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भारतीय उच्च अध्ययन संस्थान में हर्षोल्लास के साथ मनाया गया हिन्दी दिवस

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भारतीय उच्च अध्ययन संस्थान (एडवांस्ड स्टडी) में गुरुवार को हिन्दी दिवस बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। संगोष्ठी कक्ष में आयोजित कार्यक्रम में संस्थान के अध्येताओं, अधिकारियों और कर्मचारियों ने बढ़-चढ़ कर उत्साह के साथ हिस्सा लिया।

इस अवसर पर संस्थान में अध्ययनरत अध्येताओं व आईयूसी सह-अध्येताओं ने हिन्दी से जुड़े विविध विषयों पर अपने विचार रखे। आईयूसी सह-अध्येता डॉ.गजेन्द्र भारद्वाज ने राजभाषा हिन्दी का इतिहास विषय पर बोलते हुए भारत में हिन्दी की अपरिहायर्ता पर जोर दिया। अध्येता डॉ. प्रेरणा चतुर्वेदी ने राजभाषा हिन्दी के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि भारत मे हिन्दी ही एक ऐसी भाषा है जो कश्मीर से कन्याकुमारी तक बोली और समझी जा सकती है। अध्येता प्रोफे़सर हरिमोहन बुधोलिया ने राजभाषा: राष्ट्रभाषा हिन्दी विषय पर अपने विचार रखते हुए कहा कि हिन्दी भाषा में ही पूरे भारत की अभिव्यक्ति एवं राजभाषा बनने की सामर्थ्य है। प्रोफेसर राजेन्द्र बड़गूज़र ने राजभाषा संबंधी विचार व्यक्त करते हुए कहा कि यह भारत का दुर्भाग्य ही है कि अनेक संसोधनों के बाबजूद अभी तक हिन्दी को अपेक्षित स्थान नहीं मिल पाया है। टैगोर अध्येता प्रोफे़सर महेश चंपकलाल ने कहा कि हिन्दी अनेक लोकभाषाओं के शब्दों को अपने में समाहित कर उनको सम्मान देती हुई स्वय को समृद्ध कर रही है। राष्ट्रीय अध्येता प्रोफे़सर शंकर शरण ने ’हिन्दी की उपलब्धियाँ विषय पर विचार व्यक्त करते कहा कि तमाम व्यवधानों के बावजूद हिन्दी का प्रचार- प्रसार अनवरत गति से हो रहा है। हिन्दी सिनेमा एवं उच्च कोटि का साहित्य हिन्दी को पूरे विश्व में फैला रहा है। कार्यक्रम में अध्येता डॉ. आलोक कुमार गुप्त, डॉ. प्रियंका वैद्य एवं डॉ. वंदना शर्मा ने हिन्दी कविताओं के माध्यम से हिन्दी की अभिव्यक्ति क्षमता पर सबका मन मोहा।

कार्यक्रम की अध्यक्षता संस्थान के पुस्तकालय अध्यक्ष प्रेम चंद ने की। उन्होंने कहा कि गृह मंत्रालय भारत सरकार के निर्देशानुसार संस्थान के निदेशक एवं सचिव महोदय पुणे में हिन्दी दिवस तथा द्वितीय राजभाषा सम्मेलन में संस्थान की भागीदारी सुनिश्चित करने हेतु गए हैं। इसलिए आज के इस कार्यक्रम की अध्यक्षता का जिम्मा उन्हें सौंपा गया है। पुस्तकालय अध्यक्ष ने कहा कि संस्थान में हिन्दी का व्यावहारिक प्रयोग लगातार बढ़ रहा है और हिन्दी प्रगामी प्रयोग को बढ़ाने के लिए गृह मंत्रालय के राजभाषा विभाग तथा शिक्षा मंत्रालय से जो भी निर्देश प्राप्त होते हैं संस्थान की ओर से उनका पूरी तरह पालन किया जाता है। उन्होंने कहा कि संस्थान में हिन्दी और क्षेत्रीय भाषाओं की लगभग 25000 पुस्तकें हैं तथा हिन्दी मे 12108 पुस्तकें हैं जो हिन्दी तथा क्षेत्रीय भाषाओं के माध्यम से शोधकार्य कर रहे अध्येताओं एवं सह-अध्येताओं व अन्य उपयोगकर्ताओं के लिए बहुत लाभकारी हैं। उन्होंने यह भी कहा कि संस्थान हिमांजलि तथा चेतना नामक हिन्दी की शोध पत्रिकाओं का नियमित तौर पर प्रकाशन कर रहा है। इसके अलावा संस्थान द्वारा राजभाषा एकक की अलग से पत्रिका हिम संहिता का ऑनलाइन प्रकाशन भी किया जा रहा है।

संस्थान में हिन्दी पखवाड़े के दौरान हिन्दी की विभिन्न प्रतियोगिताएं आयोजित की जाएंगी। इसी पखवाड़े के दौरान निदेशक महोदय द्वारा मनोनीत चार सदस्यीय समिति द्वारा वर्ष 2022-23 के दौरान संस्थान के अधिकारियों एवं कर्मचारियों द्वारा हिन्दी में किए मूल टिप्पण/आलेखन का मूल्यांकन किया जाएगा और राजभाषा विभाग द्वारा निर्धारित मानदण्डों के अनुरूप हिन्दी में कामकाज करने वाले 10 अधिकारियों/कर्मचारियों को प्रोत्साहन पुरुस्कार प्रदान करने के लिए नामित किया जाएगा।

संस्थान की आवासी चिकित्सा अधिकारी डॉ. मीनू अग्रवाल ने संस्थान के निदेशक प्रोफेसर नागेश्वर राव और सचिव श्री मेहर चंद नेगी सहित उपस्थित सभी सभासदों का धन्यवाद ज्ञापित किया। मंच का संचालन अनुभाग अधिकारी एवं सचिव राजभाषा विजय लक्ष्मी भारद्वाज ने किया। समारोह का समापन राष्ट्रगान के साथ हुआ।

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