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अस्पताल भवन के निर्माण को भूकंप रोधी बनाना किया जाए सुनिश्चित- उपायुक्त

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चंबा, 10 फरवरी– उपायुक्त डीसी राणा ने कहा कि चंबा जिला में निर्मित होने वाले सभी अस्पताल भवनों को पूरी तरह से भूकंप रोधी बनाने की दिशा में गंभीरता बरतते हुए कार्य किया जाना सुनिश्चित बनाया जाए। उन्होंने ये बात आज उपायुक्त कार्यालय सभागार में आयोजित जिला आपदा प्रबंधन आथॉरिटी की बैठक की अध्यक्षता करते हुए कही। उन्होंने यह भी कहा कि जिले में जो अस्पताल भवन कई दशक पूर्व बने हैं उनकी क्षमता का भी आकलन किया जाए ताकि उन्हें भी भूकंप की तीव्रता के लिए रेट्रोफिटिंग तकनीक के माध्यम से पुष्ट बनाया जा सके।

उपायुक्त ने यह भी कहा कि राजकीय मेडिकल कॉलेज के निर्माणाधीन परिसर के समीप हेलीपैड निर्माण की संभावनाएं भी तलाशी जाएं ताकि आपदा की स्थिति में इस हेलीपैड का उपयोग किया जा सके। उपायुक्त ने कहा कि भूकंप जैसी त्रासदी की सूरत में चौगान मैदान राहत शिविर के रूप में उपयोग हो सकता है। ऐसे में चौगान में भी हेलीकॉप्टर की लैंडिंग के लिए व्यवस्था रहनी चाहिए। इसके लिए वर्तमान में जो भी अवरोध हैं उन्हें हटाया जा सकता है।

उपायुक्त ने कहा कि वर्तमान समय में ग्रामीण क्षेत्रों में भी बड़े व्यवसायिक निर्माण हुए हैं या हो रहे हैं। इन निर्माण कार्यों में भूकंप को झेलने के लिए जो मानक तय किए गए हैं उन्हें अपनाया जा रहा है या नहीं इस पर भी निगरानी रखने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि संबंधित क्षेत्र के एसडीएम की अध्यक्षता में कमेटी का गठन किया जाएगा जो समय-समय पर निर्माण कार्य की जांच करके यह सुनिश्चित बनाएगी कि निर्माण कार्य मानकों के अनुरूप किया जा रहा है।

उपायुक्त ने अग्निशमन विभाग को भी यह निर्देश दिए कि विभाग अस्पतालों के अलावा अन्य विभागीय भवनों की जांच करके तय करे कि आग लगने की घटना होने की सूरत में क्या पर्याप्त व्यवस्था मौजूद है या नहीं।

उपायुक्त ने कहा कि चंबा शहर की सीवरेज व्यवस्था दशकों पुरानी है। जल शक्ति विभाग सीवरेज व्यवस्था के चरणबद्ध तरीके से पुनरुद्धार करने की योजना तैयार करे।

जिले की जनजातीय पांगी घाटी को जोड़ने वाले साच पास पर बर्फबारी या मौसम के प्रतिकूल होने की स्थिति में खोज एवं बचाव के लिए गृह रक्षकों की एक टीम तैयार की जाएगी। उन्होंने कहा कि इस टीम को मनाली स्थित पर्वतारोहण संस्थान में एडवांस सर्च एंड रेस्क्यू का प्रशिक्षण भी दिया जाएगा। इस टीम में 15 गृह रक्षक पांगी क्षेत्र की ओर से जबकि 15 तीसा क्षेत्र की तरफ रहेंगे।

उपायुक्त ने जल विद्युत परियोजनाओं के प्रबंधन को भी यह हिदायत दी कि रावी बेसिन पर निर्मित सभी जलाशयों से छोड़े जाने वाले पानी को लेकर केंद्रीय जल आयोग द्वारा जारी किए गए दिशा-निर्देशों के अनुरूप अर्ली वार्निंग सिस्टम स्थापित करने की दिशा में तत्परता के साथ कार्य किया जाए। उन्होंने कहा कि वार्निंग के लिए ना केवल सायरन बल्कि वॉइस मैसेज और एसएमएस का भी प्रयोग किया जाए। इस व्यवस्था के साथ जिला आपदा प्रबंधन के जिला मुख्यालय स्थित कंट्रोल रूम को भी जोड़ा जाएगा ताकि कंट्रोल रूम से भी आवश्यक निर्देश जारी किए जा सकें। उपायुक्त ने रावी के किनारे पर खतरे के निशान को अलग-अलग जगहों पर अंकित करने के लिए भी कहा।

उपायुक्त ने कहा कि रावी नदी के किनारे बसे वे गांवों जो नदी के खतरे के निशान से ऊपर बहने के कारण प्रभावित हो सकते हैं उन्हें भी यह जानकारी रहनी चाहिए कि खतरे का निशान कहां है और खतरा होने की सूरत में उन्हें किस ओर अपनी सुरक्षा के लिए जाना है। राष्ट्रीय जल विद्युत प्रबंधन ग्रामीणों के साथ बैठक करके इसकी जानकारी साझा करें। इसके अलावा ग्राम सभाओं के माध्यम से भी लोगों को जागरूक किया जा सकता है।

समूचे जिले में आपदा के प्रभाव को न्यूनतम करने के मकसद से पंचायत स्तर पर आपदा प्रबंधन कमेटी का गठन और प्रत्येक पंचायत स्तर पर 15 स्वयं सेवकों की टीम के प्रशिक्षण की भी व्यवस्था की जाएगी ताकि कोई भी आपदा होने के बाद प्रथम प्रतिक्रिया के तौर पर यह टीम राहत और बचाव कार्य शुरू कर सके।

उपायुक्त लोक निर्माण विभाग को कहा कि पेड़ों और कंक्रीट को काटने में प्रयुक्त होने वाले उपकरणों की सूची जिला आपदा प्रबंधन आथॉरिटी को जल्द भेजें।

उपायुक्त ने इस बात की जरूरत पर भी जोर दिया कि जिला के सभी अग्निशमन केंद्रों पर सेटेलाइट फोन की सहूलियत उपलब्ध रहनी चाहिए। उपायुक्त ने यह भी कहा कि जिला के सभी एसडीएम को अपने- अपने कार्य क्षेत्र में हेलीपैड निर्माण के लिए उपयुक्त भूमि चिन्हित करने के लिए कहा गया है ताकि जिले में हेलीपैड की सुविधाएं मौजूद रहें।

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