शिक्षा विभाग के बहुचर्चित किताब खरीद मामले की जांच ठंडी पड़ी
शिक्षा विभाग का बहुचर्चित किताब खरीद मामला डेढ़ माह बाद भी ठंडे बस्ते में पड़ा है। अभी तक चयनित 49 फर्मों से जमा किए दस्तावेजों की जांच पूरी नहीं हुई है। करीब दस करोड़ रुपये के बजट से स्कूल पुस्तकालयों के लिए किताबों की खरीद की जानी है। देश के कई प्रकाशक संघों ने शिक्षा विभाग पर किताब खरीद में घोटाले का आरोप लगाया है।
मामला तूल पकड़ने पर शिक्षा सचिव ने 28 जून को मामले की जांच करने आदेश दिए थे। जांच में सभी चयनित फर्मों के जीएसटी, पैन नंबर और इन्कम टैक्स रिटर्न के दस्तावेज एकत्र किए गए हैं। समग्र शिक्षा अभियान के राज्य परियोजना निदेशक को इन दस्तावेजों की जांच का जिम्मा सौंपा गया है लेकिन करीब डेढ़ माह बाद भी मामले में कोई निष्कर्ष नहीं निकला है।
विधानसभा के मानसून सत्र के दौरान देश के कई प्रकाशक संघों के पदाधिकारियों ने चौड़ा मैदान शिमला में एकत्र होकर शिक्षा विभाग के खिलाफ प्रदर्शन किया था। इससे पूर्व जून में प्रकाशकों ने कई दस्तावेज भी मीडिया में जारी कर किताब खरीद में घोटाला होने का आरोप लगाया था। उत्तर मध्य भारत हिंदी प्रकाशक संघ के पदाधिकारियों ने कहा है कि करीब दस करोड़ की पुस्तक खरीद प्रक्रिया में 99 फीसदी कार्य गिनती के चंद लोगों को देने का प्रयास किया जा रहा है।
करीब 900 प्रकाशकों ने अपनी श्रेष्ठ पुस्तकें जमा करवाई हैं। अखिल भारतीय हिंदी प्रकाशक संघ ने भी किताब खरीद प्रक्रिया पर सवाल उठाए हैं। उधर, शिक्षा सचिव राजीव शर्मा ने बताया कि इस मामले को लेकर दस्तावेजों की जांच जारी है। अभी तक विभाग ने किसी भी फर्म को किताब खरीद का काम नहीं सौंपा है। पूरी पारदर्शिता के साथ खरीद की जाएगी।