Himachal Tonite

Go Beyond News

आय में बढ़ौत्तरी करने के लिए प्राकृतिक खेती को अपनाएं किसान: रायजादा

1 min read
ऊना में 12282 किसान 1491.93 हेक्टेयर पर कर रहे प्राकृतिक खेतीे
ऊना उपमण्डल के रामपुर में प्राकृतिक खेती खुशहाल किसान योजना के तहत एक दिवसीय कार्यशाला आयोजित
ऊना, 17 अक्तूबर –  उपमंडल ऊना में प्राकृतिक खेती खुशहाल किसान योजना के तहत  किसानों/बागवानों के लिए एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यशाला में 150 किसानों ने भाग लिया। 
  कार्यशाला का शुभारंभ पूर्व विधायक सतपाल रायजादा ने किया। उपस्थित किसानों को सम्बोधित करते हुए उन्होंने कहा कि प्राकृतिक खेती को अपनाकर किसान/बागवान अपनी आर्थिकी को सुदृढ़ कर सकते हैं। उन्होंने आतमा व कृषि विभाग के अधिकारियों से कहा कि प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए अधिक से अधिक किसानों को प्रोत्साहित करें। उन्होंने कहा कि प्राकृतिक खेती धीरे-धीरे समय की जरूरत बनती जा रही है। इस पद्धति से कम लागत के साथ किसान जैविक पैदावार बढ़ा सकते हैं और अपनी आय में भी बढ़ौत्तरी कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि प्राकृतिक खेती का मुख्य उद्देश्य रसायन मुक्त खेती को बढ़ावा देना है। उन्होंने अधिकारियों को आदेश दिए कि प्राकृतिक खेती के बारे में जागरूक करने के लिए प्राकृतिक खेती कर रहे किसानों के खेतों में भ्रमण भी करवाएं ताकि अन्य किसान भी इस खेती से प्रेरित होकर प्राकृतिक खेती की ओर अपना रूख करें।
परियोजना निदेशक आतमा वरिन्दर बग्गा ने कहा कि प्राकृतिक खेती पदम्श्री सुभाष पालेकर द्वारा दी गई कृषि पद्धति है इसमें किसान को नकद पैसे की आवश्यकता नहीं पड़ती। उन्होंने प्राकृतिक खेती में इस्तेमाल होने वाले विभिन्न घटकों जैसे कि जीवामृत, बीजामृत, नीमास्त्र, अग्निअस्त्र के बारे में जानकारी दी तथा आतमा द्वारा प्राकृतिक खेती के अंतर्गत देसी गाय की विभिन्न नस्लों, संसाधनों, भंडारों, ड्रमों तथा गौमूत्र इकट्ठा करने के लिए फर्श के निर्माण पर दी जाने वाली आर्थिक सहायता के बारे में भी किसानों को जानकारी दी। उन्होंने रसायनों से होने वाले मृदा के नुकसान तथा प्राकृतिक खेती द्वारा पैदा होने वाले उत्पादों के लाभों बारे भी बताया। उन्होंने कहा कि प्राकृतिक खेती को जहरमुक्त खेती के नाम से भी जाना जाता है, जिसके अंतर्गत देसी गाय की नस्लों जैसे साहीवाल, रेड सिंधी, थारपरकर, गीर, राठी, पहाड़ी इत्यादि पर 25 हजार रुपये गाय खरीद तथा 5 हजार रुपये यातायात के लिए आर्थिक सहायता दी जाती है। इसके अतिरिक्त विभिन्न घटक बनाने तथा गौमूत्र इकट्ठा करने के लिए किसानों को दिये जाने वाले ड्रमों पर 75 प्रतिशत अनुदान का प्रावधान है। जबकि संसाधन भण्डार पर 10 हजार रुपये तथा गौमूत्र इकट्ठा करने पर फर्श निर्माण के लिए 8 हजार रुपये की आर्थिक मदद का प्रावधान है। 
बग्गा ने बताया कि रसायनों के इस्तेमाल से धरती, मानव, जल, जीव जन्तु तथा पेड़ पौधों इत्यादि पर होने वाले दुष्प्रभाव के बारे में विस्तारपूर्वक बताया। उन्होने बताया कि जिला ऊना में 12282 किसान 1491.93 हेक्टेयर क्षेत्रफल पर प्राकृतिक खेती कर रहे हैं। 
कार्यशाला में विभिन्न विभागों के प्रतिनिधियों ने संबन्धित विभाग के माध्यम से चलाई जा रही विभिन्न योजनाओं की जानकारी प्रदान की। परियोजना निदेशक ने पानी के सदुपयोग के बारे में बताया तथा यह भी कहा प्राकृतिक खेती में कम पानी  की आवश्यकता होती है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *