कमला की जिंदगी में आई उजाले की किरण, बेसहारा विकलांग विधवा का पुनर्वास होगा
1 min readशिमला। अंधेरी कोठरी में वर्षों से दिन काट रही कमला कि जिंदगी में पहली बार उम्मीद की किरण आई है। गंभीर दुर्घटना में घुटनों से नीचे पैर खराब होने के कारण चलने में असमर्थ और मानसिक रूप से अस्वस्थ इस बेसहारा विधवा को इंदिरा गांधी मेडिकल कॉलेज के मनोचिकित्सा विभाग में दो-तीन दिन तक ऑब्ज़रवेशन के लिए भर्ती कराया गया है। वह ऊपरी शिमला के सरस्वती नगर के पास अंटी गांव में अत्यंत दयनीय स्थिति में रह रही थी।
उमंग फाउंडेशन के अध्यक्ष एवं राज्य विकलांगता सलाहकार बोर्ड के विशेषज्ञ सदस्य प्रो. अजय श्रीवास्तव ने बेसहारा कमला को रेस्क्यू करके उसकी मनोचिकित्सा कराने एवं पुनर्वास के लिए मुख्यमंत्री से आग्रह किया था। इसके बाद उसे रेस्क्यू करने के काम में तेजी आई। उसे पूर्व रोहडू के सामाजिक कार्यकर्ता नरेंद्र चौहान ने कमला के लिए बड़ी गंभीरता से प्रयास किए। लेकिन प्रशासनिक सुस्ती के कारण उस में विलंब हो रहा था।
आईजीएमसी अस्पताल के मनोचिकित्सा विभाग के प्रोफेसर एवं अध्यक्ष डॉ दिनेश शर्मा का कहना है कि कमला को अभी फिलहाल निगरानी में रखा गया है ताकि यह तय किया जा सके कि उसकी मानसिक समस्या क्या है। एसडीएम रोहडू के आदेश पर महिला एवं बाल कल्याण विभाग नहीं उसे आईजीएमसी में भर्ती कराया।
प्रो. श्रीवास्तव का कहना है कि यदि कमला का मानसिक स्वास्थ्य ठीक है तो उसे नारी सेवा सदन में भर्ती कराया जा सकता है। यदि वह मानसिक रोगी है तो उसे कुल्लू के कलाथ एक स्वयंसेवी संस्था द्वारा द्वारा चलाए जा रहे बेसहारा मनोरोगी महिलाओं के आश्रम में भर्ती कराया जाएगा। उन्होंने बताया कि उनकी जनहित याचिका पर हाईकोर्ट ने वर्ष 2015 में आदेश दिए थे की मनोरोगी या बौद्धिक विकलांगता वाली महिलाओं को सामान्य महिलाओं के साथ नारी सेवा सदन में नहीं रखा जा सकता।
सामाजिक कार्यकर्ता नरेंद्र चौहान के साथ जुब्बल के सीडीपीओ आशीष चौहान और तहसील कल्याण अधिकारी मुकुल चौहान ने कमला के घर जाकर उसको भोजन कराया और सम्मान सहित सरकारी वाहन में आईजीएमसी के लिए रवाना किया।