ज़िला परिषद सदस्य अभ्यास वर्ग में बोले नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर
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लोकतंत्र की पहली इकाई है ग्राम पंचायत, अपने कार्यकाल में ज़रूर करें यादगार काम: जयराम ठाकुर
आठ महीनें में सरकार की लोकप्रियता पाताल में पहुँची, हिमाचल के इतिहास में इस तरह का माफियाराज पहली बार दिखा
केंद्र का पैसा कांग्रेसी नेताओं के बेटे और पत्नी बांट रहे हैं और मुख्यमंत्री कहते हैं केंद्र ने मदद नहीं की
लोग हिमाचल को शांतिपूर्ण राज्य मानकर निवेश करते थे, आज डर के कारण उद्योग भाग रहे हैं।
ज़िला पंचायत सदस्यों को बीजेपी सरकार में पहली बार मिली विकास कार्यों के लिए बड़ी धनराशि
केंद्र सरकार की योजनाओं से लोगों को सर्वाधिक जागरूक करने का कम पंचायत के स्तर पर होता है।
स्थानीय चुनावों के कारण आपस के मतभेद भुला कर आगे बढ़ना चाहिए
नरेन्द्र मोदी को फिर से प्रधानमंत्री बनाने के लिए पंचायत स्तर से जुटकर करें काम
पालमपुर: नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने कहा कि ग्राम पंचायतें हमारे लोकतंत्र की पहली इकाई है। कई पंचायतों से मिलकर जिला परिषद का वार्ड बनता हैं। पहले ज़िला परिषद के प्रतिनिधियों के लिये विकास कार्यों के लिये विशेष धनराशि का प्रावधान नहीं था। जब मैं पंचायती राज मंत्री बना, उस समय ज़िला परिषद के सदस्यों ने मांग की कि उनका कार्यक्षेत्र बहुत बड़ा है। उनके चुनाव क्षेत्र के लोगों द्वारा विकास कार्यों के लिए धनराशि की मांग की जाती है लेकिन उनके पास इस तरह कि कोई सुविधा नहीं हैं। परिषद के सदस्यों की इस मांग को हमने माना और उनके द्वारा विकास कार्य करवाने के लिए धनराशि कोष की व्यवस्था की। जिसके बाद ज़िला परिषद के सदस्यों द्वारा अपने निर्वाचन क्षेत्रों में विकास के लिए धनराशि दी जाने लगी। वह पालमपुर के पार्टी कार्यालय में ज़िला पंचायत सदस्यों के प्रशिक्षण कार्यक्रम में बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि इस बार के चुनाव में मात्र 36 हज़ार मतों की कसर रह गई। इसे इस लोक सभा चुनाव में पूरा करना है। इस मौक़े पर बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष डॉ राजवीर बिंदल, पूर्व विधान सभा अध्यक्ष विपिन परमार समेत पार्टी के अन्य पदाधिकारी और जिल पंचायत परिषद सदस्य आदि उपस्थित रहे।
इस दौरान उन्होंने राज्य सरकार पर जमकर हमला बोला। उन्होंने कहा कि प्रदेश के इतिहास में इस तरह की क़ानून व्यवस्था कभी नहीं थी। शान्तिप्रिय और क़ानून के राज के कारण जो उद्योग हिमाचल प्रदेश में आते थे लेकिन आज माफ़ियाराज से डरकर हिमाचल से जाना चाहते हैं। वह अपने उद्योग की यूनिट्स उत्तर प्रदेश और बिहार ले जाना चाहते हैं। आज प्रदेश को इस स्थिति में सरकार ने पहुंचा दिया हैं। उद्योग-धंधे चले गये तो प्रदेश के आर्थिकतंत्र का क्या होगा। आपदा के समय भी सरकार राजनीति कर रही है। केंद्र से आया पैसा इनके नेता के पत्नी और बेटे बांट रहे हैं और मुख्यमंत्री और मंत्री कहते हैं कि केंद्र द्वारा कोई सहायता नहीं की गई। जबकि केंद्र सरकार द्वारा लगभग एक हज़ार करोड़ रुपये प्रदेश सरकार को सीधे दिए गए हैं और एनडीआरएफ़, सेना, बीआरओ, के साथ एनएचएआई के हज़ारों करोड़ का योगदान अलग है। इस तरह से केंद्र के सहयोग को नकारना भी दुःखद है।
यह पहली बार हुआ है, जब उद्योग नगरी में दिन दहाड़े तलवारों चाकुओं से गोद कर मार दिया जा रहा है। उद्योगपतियों को धमकाया जा रहा है। मात्र सरकार को बने आठ महीनें हुए हैं और मात्र आठ महीनों में ही इस सरकार की लोकप्रियता पाताल लोक में पहुंच गई है। इस सरकार ने सहारा योजना का पैसा रोक दिया है। यह सरकार इतनी संवेदनहीन हो गई है कि तीस हज़ार बेसहारों को तीन हज़ार पेंशन नहीं दे पाई। उन्होंने कहा की आपको राजनीति करनी है तो आपके पास और मुद्दे हैं लेकिन इस तरह के मुद्दों पर राजनीति ठीक नहीं। आप अनाथ बच्चों के लिए योजना लाने की बात करते हैं और अपने नाम पर योजनायें लाते हैं। ऐसा भी हिमाचल के इतिहास में पहले कभी नहीं हुआ था। उन्होंने कहा कांग्रेस ने दस गारंटियां दी थी और आप सरकार में आते ही सब भूल गये। इस तरह का धोखा प्रदेश की जनता के साथ आज तक किसी ने नहीं किया।
उन्होंने कहा कि पंचायतों में भले ही कोई एक बार जनप्रतिनिधि चुन लिया जाता है तो उसे लोगों द्वारा जीवन भर उसी पद नाम से बुलाते हैं। मान-सम्मान देते हैं। इसलिए पंचायत और परिषद स्तर के प्रतिनिधियों को भी इस तरह के जनहितकारी काम करवाने चाहिये कि लोग उन कामों को लंबे समय तक याद रखें। इस तरह से जनप्रतिनिधि समाज के विकास में अपना योगदान दें। उन्होंने कहा कि प…