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बच्चों को उच्च शिक्षा प्रदान करने का सपना हुआ साकार

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कुल्लू – जिला के आनी उपमण्डल के नित्थर की जमना देवी और चेवड़ी गांव की प्रोमिला शर्मा दोनों की माली हालत अच्छी नहीं थी। बामुश्किल दो वक्त का खाना जुटाने की जुगत में सारा दिन मेहनत करनी पड़ती थी। इनके घरों से कोई भी सरकारी नौकरी में नहीं है और न ही इतनी जमीन है जहां परिवारों का सहज गुजर बसर हो सके।

जमना देवी और प्रोमिला शर्मा को गांव में एक शिविर के दौरान श्रमिक कल्याण बोर्ड की योजनाओं को जानने का मौका मिला। उनके जीवन में एक आशा की किरण जगी। दोनों ने श्रमिक कल्याण बोर्ड में अपने आप को पंजीकृत करवाने की ठान ली। इसके लिए उन्होंने मनरेगा में लगातार साल भर काम किया और अपने आप को बोर्ड के साथ जोडने में कामयाबी हासिल की। फिर क्या था, बोर्ड की अनेक प्रकार की वित्तीय सहायता ने उनके दरवाजे पर दस्तक देनी शुरू कर दी। उन्होंने कभी नहीं सोचा था कि वह अपने बच्चों की पढ़ाई को जारी रख पाएंगी। बच्चों को थोड़ा बड़ा होते देख मेहनत मजदूरी के काम पर लगाने का मन बना चुकी थी।

Jamana Sharma

श्रमिक कल्याण बोर्ड के साथ पंजीकरण होने पर सबसे पहले बोर्ड के माध्यम से उनके बच्चों को पढ़ाई के लिए छात्रवृति की स्वीकृति प्राप्त हुई। प्रोमिला की दो बेटियां हैं। सारिका 8वीं में और नूतन 9वीं कक्षा में पढ़ रही हैं। सारिका को 7000 रुपये जबकि नूतन को 10 हजार रुपये सालाना छात्रवृति मिलनी शुरू हो चुकी है। प्रोमिला को अब दूसरों की तरह अपनी बेटियों को अच्छी शिक्षा प्रदान करने का सपना साकार होता नजर आ रहा है।

जमना के दो बेटे हैं। अंकुश 10वीं में तथा प्रशांत 11वीं कक्षा में पढ़ रहा है। प्रत्येक को 6 हजार रुपये की छात्रवृति बोर्ड द्वारा प्रदान की जा रही है। जमना को भी अब बच्चों की पढ़ाई की अधिक चिंता नहीं है।

बोर्ड द्वारा दोनों महिलाओं को हर साल इंडक्शन, सोलर लैम्प, साईकल, वाटर फिल्टर, डिनर सैट इत्यादि में से एक-एक वस्तु प्रदान की जा रही है। दोनों महिलाओं ने मनरेगा में भी काम करना जारी रखा है जिससे घर की आर्थिकी को संबल मिल रहा है। बच्चों के लिए छात्रवृति भी जारी रहेगी। इन महिलाओं का कहना है कि गांवों में बहुत सी उनकी तरह अन्य महिलाएं भी हैं जो आर्थिक तौर पर काफी कमजोर हैं। वे ऐसी महिलाओं को संदेश भी देना चाहती हैं कि मनरेगा में साल में 90 दिन पूरे करके अपना पंजीकरण श्रमिक कल्याण बोर्ड के पास करवाएं। ऐसा करने से उनके जीवन में आशा की एक नई किरण पैदा होगी और उनका भविष्य भी सुरक्षित हो जाएगा। वे समझ चुकी हैं कि 60 साल की आयु के उपरांत उन्हें बोर्ड पेंशन भी प्रदान करेगा। इसकी औपचारिकताएं भी इन महिलाओं ने पूरी करवा ली हैं।

क्या है श्रमिक कल्याण बोर्ड
हिमाचल प्रदेश में भवन एवं सन्निर्माण कामगार कल्याण बोर्ड का गठन वर्ष 2009 में किया गया था। बोर्ड की स्थापना असंगठित क्षेत्र के मजदूरों के कल्याण के लिए की गई है। भवन एवं अन्य सन्निर्माण कामगार अधिनियम के अनुसार भवन या अन्य सन्निर्माण कार्य से तात्पर्य भवनों, मार्गों, सड़कों, रेलवे, ट्रामवे, हवाई अड्डा, सिंचाई, जल निकास, तटबंध, नौ परिवहन, बाढ़ नियंत्रण कार्य, वर्षा जल निकास कार्य, विद्युत के उत्पादन, पारेषण एवं वितरण, जल संबंधी कार्य, तेल तथा गैस स्थापना संबंधित कार्य, विद्युत लाईनों, बेतार रेडियो, टेलीफोन, तार तथा ओवरसीज संचार माध्यमों, बांधों, नहरों, जलाशयों, सुरंगों, पुल-पुलियों, पाइप लाइनों, टावर, शीतलन टावर, पारेषण टावरों को निर्माण कार्यों में सम्मिलित किया गया है।

कामगारों के लिए बोर्ड की क्या है योजनाएं

असंगठित क्षेत्र के मजदूरों के लिए 16 प्रकार के लाभ प्रदान किए जाते हैं। प्राकृतिक मौत पर 2.20 लाख की सहायता राशि, दुर्घटना से मौत पर 4.20 लाख का बीमा। मेडिकल लाभों में ओपीडी में 50 हजार तक का मुफ्त इलाज, इण्डोर में एक लाख तक का इलाज जबकि गंभीर बीमारी की स्थिति में 5 लाख तक के मुफत इलाज की सुविधा है। पहली से पीएचडी तक छात्रवृति 5000 से 35000 तक प्रदान की जाती है। दो बच्चों की शादी के लिए 51 हजार प्रत्येक बच्चे को वित्तीय सहायता दी जा रही है। मातृत्व व पितृत्व अवकाश के साथ पुरूष को 6 हजार व महिला को 25000 प्लस 6 माह की दिहाड़ी का भी है प्रावधान।

60 साल तक सदस्य रहने पर एक हजार मासिक पेंशन प्रदान की जाएगी। भविष्य में बढ़ सकती है।

व्यावसायिक प्रशिक्षण या एक या दो साल का डिप्लोमा करने पर बालिका को 20 हजार व बालक को 15 हजार की सहायता राशि प्रदान की जाती है। मेडिकल, इंजीनियंरिग या पीएचडी करने पर बालिका को 35 हजार की राशि व बालक को 25 हजार रुपये की सहायता राशि प्रदान की जाती है।

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