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महिलाओं की सुरक्षा के लिए सकारात्मक वातावरण तैयार करना सभी की जिम्मेदारी

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शिमला, 08 मार्च  – हमारी समृद्ध संस्कृति में वैदिक काल से ही महिलाओं को सम्मान प्रदान किया जाता रहा है। महिलाएं सबल व सशक्त रहे इसके प्रमाण प्राचीन ग्रन्थों में विद्यमान है। हिमाचल प्रदेश राज्य रेडक्राॅस सोसायटी अस्पताल शाखा की अध्यक्षा डाॅ. साधना ठाकुर ने आज राष्ट्रीय कृषि व ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) द्वारा आयोजित महिला दिवस के अवसर पर यह जानकारी दी।

उन्होंने कहा कि कालांत्र में अक्रांताओं से महिलाओं की सुरक्षा के लिए बनाई गई परम्पराएं कुरीतियों में परिवर्तित हुई, जिससे महिलाओं के सम्मान को ठेस लगी। उन्होंने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों मंे जहां महिलाओं का सशक्तिकरण हुआ है, वहां महिलाओं की शिक्षा मूल कारण रही है, जिससे महिलाओं की स्थिति सुदृढ़ हुई।

उन्होंने कहा कि महिलाओं की सुरक्षा के लिए सकारात्मक वातावरण तैयार करना सभी की जिम्मेदारी है तथा महिलाओं को प्रत्येक क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने के लिए सभी का सहयोग आपेक्षित है। उन्होंने कहा कि देश व प्रदेश में विकास की यात्राओं को आगे बढ़ाने के लिए पुरुषों के साथ महिलाएं भी बराबर की सहभागी है।
उन्होंने कहा कि महिलाओं को मिलने वाली स्वतंत्रता पुरुषों के कारण ही सम्भव हो पाई है। उन्होंने कहा कि समाज के विकास के लिए महिलाओं के साथ-साथ पुरुषों का साथ होना भी नितांत आवश्यक है। उन्होंने समाज में महिलाओं के योगदान और संघर्ष पर भी विचार प्रकट किया।

उन्होंने ग्रामीण क्षेत्रों की महिलाओं को शहरी क्षेत्र में विपणन के अवसर प्रदान करने के लिए नाबार्ड के प्रयासों की सराहना की।

उन्होंने कहा कि महिलाओं की आय बढ़ाने के लिए नाबार्ड द्वारा आयोजित मेलों और प्रदर्शियों का अहम योगदान है। उन्होंने बैंकों से अनुरोध किया कि वे ग्रामीण महिलाओं की ऋण आवश्यकताओं को समझे ताकि महिलाएं समाज और देश के समुचित विकास में योगदान दे सकें। उन्होंने देश के विकास के लिए नाबार्ड के प्रयासों की सराहना की।

इस अवसर पर उन्होंने नाबार्ड के अंतर्गत महिला स्वयं सहायता समूह द्वारा तैयार उत्पादों की प्रदर्शनी का उद्घाटन व अवलोकन किया तथा स्टाॅलों पर जाकर स्वयं सहायता समूह की महिलाओं का उत्साह बढ़ाया। उन्होंने विभिन्न क्षेत्रों में उत्कृष्ट कार्य करने के लिए 12 महिलाओं को पुरस्कृत भी किया।

इस अवसर पर मुख्य महा प्रबंधक नाबार्ड दिनेश रैना ने स्वागत संबोधन के तहत नाबार्ड को दुनिया के सबसे बड़े महिला स्वयं सहायता समूह कार्यक्रम की शुरूआत बैंक बताया। उन्होंने कहा कि स्वयं सहायता समूह कार्यक्रम महिला सशक्तिकरण सबसे प्रभावी और शक्तिशाली साधन बना है। उन्होंने बताया कि नाबार्ड द्वारा प्रायोजित कौशल विकास कार्यक्रमों में स्वयं सहायता समूह ने जो कौशल हासिल किया, जिसके परिणामस्वरूप उनमें से कई सफल उद्यमी निकलें, जिन्होंने न केवल स्वरोजगार शुरू किया बल्कि साथी महिलाओं को भी रोजगार प्रदान किया। उन्होंने बताया कि आज प्रदेश के विभिन्न जिलों से आए 20 महिला स्वयं सहायता समूह द्वारा तैयार उत्पादों की प्रदर्शनी लगाई गई है, जिसके 40 सदस्यों ने इसमें भाग लिया।

इस अवसर पर महा प्रबंधक सहकारी बैंक पंकज ललित ने अपने उद्बोधन में महिलाओं को शिक्षित करने पर बल दिया। उन्होंने कहा कि शिक्षा ही महिलाओं को सशक्त बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करती है।

दूरदर्शन शिमला मुख्य कार्यक्रम प्रभारी धारा सरस्वती ने अपने उद्बोधन में घरेलू हिंसा को रोकने के लिए संस्कार प्रदान कर वातावरण बनाने की अपील की।

राज्य सहकारी बैंक की उप महा प्रबंधक डाॅ. ज्योतिका खिम्टा ने महिला व पुरुष के परस्पर सहयोग से ही श्रेष्ठ समाज को मजबूत नींव बताया।

महा प्रबंधक नाबार्ड डाॅ. सुधांशु के.के. मिश्रा ने अपने आभार उद्बोधन में ग्रामीण क्षेत्रों से आए स्वयं सहायता समूह ने नाबार्ड में नए आयाम स्थापित किए हैं, जिसमें वृहद रूप से महिलाएं शामिल है, जिन्होंने ऋण उपयोग के उचित मानदंड बनाए हैं। उन्होंने कहा कि न केवल प्रदेश अपितु देश में स्वयं सहायता समूह जिनमें महिलाएं शामिल है ने ही नाबार्ड को मजबूत नींव प्रदान की है।

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