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एनीमिया से बचाव के लिए भोजन में हरी पत्तेदार सब्जियां शामिल करें

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बिलासपुर 24 फरवरी 2022 – मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. प्रवीण कुमार ने बताया की एनीमिया एक रोग है जिसमें हमारे खून में उपस्थित लाल रक्त कणों में हीमोग्लोबिन की कमी हो जाती है जिसके कारण फेफड़ों से शरीर के अन्य अंगों तक प्राणवायु व ऑक्सीजन ले जाने में कमी आ जाती है।
उन्होंने बताया कि ज्यादातर आयरन की कमी से हिमोग्लोबिन कम हो जाता है। जिन लोगों के भोजन में पौष्टिक तत्वों लौह या आयरन, विटामिन लवणों तथा प्रोटीन की कमी होती है, पेट के कीड़े, मलेरिया तथा क्षय रोग से शरीर में खून कम बनता है।
उन्होंने बताया कि खूनी बवासीर, आंतों का कैंसर व आंतों में अल्सर, महिलाओं में अधिक माहवारी आना, दुर्घटना आदि में चोट लगने पर खून बहने  के कारण व्यक्ति एनीमिया हो जाता है। उन्होंने बताया कि खून की कमी सबसे अधिक 4 माह से 6 वर्ष के बच्चे 11 वर्ष से 18 वर्ष की किशोरी और गर्भवती तथा दूध पिलाने वाली माताएं अधिक प्रभावित होती हैं।
उन्होंने बताया कि जिन महिलाओं में खून की कमी होती है उन्हें गर्भावस्था में पल रहे बच्चे में खून की कमी होने पर बच्चा मानसिक व शारीरिक रूप से दुर्बल पैदा होने की संभावना ज्यादा रहती है। बच्चों में खून की कमी होने पर उनका वजन व लंबाई नहीं बढ़ती, बच्चा पढ़ाई में कमजोर होता है तथा उसे संक्रामक रोग होने की संभावना बढ़ जाती है। कई बार बच्चे की मृत्यु हो जाती है।
उन्होंने बताया कि त्वचा का सफेद दिखना, जीभ, नाखुनों व पलकों के अंदर सफेदी, कमजोरी तथा बहुत अधिक थकावट, चक्कर आना विशेषकर लेटकर व बैठकर उठन में, बैहोश होना, सांस फूलना, हृदयगति का तेज होना तथा चेहरे व पैरों पर सूजन दिखाई देना अनीमिया के लक्षण है।
उन्होंने बताया कि खून की कमी यानी एनीमिया को खत्म करने के लिए स्कूलों में बिप्स कार्यक्रम आरंभ किया गया है। जिसमें 6 वर्ष से 10 वर्ष तक के बच्चों के लिए गुलाबी रंग की गोली 11 वर्ष से 19 वर्ष के बच्चों के लिए नीली गोली सप्ताह में एक बार दी जाती है। गर्भवती व दूध पिलाने वाली महिलाओं के लिए लाल रंग की गोली दी जाती है जो हीमोग्लोबिन यानी खून बढ़ाने का काम करती है।
उन्होंने बताया कि दूध पिलाने वाली व गर्भवती माताओं को हरी पत्तेदार सब्जियां, टमाटर, चुकंदर, लहसुन आमला, नींबू, संतरा, चने, मटर आदि को अपने भोजन में शामिल करके एनीमिया से बचाव किया जा सकता हैं। उन्होंने बताया कि इसके उपचार तथा रोकथाम के लिए अगर एनीमिया मलेरिया, परजीवी कीटों के काटने से है तो पहले इसका इलाज करें। लौह तत्व युक्त चीजों का सेवन करें। विटामिन ए एवं सी युक्त खाद्य पदार्थ खाएं। गर्भवती महिलाओं एवं किशोरी लड़कियों को नियमित रूप से 100 दिन तक लौह तत्व व फोलिक-एसिड की 1 गोली रोज रात को खाना खाने के बाद लेनी चाहिए। जल्दी-जल्दी गर्भधारण से बचना चाहिए। भोजन के बाद चाय के सेवन से बचें, क्योंकि चाय भोजन से मिलने वाले जरूरी पोषक तत्वों को नष्ट करती है। काली चाय एवं कॉफी पीने से बचें।
उन्होंने बताया कि खाना लोहे की कड़ाही में पकाएं। उन्होंने बताया कि  सभी आयु वर्ग के लोगों को विशेष तौर पर 11 से 18 वर्ष की किशोरियों तथा गर्भवती तथा दूध पिलाने वाली माताएं अपने नजदीकी सरकारी अस्पताल स्वास्थ्य उप केंद्रों में खून (एच बी) की  मुफ्त में जांच की जाती है। सरकारी अस्पतालों में आयरन तथा कैल्शियम की गोलियां मुफ्त में दी जाती है। उन्होंने बताया कि जिनका एच बी 9 व 9 ग्राम से कम हो वे डाॅक्टर को अवश्य दिखाएं।

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