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जिंदगी चुनो नशा नही, नशा आज ही त्यागें: डॉ0 प्रवीण कुमार

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बिलासपुर 24 मई – मुख्य चिकित्सा अधिकारी बिलासपुर डॉ0 प्रवीण कुमार ने बताया कि युवा वर्ग बूरी संगत के प्रभाव व दबाव में आ कर शान अनुभव  करने की चाहत से या असफलता से बचने का झूठा सहारा लेने के लिए अपने को निकमा अथवा किसी भी काम के योग्य न समझने पर या किन्ही अन्य कारणों से तम्बाकू, शराब, भांग, कोकेन, अफीम, पैथाडीन, कांपोज व ब्राउन शुगर लेना शुरू कर देते हैं। आरम्भ में मानसिक लुत्फ, अनुभव या झूठे सहारे के रूप में शुरू करते हैं और बाद में शारीरिक निर्भरता वश छोड़ नहीं पाते तथा नशे के आदी हो जाते है।
डाक्टर आप्रेशन के समय, टूटी हडी को जोड़ने व जोड़ को अपनी जगह लाते समय, दुर्घटना या चोट के समय, व्यक्ति को सुन्न, मुर्छित करने के लिए इन दवाओं का प्रयोग अपनी निगरानी में करते हैं। शारीरिक व मानसिक अवस्था में सुधार लाने के लिए इन दवाओ का प्रयोग लाभकारी होता है। उन्होने कहा कि खुराक, अन्तराल व समय अवधि को ध्यान में रख कर तथा डाक्टरी सलाह से ही दन दवाओं का इस्तेमाल करना चाहिए।
उन्होेने बताया कि दवा न मिलने या न लेने पर व्यक्ति बेआरामी महसूस करता है तथा चिड़चिड़ा हो जाता है व गुस्से भरा व्यवहार करता है। वास्तविकता झूठलाने मानसिक लुत्फ उठाने के लिए व्यक्ति नशा का अमल शुरू करता है शुरू में मानसिक व धीरे-धीरे शारीरिक निर्भरता आ जाती है। शुरू की गई दवा की मात्रा से जब नशा नहीं होता तो मात्रा धीरे-धीरे बढ़ानी पड़ती ह तथा मनुष्य दवा का आदी हो जाता है।
उन्होने कहा कि नशा शरीर, मन, बुद्धि व आत्मा का नाश  करता है, रिश्तो पर एंव परिवार संगठन पर चोट करता है। अधूरी शिक्षा, मारपीट, हिंसा, समाज विरोधी कृत्य, चोरी-डकैती, हत्या, आत्म हत्या के लिए विवश कर देता है। तम्बाकू उत्पादों, शराब व नशीली दवाओं का सेवन व्यक्ति को अन्दर तक खोखला कर देता है और असाध्य रोगों जैसे मुंह, गले, फेफड़े का कैंसर, हृदय रोग, ब्रेन स्ट्रोक, अगन्याष्य व यकृत रोग, समय से पूर्व मौत प्रदान करता है।
उन्होेने बताया कि नशेे की रोक थाम के लिए परिवार में माता पिता किशोरों के सोने व जागने के समय पर ध्यान रखना चाहिए इसके अतिरिक्त बच्चों की पढ़ाई में रूचि बरकरार है या नहीं, अधिक समय टवायलेट में तो नहीं बिता रहें, स्कूल से गैर हाजिर तो नहीं रह रहे, बैग व जेब में आपतिजनक व नशा सहायक सामग्री तो नहीं मिल रही, बच्चों के दोस्त किस तरह के हैं इन पर लगातार नजर रखना अति आवश्यक है।
उच्च चरित्र व व्यक्तित्व निर्माण से युवा शक्ति राष्ट्र की मुख्य धारा में शामिल करने के लिए लोक सांस्कृतिक व शैक्षणिक कार्यक्रमों द्वारा जन जागरूकता की जानीि चाहिए ताकि किशोरों में स्वास्थ्यप्रद व्यवहार परिवर्तन लाया जा सके। समाज में किशोरों के लिए खेल, संगीत, व्यायाम व योग की उप संस्कृति का वातावरण नशे से दूरी बनाने में सहायक हो सकता है। इस तरह के कार्यक्रमों के लिए स्थान व सुविधा किशोरों द्वारा नशा शुरू करने पर रोक लगाने मे सहायक होंगे।
डा प्रवीन ने कहा कि नशे पर निर्भरता पा चुके व्यक्तियों की पहचान कर उन्हें नशेे से आए विशेषकारी प्रभाव से मुिक्त दिलाने के लिए नजदीकी नशा मुक्ति केन्द्र व अस्पताल में दाखला जरूरी है। नशा छोड़ने पर आए दर्द, बेचैनी जैसे लक्षणों का दर्द निवारक से उपचार तथा नशा मुक्ति उपरांत लगातार परामर्श, बूरी संगत, स्थान व परिवार व समाज के उनके प्रति साकारात्मक व्यवहार व व्यक्ति का काम में पुर्नस्थापन नशे की आदत को दोबारा आने से रोकने में सहायक हैं। घृणा नशे से हो व्यक्ति से नहीं यह भाव व्यक्ति में आत्म सम्मान व आत्म विश्वास जगाने के लिए जरूरी है। जिला अस्पताल बिलासपुर में कमरा नंबर 308 में नशे के आदी हुए व्यक्ति को नशे से छुटकारे हेतू मनोवैज्ञानिक/डॉक्टर द्वारा परामर्श तथा उपचार किया जाता है। उपचार के बाद रोगी पूरी तरह से ठीक हो जाता है।

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