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कोरोना संकट के बीच एचपीयू परिसर में लाखों की मूर्ति लगाने के निर्णय पर उग्र एनएसयूआई

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लाखों की मूर्ति स्थापित करने के बजाय छात्रों को कोविड राहत के तौर पर पीजी प्रवेश शुल्क व अन्य फीस माफ करें विश्वविद्यालय : छत्तर ठाकुर

पुस्तकालय भवन से हटाई गई जवाहर भवन की पट्टिका को जल्द उसी स्थान पर स्थापित किया जाए

शिमला, मई 25 – कोरोना संकट के चलते छात्र संगठन एनएसयूआई लम्बे समय से प्रदेशभर के स्कूल-कॉलेजों व विवि छात्रों के लिए बतौर राहत फीस माफी की मांग कर रही है। हाल ही में विश्वविद्यालय द्वारा पीजी कोर्सों के आवेदन पर लिये जा रहे भारी शुल्क को माफ करने की मांग भी लगातार एनएसयूआई द्वारा उठाई जा रही है। लेकिन वहीं इस आपदा को अवसर में तबदील कर विश्वविद्यालय प्रशासन परिसर सौन्दर्यकरण के नाम पर सिर्फ एक मूर्ति पर दस लाख रुपये ख़र्च करने जा रहा है।

एनएसयूआई प्रदेशाध्यक्ष छत्तर सिंह ठाकुर ने विवि प्रशासन के इस निर्णय का विरोध करते हुए कहा कि कोरोना की मार झेल रहे मध्यम व गरीब परिवार के छात्रों की फीस माफ करने की बजाय कुलपति अपनी पुनर्नियुक्ति के जुगाड़ में लगे है। उन्होंने आरोप लगते हुए कहा कि कुलपति छात्रों की शिक्षा पर ख़र्च करने की जगह अपने राजनीतिक नेताओं को खुश करने के लिए शिक्षा बजट से लाखों रुपए बीजेपी नेताओं की मूर्तियों पर फालतू खर्च कर रहे है। प्रदेशाध्यक्ष छत्तर ठाकुर व संगठन महासचिव मनोज चौहान ने प्रेस बयान के माध्यम से कुलपति से अनुरोध किया कि वे शिक्षा की गुणवत्ता व छात्रहितों को प्राथमिकता दें और इस प्रकार बीजेपी नेताओं के मूर्तियों की राजनीति इस संकट के समय में तो छोड़ ही दें। साथ ही एनएसयूआई ने एचपीयू लाइब्रेरी भवन पर लगी जवाहर भवन की नाम पट्टिका को पुनर्स्थापित करने की मांग की है।

गौरतलब है कि लाइब्रेरी भवन के रिनोवेशन कार्य के चलते इस पट्टिका को हटाया गया था लेकिन रिनोवेशन खत्म होने के बाद भी काफी समय से उसे लगाया नहीं जा रहा और अब एक विशेष राजनीतिक विचारधारा के आकाओं को खुश करने के लिए लाइब्रेरी के सामने बीजेपी के नेताओं की मूर्ति स्थापित करने का षड्यंत्र रचा जा रहा है। एनएसयूआई ने कुलपति और विवि प्रशासन को चेतावनी देते हुए कहा कि कोरोना संकट में लाखों की मूर्ति स्थापित करने का निर्णय वापिस लें और छात्रों की फीस माफ करें अन्यथा प्रदेशभर में छात्र आंदोलन के लिए तैयार रहें।

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