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गर्भावस्था में पोषक एवं संतुलित आहार जरूरी

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बिलासपुर 11 जून – मुख्य चिकित्सा अधिकारी बिलासपुर डाॅ0 प्रकाश दरोच ने बताया कि मां बनना हर स्त्री की चाह होती है और गर्भावस्था नारी जीवन का महत्वपूर्ण साथ ही नाजुक दौर होता है।

उन्होंने बताया कि गर्भावस्था में मां और उनके गर्भावस्था शिशु के स्वास्थ्य की उचित देखभाल के लिए उपयोगी सुझाव जरुरी हैं। उन्होंने बताया कि गर्भ ठहरते ही पास के स्वास्थ्य केन्द्र में जाकर अपना पंजीकरण करवा कर गर्भ की जांच एवं अन्य आवश्यक परीक्षण करवाएं।

उन्होंने बताया कि चिकित्सक की सलाह से आयरन-फाॅलिक एसिड की गोलियां खाएं ताकि खून की कमी न हो। गर्भावस्था में गर्भवती महिला एवं गर्भ में पल रहे शिशु के लिए पोषक और संतुलित आहार बहुत जरुरी है। भोजन में चावल, रोटी, अन्य अनाज, दालें, हरी पतेदार एवं अन्य सब्जियां, मौसमी फल, दूध तथा दूध से बनी चीजें, मांसाहार (यदि लेते हो), नियमित तौर पर शामिल करें। चिकनाई, गुड आदि उचित मात्रा में खाएं।

उन्होंने बताया कि खाने में केवल आयोडीन युक्त नमक ही प्रयोग करें ताकि गर्भवती और उनके बच्चे का समुचित मानसिक और शारीरिक विकास हो सके। आयोडीन की कमी से मानसिक विकलांगता हो सकती है। गर्भावस्था में अधिक देर तक खाली पेट न रहे। आवश्यक मात्रा में दिन में चार-पांच बार हल्का और आसानी से पचने वाला भोजन लें। गर्भवती महिला व्यक्तिगत सफाई पर पूरा ध्यान दें। अपने नाखून समय पर काटें ताकि इनमें गंदगी न जमा होने पाए।

उन्होंने बताया कि खाना पकाने, परोसने और खाने से पहले हाथों को साबुन और पानी से अच्छी तरह धोएं जिससे परिवार गंदगी से होने वाली बीमारियों (जैसे उल्टी, दस्त, पीलिया, आंत के कीडे) से बचा रहेगा। घर के अंदर तथा बाहर साफ-सफाई पर ध्यान दें। मच्छरों के काटने से बचें, मच्छरदानी का प्रयोग करें। गंदगी और मच्छर-मक्खियों से होने वाली बीमारियों से बचें। घर की खिडकियां खोल कर रखें ताकि घर का वातावरण साफ तथा हवादार रहे।

उन्होंने बताया कि गर्भवती महिला के लिए सुबह-शाम खुली हवा में घूमना, टहलना स्वास्थ्यवर्धक है। अधिक देर तक पैरों को लटका कर न बैठें। खडे होकर काम करने की अपेक्षा बैठकर काम करना उचित है। भारी वजन न उठाएं। घर का वातावरण खुशनुमा रखें। दोपहर को थोडा आराम अवश्य करें। तम्बाकू और नशीले पदाथों का सेवन गर्भवती महिला और गर्भ में शिशु के स्वास्थ्य पर बुरा असर डालते हैं, इनसे दूर रहें।

उन्होंने बताया कि गर्भावस्था के दौरान डाॅक्टर या स्वास्थ्य कार्यकर्ता द्वारा बताए गए समय पर स्वास्थ्य की जांच करवाएं। साथ ही साथ टीटी टीके भी अवश्य लगवाएं। पेट में अचानक दर्द उठने पर, रक्तस्राव होने पर या गर्भ में शिशु का हिलना-डुलना कम होने पर तुरंत डाॅक्टरी जांच के लिए निकटतम स्वास्थ्य केन्द्र या अस्पताल में दिखाएं। स्वास्थ्य केन्द्र/अस्पताल में प्रसव मां और शिशु दोनों के लिए हितकर है।

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