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कर्मचारी संयुक्त सलाहकार समिति की बैठक एक ड्रामा – त्रिलोक सूर्यवंशी

भाषा एवं संस्कृति विभाग हिमाचल प्रदेश के पूर्व सहायक निदेशक एवं बैजनाथ ब्लॉक कांग्रेस कमेटी के महासचिव त्रिलोक सूर्यवंशी ने मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर की अध्यक्षता में सम्पन्न हुई कर्मचारी संयुक्त सलाहकार समिति की बैठक को ड्रामा करार दिया है।

सूर्यवंशी ने कहा कि सबसे पहले तो सरकार ने चार वर्ष तक किसी भी अराजपत्रित कर्मचारी संगठन को मान्यता नहीं दी। चौथे वर्ष मान्यता दी भी तो अपने विधानसभा क्षेत्र से सम्बन्धित अशवनी ठाकुर के गुट को दे दी।

मान्यता से पूर्व अशवनी ठाकुर का कर्मचारी महासंघ के गठन व चुनावों में कोई योगदान नहीं था। सूर्यवंशी ने बताया कि भाजपा सरकार के सत्ता में आने के पश्चात विनोद गुट ही सक्रिय था। कर्मचारी नेता विनोद ठाकुर के गुट ने पहले जिला स्तर पर तथा उसके पश्चात निदेशालय स्तर पर चुनाव करवाए।

इसके विपरीत अशवनी गुट का कहीं भी नाम नहीं था और न ही उनका महासंघ के गठन में कोई विशेष योगदान फिर भी उन्हें हिमाचल अराजपत्रित कर्मचारी महासंघ का अध्यक्ष और उपायुक्त कार्यलय मण्डी के कर्मचारी को महासचिव बनाकर मान्यता दे दी ताकि उपरोक्त कर्मचारी नेता सरकार के दबाव में कार्य करते रहें।

इसी नीति को अपनाते हुए जय राम सरकार ने चार साल के पश्चात (चुनावी वर्ष के शुरू में ) पहली बार संयुक्त सलाहकार समिति की बैठक बुलाई और कर्मचारियों को लालीपॉप पकड़ा दिया। सूर्यवंशी ने कहा कि हिमाचल प्रदेश में कर्मचारियों को पंजाब वेतन आयोग के अनुसार हर दस वर्षों के पश्चात संशोधित वेतनमान दिया जाता है जो कि पंजाब सरकार के लागू करने के पश्चात स्वभाविक रूप से हिमाचल प्रदेश के कर्मचारियों को मिलना ही होता है इस मुद्दे को संयुक्त सलाहकार समिति में लाने का प्रश्न ही उत्पन्न नहीं होता जिसका सरकार क्रडिट ले रही है।

सूर्यवंशी ने कहा कि नया वेतनमान फरवरी में देने की बात तो कही लेकिन एरियर और डी.ए. का जिक्र भी नहीं किया! दूसरा जिस फैमिली पेन्शन की बात की जा रही है उस फैमिली पेंशन घोषणा तत्कालीन धूमल सरकार ने 2009 में की हुई थी जिसका क्रियान्वयन करने के लिए बारह वर्ष लग गए।

अनुबन्ध अवधि को तीन साल से घटाकर दो साल किया गया है जो कि भारतीय जनता पार्टी के दृष्टि दस्तावेज में था कि हम सरकार में आते ही अनुबंध अवधि को तीन साल से घटाकर दो साल कर देंगे जिसकी अब पांचवे वर्ष में करने की घोषणा की जा रही है।

इसी तरह और भी कई मुद्दे व मांगे मानी गई हैं जिनको क्रियान्वित करने के लिए विभिन्न वितीय व अन्य औपचारिकताएं पूर्ण करने के लिए महीनों लग जाएंगे और तब तक सरकार भी चली जाएगी और कर्मचारियों को कुछ भी नहीं मिलेगा!
सूर्यवंशी ने कहा कि भाजपा सरकार कर्मचारी हितैषी नहीं बल्कि हमेशा कर्मचारी विरोधी सरकार रही है।
इतिहास में पहली बार पुलिस के कर्मचारियों को बावर्दी अपने हक के लिए सड़क पर उतरना पड़ रहा, हिमाचल परिवहन के कर्मचारी टूल डाऊन हड़ताल कर रहे हैं और आशा वर्करज अपनी मांगों के लिए भटक रही हैं।

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