैं जिन्हें परिवार से कोई मदद नहीं मिलती।

डॉ राजेश कुमार ने हेल्प एज इंडिया सरकार से बुजुर्गों को कम से कम 2000 रुपए प्रति माह पेंशन दिलवाने के लिए प्रयास कर रहा है। उनके अनुसार 3 वर्ष पहले सुप्रीम कोर्ट ने एक फैसले में हर जिले में कम से कम एक वृद्ध आश्रम बनाने के आदेश दिए थे। लेकिन इस पर भी अमल नहीं हो पा रहा है।

मानवाधिकार जागरुकता पर उमंग फाउंडेशन की साप्ताहिक श्रृंखला में यह 14 वां वेबिनार था। इनमें हिमाचल प्रदेश के अलावा अन्य राज्यों के युवा भी हिस्सा लेते हैं।

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